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यूपी से एमपी तक खाद की किल्लत, लाइन में खड़े-खड़े हो रही किसानों की मौत

देशभर के किसानों को फसल के लिए खाद की बड़ी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक खाद का संकट लगातार गहराता जा रहा है. लाइन में कई दिनों तक लगे रहने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. इससे कुछ बीमार होकर जान चली गई तो कई ने आत्महत्या कर ली है.

यूपी में खाद न मिलने से परेशान किसान यूपी में खाद न मिलने से परेशान किसान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST
  • खाद की किल्लत से किसान परेशान
  • खाद की लाइन में खड़े-खड़े जा रही किसानों की जान

उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक खाद का संकट लगातार गहराता जा रहा है. लाइन में कई दिनों तक लगे रहने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है, जिससे हताश किसानों की जान पर भी बन आ रही है.  इन दिनों बुंदेलखंड का इलाके खाद की किल्लत से सबसे ज्यादा जूझ रहा है. एक सप्ताह में आधा दर्जन के करीब किसानों की खाद न मिलने के चलते मौत हो चुकी है, जिसमें कुछ की मौत खाद के लिए लाइन में लगे रहने से हुई है, तो कई किसानों ने आत्महत्या कर ली है. 

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खाद की लाइन में हो गई 2 किसानों की मौत

यूपी के बुंदेलखंड में खाद की किल्लत ने किसानों को सड़कों पर ला दिया है. समस्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ललितपुर में अब तक 4 किसानों की मौत हो चुकी है, जिनमें दो किसानों की लाइन में लगे रहने के चलते बिमार हो जाने से मौत हुई है. वहीं एक किसान ने फांसी लगाकर जान दी है. इधर, मध्य प्रदेश के अशोकनगर में एक किसान ने सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली है. ये सभी किसान खाद न मिलने से परेशान थे.  

बुंदेलखंड में ललितपुर, जालौन, बांदा, झांसी और इटावा सहित सूबे के तमाम जिलों में भी खाद की किल्लत इस कदर पैदा हो गई है कि दिनभर लाइन में लगने के बाद भी किसानों को खाद की एक बोरी तक नहीं मिल पा रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी खाद की किल्लत से जूझ रहे किसानों के बीच शुक्रवार को बुंदेलखंड पहुंची. इस दौरान उन्होंने ललितपुर, बुंदेलखंड में खाद के कमी के चलते आत्महत्या करने वाले किसान परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा साझा की. 

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खाद न मिलने से परेशान किसान

'सरकार की कुव्यवस्था से उपजी खाद की कमी'

कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की कुव्यवस्था से उपजी खाद की कमी के चलते लाइन में खड़े-खड़े किसानों की मृत्यु हो गई थी. खाद न मिलने के चलते परेशान एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी. सभी किसानों ने खेती के लिए भारी- भरकम कर्ज लिए थे और  सरकार की नीतियों के चलते कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे. ऐसे में खाद न मिलना, मुआवजा न मिलना और फसल बर्बादी से किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं.  

सूबे में खाद के चलते जिन किसानों की मौत हुई उनके परिजनों से प्रियंका गांधी ने बातचीत की थी. भोगी पाल और महेश कुमार बुनकर खाद की लाइन में लगे थे. कई दिनों तक लाइन में लगे रहने के बावजूद उन्हें खाद नहीं मिली. लाइन में लगे-लगे उनकी हालत खराब हो गई और उनकी मृत्यु हो गई. इसके अलावा किसान सोनी अहिरवार और बब्लू पाल खाद न मिलने के चलते परेशान थे और उन्होंने आत्महत्या करके अपनी जान दे दी थी. 

पीड़ित किसान परिवारों से मिलीं प्रियंका गांधी

बुदेलखंड के सभी किसानों पर भारी-भरकम कर्ज है और फसल बर्बादी व मुआवजा न मिलने जैसी समस्याओं से वे परेशान थे. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सभी पीड़ित किसान परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा साझा की और सभी किसानों के परिवारों का कर्ज चुकाने का वादा किया. बीज के साथ बुवाई करने के लिए खाद की जरूरत है. इसके बाद भी खाद नहीं मिल रही है. खाद न मिलने से किसानों ने ललितपुर में विरोध प्रदर्शन किया था.  

वहीं, एमपी के अशोकनगर में एक किसान ने आत्महत्या कर ली. परिजनों का दावा है कि किसान खाद न मिलने और बारिश से फसल बर्बाद होने के चलते परेशान था. खाद न मिलने के चलते वो घर आया और सल्फास की गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली. मृतक अशोकनगर के ईसागढ थाना क्षेत्र के बड़ी पिपरोल गांव का है. यहां के किसान धनपाल यादव के पास 12 बीघा जमीन थी. इसी से वह परिवार का भरण पोषण करता था. लेकिन खाद न मिलने से वह परेशान था. इसी की वजह से उसने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. 

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खाद की किल्लत 

यूपी में इस बार सामान्य की 6.4 मिलीमीटर बारिश के मुकाबले 58.4 मिलीमीटर बारिश हुई. ऐसे में खेतों में नमी को देखते हुए एक साथ सभी किसानों ने रबी सीजन की बुआई शुरू कर दी. देशभर में खाद का संकट पहले ही चल रहा था, बुंदेलखंड में यह और भी ज्यादा गहरा गया, यहां बारिश के बाद किसानों को पैदावार की उम्मीद ज्यादा दिखी, इसलिए खाद लेने पहुंचने लगे. भारत में जितने डीएपी का उत्पादन होता है, उसके लिए कच्चा माल भी ज्यादातर विदेशों से आता है. विदेशों में दाम बढ़ने के कारण इफ्को के डीएपी की कीमत में भी 60 से 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. खादों के दामों में वृद्धि का सीधा असर कृषि लागत पर पड़ता है. ऐसे में सबसे ज्यादा किसान परेशान हो रहे.

 

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