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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की नहीं होगी 'तेरहवीं', जानिए इसकी वजह

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, किसी व्यक्ति के निधन के 13वें दिन उसकी आत्मा की मुक्ति के लिए एक कार्यक्रम किया जाता है. इसे तेरहवीं कहा जाता है. मगर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी तेरहवीं नहीं की जाएगी. इसकी जगह सिर्फ शांति पाठ और हवन पूजन का कार्यक्रम किया जाएगा.

मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो) मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो)
सत्यम मिश्रा
  • सैफई,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, किसी व्यक्ति के निधन के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए 13वें दिन एक धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है. इसे तेहरवीं कहा जाता है. मगर, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की तेरहवीं नहीं की जाएगी.

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पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से परिवार और सपा के समर्थकों में गम का माहौल है. मुलायम सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अखिलेश यादव दिवंगत पिता की शांति के लिए शुद्धि संस्कार किए हैं. मगर, अखिलेश यादव अपने पिता की तेरहवीं नहीं करेंगे.

समाजवादी पार्टी नेता और पूर्व एमएलसी सुनील सिंह साजन ने बताया, "नेताजी की तेरहवीं नहीं होगी. उसकी जगह शांति पाठ और हवन पूजन 21 अक्टूबर को किया जाएगा." 

तेरहवीं नहीं करने का कारण

सुनील सिंह साजन ने बताया, "सैफई के आस-पास के एक-दो जिलों में अब तेरहवीं करने की परंपरा नहीं है. दरअसल, जब नेताजी छोटे थे तब सैफई और आस-पास के इलाकों में भी तेरहवीं होती थी. मगर, जब वह बड़े हुए और राजनीति में आए, तो उन्होंने समाज सुधारक के तौर पर कार्य किया." 

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उन्होंने आगे बताया, "नेताजी ने ही समाज सुधारकों के साथ मिलकर इस परंपरा को खत्म करने की शुरूआत की. धीरे-धीरे यहां तेरहवीं का कार्यक्रम किया जाना बंद हो गया. तब से ही लोग इसकी जगह शांति पाठ के साथ हवन और पूजा पाठ करने लगे. लिहाजा, नेताजी की भी तेरहवीं नहीं की जाएगी." 

गरीबों पर पड़ता था आर्थिक बोझ

सुनील सिंह ने आगे बताया, "समाज सुधारकों ने उस परंपरा को सोच-समझकर खत्म किया था. दरअसल, 13वें दिन भोज का कार्यक्रम रखा जाता था. इससे गरीब वर्ग के लोगों पर आर्थिक बोझ पड़ता था. गरीबों पर इसका दबाव नहीं पड़े इसीलिए इन परंपराओं को समाज सुधारकों ने खत्म करने पर जोर दिया."

उन्होंने कहा, "तेरहवीं की परंपरा खत्म हो जाने के बाद से मध्यमवर्ग, गरीब वर्ग और अमीर तबके के लोगों के लिए एक ही परंपरा शुरू हो गई." सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने भी बताया, "आने वाली 21 तारीख को तेरहवीं नहीं की जाएगी. उसके बदले हवन-पाठ किया जाएगा."

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