
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद बहस तेज हो गई है. हाल ही में जमीयत-ए-उलेमा हिंद की ओर से आयोजित दो दिवसीय जलसे के बाद वाराणसी में धर्म परिषद का आयोजन किया गया. धर्म परिषद की बैठक लमही स्थित सुभाष नगर में हुई. इसमें संतों ने मांग की कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा और दर्शन की तत्काल अनुमति मिले. काशी में पवित्रता का सिद्धांत लागू हो.
बैठक में संत-महंत, इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मृदुला जायसवाल ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से काशी पर हुए मुस्लिम आक्रमण को प्रदर्शित किया गया. वहीं अधिवक्ता आत्मप्रकाश सिंह ने हिन्दुओं के पूजा करने के मौलिक अधिकार के सभी कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत किए. इस दौरान काशी के संतों ने कानूनी तौर पर पूजा के अधिकार को मांगने का फैसला किया.
बैठक में सखी श्याम प्रिया ने कहा कि हम कानून के रास्ते जाकर महादेव का जलाभिषेक करेंगे. भदैनी के प्राचीन शिव मंदिर के महंत श्रवण दास जी महाराज ने कहा कि हमें संगठित होने की आवश्यकता है और हमें जन आन्दोलन करना होगा. उधर, लोटा टिलामठ ईश्वरगंगी के महंत उमेश दास जी महाराज ने कहा कि 4000 वर्षों का इतिहास कोई झुठला नहीं सकता है. काशी के कण–कण में शंकर हैं.
बैठक की अध्यक्षता कर रहे पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर और काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि हिन्दू सनातन धर्म पर बहुत जुल्म हुए. हम न्याय की मांग कर रहे हैं. ज्ञानवापी परिसर में नमाज को बंद की जाए. नहीं तो हमें भी पूजा का अधिकार दिया जाए. संत समाज की सरलता ही उनकी पहचान है. विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष रामपंथ के पंथाचार्य और इतिहासकार डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि दुनिया के सभी धर्म स्थलों की तरह काशी में भी पवित्रता का सिद्धांत लागू होना चाहिए. आदि विश्वेश्वर नाथ की परिधि तय हो, जहां उनके भक्तों को प्रवेश मिले. इतिहास के साक्ष्यों के आधार पर हिन्दुओं के पवित्रतम स्थान को वापस कर देना चाहिए. औरंगजेब की अदालत में तो न्याय नहीं मिल पाया, लेकिन अब न्याय की उम्मीद है.
काशी धर्म परिषद की बैठक में महंत विजयराम दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत राजाराम दास, महंत सत्यस्वरूप शास्त्री, महंत महावीर दास, महंत अरिहन्त दास, महंत मोहन दास, महंत लकी पाठक, महंत अनुराग दास, महंत उमेश दास, महंत नारायण दास, महंत सत्यनारायण दास, महंत ईश्वर दास, महंत सियाराम दास, महंत श्रवण दास, श्यामप्रिया सखी मौजूद रहीं.