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Bulandshahr: आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए शराब का छिड़काव कर रहे हैं किसान

Farmers using liquor to increase potato production आलू की पैदावार को बढ़ाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के किसान एक अनोखा तरीका अपना रहे हैं. यहां के किसान फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए उसपर शराब का छिड़काव कर रहे हैं.

Farmers using liquor to increase potato production Farmers using liquor to increase potato production
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:31 AM IST

देशभर में इस समय किसानों का मुद्दा चरम पर है. नेताओं से लेकर राजनीतिक पार्टियां तक हर कोई किसानों की बात कर रहा है. किसान भी अपनी उपज बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से एक ऐसा उदाहरण सामने आया है जो आपको चौंका भी सकता है और थोड़ा सावधान भी कर सकता है. बुलंदशहर में कुछ किसान आलू की पैदावार को बढ़ाने के लिए किसी दवा का नहीं बल्कि शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां किसान अपने खेतों में शराब छिड़क रहे हैं.

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न्यूज़ एजेंसी ANI के अनुसार, बुलंदशहर में किसान अपनी आलू की पैदावार को बढ़ाने के लिए शराब छिड़क रहे हैं. इन किसानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से वायरल हो रही हैं. हालांकि, स्थानीय पौध उत्पादन अधिकारी का कहना है कि इस प्रकार किसी भी फसल में शराब का छिड़काव करना जानलेवा हो सकता है.

उन्होंने ये भी बताया कि इस प्रकार का कोई शोध भी नहीं है जो कि ये सिद्ध करता हो कि शराब का छिड़काव करने से फसल को फायदा होता है. उन्होंने स्थानीय किसानों से अपील भी कि वह इस प्रकार के प्रयोग का इस्तेमाल तुरंत प्रभाव से बंद कर दें.

इससे किसी भी प्रकार का फायदा नहीं होता है. गौरतलब है कि कई तरीकों की परेशानी से जूझ रहा किसान चाहता है कि उसकी फसल की पैदावार अधिक हो, ताकि वह अधिक मात्रा में मुनाफा कमा सके. लेकिन इसी चक्कर में इस प्रकार की बड़ी गलतियां हो जाती हैं. साफ है कि अगर किसान आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए इस प्रकार शराब का छिड़काव कर रहे हैं तो लोगों के लिए ये जानलेवा भी हो सकता है.

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इस प्रयोग के पीछे किसानों का तर्क है कि वह काफी कम मात्रा में शराब का छिड़काव करते हैं इससे उनके आलू की पैदावार बंपर मात्रा में होती है. इतना ही नहीं बल्कि आलू का साइज भी काफी बड़ा होता है. कुछ किसानों का ये भी कहना है कि वह पिछले काफी समय से इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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