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विकास दुबे का कबूलनामा, शराब कंपनी के एक मैनेजर ने उज्जैन में की थी मदद

बिकरू गांव में हुए शूटआउट में शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्रा के बारे में विकास दुबे ने कबूल किया था कि उनसे उसकी पुरानी खुन्नस थी. अपने कबूलनामे में विकास दूबे ने कहा था कि सीओ देवेंद्र मिश्र से उसकी नहीं बनती थी. कई बार वे देख लेने की धमकी दे चुके थे.

विकास दुबे की फाइल फोटो विकास दुबे की फाइल फोटो
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 10 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 11:31 AM IST

  • पुलिस के सामने विकास दुबे का खुलासा
  • खुन्नस में हुई सीओ देवेंद्र मिश्रा की हत्या

दो जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों को शहीद करने वाले विकास दुबे का एनकाउंटर हो गया है. 2 जुलाई की रात के कांड को उसने कैसे अंजाम दिया था, इसका खुलासा उसने पुलिस के सामने किया था. उसका कबूलनामा सुनकर आप भी सिहर जाएंगे. उसने शहीद पुलिसवालों की लाशों को जलाने की भी साजिश रच ली थी.

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विकास दुबे ने कबूल किया कि शूटआउट के बाद घर के बगल में कुएं के पास पांच पुलिसवालों की लाशों को एक के ऊपर एक रखा गया था. योजना लाशों में आग लगाने की थी, ताकि सारे सबूत आग में जलकर नष्ट हो जाएं. आग लगाने के लिए घर में गैलनों में तेल रखा गया था. काले रंग के एक पचास लीटर के गैलन में तेल भरा था. लेकिन लाशें इकट्ठा करने के बाद उसे जलाने का मौका नहीं मिला और वो फरार हो गया.

बिकरू गांव में हुए शूटआउट में शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्रा के बारे में विकास दुबे ने कबूल किया था कि उनसे उसकी पुरानी खुन्नस थी. अपने कबूलनामे में विकास दूबे ने कहा कि सीओ देवेंद्र मिश्र से उसकी नहीं बनती थी. कई बार वे देख लेने की धमकी दे चुके थे. पहले भी बहस हो चुकी थी. विनय तिवारी ने भी बताया था कि सीओ तुम्हारे ख़िलाफ़ है. लिहाजा उसे सीओ पर गुस्सा था. सीओ को सामने के मकान में मारा गया था. विकास दुबे ने कहा था कि मैंने नहीं मारा सीओ को लेकिन मेरे साथ के आदमियों ने दूसरी तरफ के आहाते से कूदकर मामा के मकान के आंगन में मारा था. सीओ के पैर पर भी वार किया था क्योंकि वो बोलते थे कि विकास का एक पैर गड़बड़ है. दूसरा भी सही कर दूंगा. सीओ का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी गई थी, इसलिए आधा चेहरा फट गया था.

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विकास दुबे ने बताया था कि उसने अपने सभी साथियों को अलग-अलग भागने के लिए कहा था. विकास को सूचना मिली थी कि पुलिस सुबह आएगी, लेकिन पुलिस रात में ही रेड करने आ गई. घटना के अगले दिन मारा गया विकास का मामा जेसीबी मशीन का इंचार्ज था लेकिन वो जेसीबी नहीं चला रहा था. रात में राजू नाम के एक साथी ने जेसीबी मशीन को बीच सड़क में पार्क किया था. मामा को अगले दिन पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था. विकास दुबे ने कहा कि चौबेपुर थाना ही नहीं अन्य थानों में भी उसके मददगार थे. जो तमाम मामलों में उसका मदद करते थे. लॉकडाउन के दौरान चौबेपुर थाने के तमाम पुलिसवालों का उसने बहुत ख्याल रखा. सबको खाना पीना खिलाना और दूसरी मदद भी करता था.

विकास दुबे ने पूछताछ में अपने रहस्यलोक के बारे में भी कबूल किया था. उसने पूछताछ में बताया कि उसके पास क्रूड बम भी थे, जो सामने के घर में रखे थे. पुलिस पर हमले के दौरान बम का भी इस्तेमाल किया गया. बाद में गोलियां चलाई गईं. विकास दुबे ने कबूल किया कि उज्जैन तक पहुंचने में उसके एक दोस्त ने मदद की, जो शराब कंपनी का मैनेजर है. उसी ने उसे उज्जैन बुलाया और मदद की. पुलिस ने शराब कंपनी के मैनेजर आनंद तिवारी को हिरासत में लिया है.

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