Advertisement

UP: डॉक्टरों ने अगर जेनेरिक की जगह लिखीं ब्रांडेड दवाएं तो होगी कार्रवाई, आदेश जारी

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सभी सरकारी अस्पतालों से उपलब्ध दवाइयों की लिस्ट डिस्प्ले करने को भी कहा गया है. अब डॉक्टर मरीज को किसी भी कीमत पर बाहर से दवा नहीं लिख सकते. ऐसे में अब जन औषधी केंद्र से दवाइयां ली जा सकेंगी.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST
  • यूपी में अब बाहर की दवा नहीं लिख पाएंगे डॉक्टर
  • ब्रांडेड दवा लिखने पर होगी डॉक्टरों पर कार्रवाई

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. यूपी में अब डॉक्टर किसी भी कीमत पर जेनेरिक की जगह ब्रांडेड दवाएं नहीं लिख सकेंगे. चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वो दवा के ब्रांड का नाम नहीं, बल्कि उसका सॉल्ट लिखेंगे. 

डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त अस्पतालों में जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल का आदेश दिया. बृजेश पाठक ने डॉक्टरों द्वारा सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं लिखने पर गंभीरता से सख्ती बरतते हुए ये आदेश जारी किया. 

Advertisement

अस्पतालों में दवाइयों की लिस्ट करनी होगी डिस्प्ले

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सभी सरकारी अस्पतालों से ये भी कहा गया है कि वो उपलब्ध दवाइयों की लिस्ट डिस्प्ले करें. अब डॉक्टर मरीज को चाहकर भी बाहर से दवा नहीं लिख सकते. ऐसे में अब जन औषधी केंद्र से दवाइयां ली जा सकेंगी.
 
आजतक से बातचीत में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि यह फैसला जनता के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है. अगर अस्पताल में दवाएं नहीं हैं, और डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं तो वे ब्रांड के नाम की जगह सॉल्ट का नाम लिखेंगे. अगर डॉक्टर बाहर की दवा लिखते पाए गए, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. 

मरीज सरकारी अस्पताल के जन औषधि केंद्र से जेनेरिक दवा खरीद सकता है. इसे सख्ती से लागू किया जाएगा. अगर डॉक्टर इस आदेश का पालन नहीं करते, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी.

Advertisement

बताया जा रहा है कि डॉक्टरों द्वारा ब्रांडेड दवा लिखने की कई शिकायतें स्वास्थ्य विभाग को मिली हैं. इसी वजह से ये आदेश जारी किया गया. चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने मंगलवार शाम को ये आदेश जारी किया.

जेनेरिक दवाओं और ब्रांडेड में क्या है अंतर? 

दरअसल, किसी बीमारी की दवा एक तरह का 'केमिकल सॉल्ट' होता है. जेनेरिक दवा जिस सॉल्ट से बनी होती है, उसी के नाम से जानी जाती है. वहीं, कंपनी जब इसे अपना नाम दे देती हैं, तो यह ब्रांडेड हो जाती है.

जैसे दर्द या बुखार में काम आने वाली दवा में पैरासिटामोल सॉल्ट होता है. लेकिन जब इसे कोई ब्रांड बनाता है, तो उसे अपना नाम दे देता है. जहां सर्दी-खांसी, बुखार जैसी बीमारियों की जेनेरिक दवाएं 1-2 रुपए प्रति टैबलेट में उपलब्ध होती हैं, तो वहीं, ब्रांडेड के लिए ग्राहकों को इनकी कीमत कई गुना तक देनी पड़ती है. 
 


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement