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UP: शामली में गन्ना किसानों का हल्लाबोल, बोले- मांगें नहीं मानी तो करेंगे धर्म परिवर्तन

धरने पर बैठे गन्ना किसानों की मांग है कि पिछले साल के गन्ने की फसल के 80 करोड़ रुपये और इस साल की राशि का भुगतान किया जाए. किसानों ने भुगतान राशि नहीं मिलने पर बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन करने की बात कही है.

शामली में धरने पर किसान शामली में धरने पर किसान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:03 AM IST

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली में किसान पिछले 5 दिनों से धरना दे रहे हैं. कलेक्ट्रेट पर बैठे किसानों का कहना है कि सरकार उनकी बात को नहीं सुन रही है. गन्ना किसानों की मांग है कि पिछले साल के गन्ने की फसल के 80 करोड़ रुपये और इस साल की राशि का भुगतान किया जाए. किसानों ने भुगतान राशि नहीं मिलने पर बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन करने की बात कही है.

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दरअसल, सरकार के नियम के मुताबिक 14 दिन में किसानों को गन्ना की राशि भुगतान करना होता है और इससे लेट होने पर मिल मालिक किसानों से ब्याज वसूलना शुरू कर देते हैं. हालांकि, अभी तो किसानों को ब्याज तो दूर पिछले साल का मूल भी नहीं मिला है. यही कारण है कि किसान धरने पर बैठे हैं. सरकार के ध्यान को अपनी ओर खींचने के लिए किसान कई प्रकार तरीके भी अपनाते दिखे रहे हैं. हालांकि, इसके बावजूद भी उनकी नहीं सुनी जा रही.

धरना-प्रदर्शन के तीसरे दिन किसानों ने सिर मुड़वाकर विरोध जताया था. वहीं, चौथे दिन यानी शनिवार को मुस्लिम किसानों ने धरना स्थल पर ही नमाज पढ़ी. किसानों का कहना है कि गन्ना उगाने वाले किसान परेशान हैं. उनका पिछले सीजन का पैसा अभी तक नहीं मिला है. उनका कहना है कि सरकार ने 14 दिनों में गन्ने का भुगतान करने का वादा किया था लेकिन पैसा अभी तक नहीं मिला है. किसानों की परेशानी सिर्फ गन्ने तक ही सीमित नहीं है.

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उन्होंने बताया कि बछड़े खेत की फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दे रहे हैं. बिजली कंपनियां उनपर मुकदमा कर रही हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो 21 जनवरी को सभी किसान शामली में एक महापंचायत बुलाएंगे. साथ ही किसानों ने कहा कि मांगें नहीं माने जाने पर हम धर्म परिवर्तन का कदम भी उठा सकते हैं.

धरने पर बैठे जितेंद्र नाम के किसान ने कहा कि उन्हें न तो पिछले साल का गन्ने का भुगतान मिला है और न ही इस साल का. उन्होंने बताया कि किसानों का 80 करोड़ रुपये अटका पड़ा है. वो कहते हैं कि हम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करना चाहते, इसलिए हम 14 दिन के पेमेंट को छोड़ रहे हैं और चाहते हैं बची राशि को हमें भुगतान किया जाए.

जितेंद्र ने बताया कि अधिकारी धरना स्थल पर आए और कहा कि 7 करोड़ रुपये जो इस साल के गन्ने की भुगतान राशि है वो ले लीजिए और धरना खत्म कीजिए. उन्होंने कहा, 'हमने पिछले साल गन्ने की फसल के लिए लोगों से उधार लिया था. ऐसे में 7 करोड़ से हमारा क्या होगा, हम क्या चुकाएंगे और क्या बचाएंगे.' जितेंद्र ने कहा कि जब तक उन्हें खाते में पैसे के जमा होने का मैसेज नहीं मिलेगा वो लोग धरना खत्म नहीं करेंगे.

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धरने के बीच पहुंचे एडीएम ने किसानों को पहले 7 करोड़ फिर 10 करोड़ के भुगतान की बात कही. लेकिन किसानों ने इस राशि को लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि यह तो इस साल की राशि होगी, फिर पिछले साल के बकाए 80 करोड़ का क्या? साथ ही किसानों ने समस्त भुगतान न होने तक धरना जारी रखने की चेतवानी दी.

बता दें कि जिला प्रशासन की ओर से घरना-स्थल पर एडीएम केबी सिंह, एसडीएम प्रशांत सिंह, एडीशनल एसपी अजय प्रताप सिंह भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मिल प्रबंधन से किसानों की वार्ता भी करवाई लेकिन किसान अपनी मांगों पर डटे रहे.

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