
यूपी विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव राजभर का सोमवार को निधन हो गया. सुखदेव राजभर पिछले काफी वक्त से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के चंदन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. सोमवार की रात करीब साढ़े आठ बजे सुखदेव राजभर ने अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट पर आजमगढ़ की दीदारगंज सीट से विधायक थे.
आजमगढ़ के दीदारगंज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे सुखदेव राजभर उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. इसके अलावा वे मायावती, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट में मंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं.
1991 में पहली बार चुने गए थे विधायक
उत्तर प्रदेश की 11वीं, 12वीं, 14वीं, 15वीं और 17वीं विधानसभा में विधायक रहे सुखदेव राजभर का जन्म 5 सितंबर 1951 को आजमगढ़ के बडगहन में हुआ था. सुखदेव राजभर मई-जून 1991 में हुए 11वीं विधानसभा के चुनाव में पहली बार विधायक चुने गए थे. इसी दौरान उन्हें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और वंचित जनजाति से संबंधित संयुक्त समिति का सदस्य भी मनोनित किया गया था.
मुलायम सरकार में पहली बार बने थे मंत्री
12वीं विधानसभा के लिए 1993 में हुए चुनाव में सुखदेव राजभर दूसरी बार विधायक चुने गए. इसके बाद मुलायम सरकार में उन्हें सहकारिता विभाग में राज्य मंत्री का पद दिया गया. साल 1997 से 2002 तक सुखदेव राजभर विधान परिषद के सदस्य रहे. साल 2002 में सुखदेव राजभर फिर से विधायक निर्वाचित हुए. साल 2003 तक सुखदेव राजभर ने मायावती की सरकार में संसदीय कार्य, वस्त्र उद्योग विभाग का कार्यभार संभाला.
विधानसभा अध्यक्ष के रूप में सुखदेव राजभर
सुखदेव राजभर ने 2007 से 2012 तक विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका निभाई. उनकी इस भूमिका में भी वो सफल रहे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुखदेव राजभर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि उन्हें संसदीय परंपराओं और नियमों की गहरी जानकारी थी. सीएम योगी ने राजभर के आवास पर जाकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की. विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर हृदय नारायण दीक्षित ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुखदेव राजभर को नियमों और परंपराओं की गहरी जानकारी थी. राजभर निर्धन और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते थे. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी उनको श्रद्धांजलि दी.अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि सामाजिक न्याय को समर्पित आपका जीवन सदैव प्रेरणा देता रहेगा.
कांशीराम के साथ शुरू किया था सियासी सफर
सुखदेव राजभर ने अपने सियासी सफर में कांशीराम के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी पर अपने अंतिम दिनों में बीएसपी की मौजूदा हालत से वो व्यथित दिखे. वो अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य को लेकर इतने चिंतित थे कि उन्होंने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर अपने बेटे पप्पू राजभर को उनके सुपुर्द करने की बात कही थी. इसके बाद पप्पू राजभर ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी.
सुखदेव राजभर के सबसे करीबी माने जाने वाले पूर्व विधायक रामअचल राजभर कहते हैं कि साहब की जगह कोई नहीं ले सकता. सभी छोटे बड़े को सम्मान देना उनको आता था. साथ ही उनको संसदीय परंपराओं का भी बहुत ज्यादा ज्ञान था. उन्होंने बताया कि जब कभी सदन में ज़्यादा गर्मागर्मी होने लगती थी तो स्पीकर के रूप में ऐसी कोई बात कहकर सबको हंसा देते थे जिससे माहौल हंसी का हो जाए. रामअचल राजभर ने कहा कि स्पीकर रहते सुखदेव राजभर सदन के संचालन में विपक्ष के विधायकों को ज्यादा मौका देते थे.