
वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले में श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा के अधिकार को लेकर जिला जज की अदालत में सुनवाई का दौर जारी है. सोमवार को हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट के सामने तमाम तरह की दलीलें रखी गई थीं. केस की मुख्य वादी राखी सिंह की ओर से उनके वकील ने 361 पन्नों के लिखित जवाब भी दाखिल किया.
करीब दो घंटे तक कोर्ट में बहस चलती रही. उस बहस के दौरान राखी सिंह के वकील ने प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, विश्वनाथ मंदिर एक्ट और वक्फ एक्ट के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर में पूजा की मांग का दावा कहीं से भी खारिज नहीं हो सकता है. इस मामले में जिला जज की अदालत ने कल 19 जुलाई की सुनवाई की फिर तारीख तय की है.
जानकारी के लिए बता दें कि कल भी राखी सिंह के वकील ही अपनी दलील जारी रखने वाले हैं. मामले की सुनवाई के बाद राखी सिंह की तरफ से वकील शिवम गौड़ ने बताया कि आज लगभग चली 2 घंटे की सुनवाई के दौरान उन्होंने माननीय न्यायालय के समक्ष प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, विश्वनाथ मंदिर एक्ट और वक्फ एक्ट का हवाला देते हुई कई मुद्दों पर बात की गई.
उन्होंने बताया कि आज की सुनवाई के दौरान उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के ऐसे 100 फैसलों को भी सामने रखा है. जिससे हिन्दू पक्ष का दावा मजबूत होता है. उन्होंने बताया कि प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट इसलिए उनके दावे को खारिज नहीं कर सकता क्योंकि 1993 तक हिंदुओं ने श्रृंगार गौरी की पूजा मंदिर में की थी और सरकार ने बैरिकेडिंग लगाकर उसको से रुकवाया था. इसके अलावा वक्फ एक्ट का भी हवाला दिया गया. जिसके तहत किसी भी वक्फ एक्ट, ट्रिब्यूनल या कमेटी को मंदिर में पूजा का अधिकार नही है.