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कृषि कानून के विरोध के बीच यूपी में नई तकनीक से खेती कर रहे किसान, कई गुना बढ़ाई कमाई

एक तरफ किसान बिल को लेकर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ यूपी में कई ऐसे किसान हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती के बदले नई तकनीक से खेती कर न सिर्फ खेती की तस्वीर बदल दी है बल्कि, अपनी खुद की तकदीर भी बदल डाली है.

खेती करता किसान (फाइल फोटो) खेती करता किसान (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ ,
  • 13 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST
  • नई तकनीक से खेती कर रहे यूपी के किसान
  • कृषि कानून को लेकर सभी के अलग-अलग विचार
  • परंपरागत खेती छोड़ मुनाफे की खेती की शुरू

एक तरफ किसान कानून को लेकर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ यूपी में कई ऐसे किसान हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती के बदले नई तकनीक से खेती कर न सिर्फ खेती की तस्वीर बदल दी है बल्कि, अपनी खुद की तकदीर भी बदल डाली है. इन किसानों ने बेहतरीन खेती करने की मिसाल पेश की है और अपनी आमदनी भी कई गुना बढ़ाई है.

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 हमने इन किसानों से किसान बिल और हो रहे उसके विरोध के बारे में भी बातचीत की तो कई किसानों ने तो इस बिल का समर्थन किया. वहीं, कुछ किसानों ने कहा कि सरकार को इस मसले पर किसानों से भी राय लेनी चाहिए. आइए हम आपको कुछ ऐसे ही किसानों की कहानी बताते हैं. जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़, आधुनिक तरीके से खेती करनी शुरू की और न सिर्फ किसानी की तस्वीर बदल डाली बल्कि अपनी खुद की तकदीर को भी बदल डाला.

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फूल की खेती करने वाले किसान ने कही ये बात

  यूपी के बाराबंकी में फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन के फूलों की महक देश-विदेश के साथ राष्ट्रपति, संसद के गलियारों तक पहुंचती है. मोइनुद्दीन जरबेरा और गल्गोडियाज के फूलों की खेती करते है. इनका बाराबंकी के देवा ब्लॉक के दफेदार पुरवा गांव मे इनका 25 एकड़ का फार्म हाउस है. किसान मोइनुद्दीन ने कानून की पढ़ाई करने के बावजूद अपनी पुश्तैनी जमीन पर विदेशी फूल उगाकर सबको हैरानी में डाल दिया.

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मोइनुद्दीन ने न सिर्फ अपने खेतों में रंग विरंगे विदेशी फूल उगाकर गांव के चारों तरफ उसकी महक बिखेरी है. बल्कि उस महक के साथ-साथ अब तक हजारों लोगों को रोजगार भी दिया है. शायद यही वजह है की आज गांव में रोजगार पाये लोगों ने मोइनुद्दीन को अपना आदर्श मानते हुए गांव का मुखिया बना दिया है.

आलम यह है कि एक वो भी दौर था जब बतौर मुख्यमंत्री गुजरात की कमान संभाल रहे नरेंद्र मोदी जो अब देश के प्रधान मंत्री हैं, उन्होंने मोइनुद्दीन को वाइब्रेंट गुजरात के सम्मान से नवाजा था.किसान बिल पर मोइनुद्दीन कहते हैं कि इससे हमें फायदा है. नए कृषि नियमो के अनुसार हम अपने फूल बिना किसी शुल्क दिए देश में कही भी बेच सकते हैं.

बाराबंकी में किसानों ने शुरू की मुनाफे की खेती
यहीं नहीं बाराबंकी के ज़्यादातर प्रगतिशील किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़ कर मुनाफे की खेती शुरू कर दी है. जैसे आलू, केला और टमाटर. बाराबंकी के प्रगतिशील किसान विनय कुमार वर्मा एक ऐसे ही किसान हैं जो आलू की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं.बाराबंकी के देवा के किसान विनय बताते हैं कि इस बार आलू की खेती से हमको एक लाख रुपये बीघे का मुनाफा हुआ है.

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उन्होंने बताया कि हम 25 साल से आलू की खेती कर रहे हैं. लेकिन इस बार खेत पर ही हमारे आलू अच्छे बिक गए हैं और अगर हम इसको बाहर के बाजारों में ले जाकर बेचे तो और अच्छा मुनाफा मिलेगा. किसान बिल को लेकर विनय कहते हैं कि बिल आने से बिचौलिए और मंडी का शुल्क खत्म हो जाएगा. कृषि बिल हम लोगों के लिए अच्छा है. हम ज़िले से बाहर जाकर अपनी फसल अच्छे दामों पर बेच सकते हैं.

