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UP में योगी सरकार वसूलेगी ‘गौ कल्याण सेस’, आवारा पशुओं के लिए हर जिले में आश्रय स्थल

Gau Kalyan Cess in Uttar Pradesh आवारा पशुओं के लिए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश के हर जिले में आश्रय स्थल बनाया जाएगा, जहां पर 1000 पशुओं के देखभाल की व्यवस्था होगी. इसके लिए राज्य में गौ कल्याण सेस भी लागू किया गया है.

उत्तर प्रदेश में गौ कल्याण सेस लगाएगी योगी सरकार (फाइल फोटो) उत्तर प्रदेश में गौ कल्याण सेस लगाएगी योगी सरकार (फाइल फोटो)
नीलांशु शुक्ला
  • लखनऊ,
  • 02 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST

गाय सुरक्षा से जुड़े मामलों ने बीते दिनों में उत्तर प्रदेश में सुर्खियां बटोरीं हैं. फिर चाहे वो गौ रक्षा हो या फिर सड़क पर घूमते आवारा पशु, अब उत्तर प्रदेश सरकार हर जिले में गोशाला बनाने की ओर कदम बढ़ा रही है. इन आश्रय स्थलों को बनाने के लिए नये सेस को लाया गया है, ‘गौ कल्याण सेस’. जिसका उपयोग आश्रय स्थल को बनाने और उसकी देखभाल में किया जाएगा.

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इन आश्रयों के लिए फंड विभिन्न विभागों से ही लिया जाएगा, इनमें एक्साइज आइटम पर 0.5 फीसदी, 0.5 फीसदी टोल टैक्स यूपी एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की तरफ से, 2 फीसदी मंडी परिषद की तरफ से इस फंड में डाला जाएगा.

इस योजना के तहत हर जिले के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में गौ आश्रय स्थल बनेंगे, यहां कम से कम 1000 आवारा पशुओं के देखभाल की व्यवस्था होगी. मंगलवार को हुई उत्तर प्रदेश कैबिनेट में इन फैसलों को लिया गया. इसके लिए सरकार की ओर से अभी 100 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

फैसले के तहत प्रदेश के सभी ग्रामीण निकायों (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत) एवं शहरी निकायों (नगर पालिका, नगर निगम) में स्थायी गौवंश आश्रय स्थल बनाने एवं संचालन नीति के निर्धारण के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिली है.

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कैबिनेट के अन्य फैसले

इसके अलावा भी कैबिनेट में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. पुलिस और अग्निशमन सेवा के अफसरों व कार्मिकों के साथ ड्यूटी के दौरान होने वाली किसी दुर्घटना के लिए उन्हें अनुग्रह राशि प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. 80 से 100 फीसदी तक अपंग होने पर 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. 70 से 79 फीसदी तक 15 लाख रुपये, 50 से 69 फीसदी तक 10 लाख रुपये की आर्थिक राशि प्रदान करने की स्वीकृति दी गई है.

इससे पहले की व्यवस्था में पुलिस विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी के दौरान मारे जाने पर उनके परिजनों को अनुग्रह राशि दी जाती थी. उनके परिवार को 40 लाख रुपये और उनके माता-पिता को 10 लाख रुपये दिए जाते हैं, लेकिन अग्निशमन के कर्मचारियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.

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