
हरियाणा के बाद अब यूपी सरकार ने भी प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय निवासियों को आरक्षण देने की घोषणा की है. बुधवार को ये घोषणा ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने की. अथॉरिटी के आदेश के मुताबिक, क्षेत्र में लगे इंडस्ट्रीज को लोकल लोगों को 40 प्रतिशत तक रोजगार देना होगा.
ये ऑर्डर ऐसे समय में आया है, जब किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने नोएडा के जाट और गुर्जर जातियों को प्राइवेट फर्मों में नौकरी न मिलने का आरोप लगाते हुए दिल्ली- नोएडा बॉर्डर जाम करने की चेतावनी दी है.
जहां एक तरफ स्थानीय विधायकों ने इस निर्णय को लेकर ख़ुशी जताई, वहीं दूसरी तरफ मल्टीनेशनल कंपनी, कॉर्पोरेट और बीपीओ सेक्टर के लोगों ने सरकारी फरमान का विरोध किया है. ग्रेटर नोएडा के जेवर से विधायक धीरेंद्र सिंह ने ट्वीट कर कहा की ये बहुत पुरानी मांग थी और उन्हें ख़ुशी है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने भी यमुना प्रधिकरण की तरह लोकल लोगों को रोजगार देने की पहल की है.
वहीं दादरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक तेजपाल नागर ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले विधानसभा में इस पर सवाल उठाया था. नागर ने अथॉरिटी के इस फरमान को युवाओं को रोजगार देने में 'मील का पत्त्थर' बताया और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उद्योग मंत्री सतीश महाना को धन्यवाद दिया.
हालांकि, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का ये फरमान कॉर्पोरेट सेक्टर के गले नहीं उतर रहा. ग्लोबल एसोसिएशन फॉर कॉर्पोरेट सर्विसेज (जीएसीएस) के फाउंडर मेंबर समीर सक्सेना ने इस आर्डर को कॉर्पोरेट की मुसीबत बढ़ाने वाला बताया. उन्होंने कहा की अधिकारियों को ये स्पष्ट करना चाहिए की लोकल आखिर है कौन, जो यहां पिछले कई सालों से रह रहा है या जिसका यहां घर है, या जिसका यहां गांव है.
कॉर्पोरेट सेक्टर के लोगों का कहना है कि बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) और नॉलेज प्रोसेस ओउटसोर्स (केपीओ), जो की ग्रेटर नोएडा में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार देते हैं, इस आर्डर का पालन कैसे करेंगे. क्योंकि यहां अनस्किल्ड लोग काम तो करते हैं, लेकिन उनको अंग्रेजी की अच्छी जानकारी नहीं होती है. चालीस प्रतिशत लोकल लोगों को भर्ती करने में हम ऐसे वर्कर कहां से लाएंगे.
राहुल लाल, जो की एक कॉर्पोरेट फर्म में बड़े अधिकारी हैं और जीएसीएस के सदस्य भी हैं, ने कहा की अथॉरिटी के ऐसे आदेश से कम्पनियां ग्रेटर नोएडा में ऑफिस खोलने से बचेंगी. ऐसे आदेशों से प्राइवेट कंपनी के कामों में सरकारी दखलंदाजी बढ़ेगी, जो शहर या देश के विकास के लिए अच्छा नहीं है. इंडस्ट्री को बिज़नेस के लिए अच्छे वर्करों की जरूरत है, सरकार की इसमें दखलंदाजी ठीक नहीं. लोकल लोगों को रोजगार देने के और तरीके अपनाये जा सकते हैं.