 एक तरफ पूरे देश में जहां एमएसपी के मुद्दे को लेकर तमाम किसान संगठन आंदोलन का रुख अपनाये हुए हैं. वहीं यूपी के चित्रकूट में सरकारी योजनाओं के द्वारा मिल रहे लाभ से यहां के किसान फार्मर प्रोडूसेर ऑर्गनाइजेशन से जुड़कर अपनी किस्मत चमकाने में जुटे हुए हैं  जिले के रामनगर ब्लॉक के नादिनकुर्मियन गांव में रहने वाले किसान लव सिंह ने दो साल साल पहले परंपरागत खेती को छोड़कर औषधीय पौधों की खेती करना शुरू की.

 शुरुआती दौर में गांव के किसानों ने उन्हें मना किया. लेकिन जब लव सिंह के खेतों में लेमनग्रास की फसल लहलहाने लगी और वह उसका तेल निकालकर अच्छे खासे दामों में बेचकर पैसे कमाने लगा. तो गांववालों को लगा कि यह तो फायदे का सौदा साबित हो रहा है ना तो लेमन ग्रास की खेती में सिंचाई का ही कोई खर्चा है और ना ही खेतों की बार-बार जुताई का. 

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लेमन ग्रास के तेल से होती है अच्छी कमाई
एक बार तैयार हो जाने पर लेमन ग्रास के पौधे हर तीन महीने में कटाई के लिये तैयार हो जाते हैं और लव सिंह इनका तेल निकालकर हर 3 महीने में अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. लव सिंह की प्रेरणा से आज उनके फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन से जुड़कर 500 से ज्यादा किसान लेमन ग्रास की खेती करने लगे हैं.

लेमन ग्रास की खेती का एक और बड़ा फायदा कि इसे बुंदेलखंड के लिए मुसीबत आने वाले अन्ना जानवर बिल्कुल ही बर्बाद नहीं करते. इस तरह से लेमन ग्रास की खेती हर तरह से किसानों को फायदा पहुंचाने वाली साबित हो रही है. चित्रकूट में अपनी कंपनी बनाकर सैकड़ों किसानों का भला करने वाले लव सिंह  किसान बिल के समर्थक हैं.

उनका कहना है कि जो केंद्र सरकार बिल लाई है वह किसानों के हित में है और उससे जो है किसानों की आमदनी बढ़ रही है और किसानों के हित में है. हम लोग इस बिल का समर्थन करते हैं.

शुगर फ्री ब्लैक राइस का उत्पादन कर रहे किसान
धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के किसान भी परंपरागत खेती के साथ-साथ अब शुगर फ्री ब्लैक राइस का उत्पादन कर रहे हैं और कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं. 2 साल पहले  केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के प्रयास से यहां पर ब्लैक राइस की खेती की शुरुआत की गई थी. पहले तो यहां के कुछ किसानों ने प्रयोग के तौर पर पेज की खेती की शुरुआत की थी. लेकिन जब अच्छा मुनाफा हुआ तो पिछले सीजन में यहां के 400 किसानों ने ब्लैक राइस की खेती की और इनका चावल ऑस्ट्रेलिया में निर्यात किया गया था.

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 इस सीजन में यहां के 1000 किसानों ने ब्लैक राइस की खेती की है.चंदौली के ब्लैक राइस और यहां के किसानों की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया है.पिछले दिनों देव दीपावली के अवसर पर जब नरेंद्र मोदी वाराणसी के दौरे पर थे तो उन्होंने चंदौली के ब्लैक राइस और यहां किसानों की जमकर तारीफ की थी.

जिसके बाद चंदौली के किसान काफी उत्साहित हैं और अगले सीजन में कई गुना ज्यादा ब्लैक राइस की खेती करने की बात कह रहे हैं. प्रधानमंत्री द्वारा चंदौली के किसानों की तारीफ किए जाने के बाद जिला प्रशासन भी अब यहां के ब्लैक राइस को ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ यूरोप और मिडल ईस्ट इसके देशों में निर्यात करने की प्लानिंग कर रहा है. यही नहीं जिला प्रशासन के सहयोग से चंदौली का यह ब्लैक राइस अब ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध हो जाएगा. 

किसान बिल पर कही ये बात
लेकिन, किसान बिल को लेकर यहां के कई किसानों का कहना है कि इस बिल में संशोधन की जरूरत है ब्लैक राइस की खेती करने वाले चंदौली के किसान राम अवध मौर्या ने फोन लाइन पर बताया कि अगर देश के किसानों को यह लगता है कि यह बिल उनके हक में नहीं है. तो सरकार को इस पूरे मामले पर पुनर्विचार जरूर करना चाहिए.

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(बाराबंकी से रेहान मुस्तफा, चित्रकूट से संतोष बंसल और चंदौली से उदय गुप्ता का इनपुट)

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