ज्ञानवापी केस में वाराणसी की जिला कोर्ट 26 मई को अगली सुनवाई करेगा. जिला जज ने साफ कर दिया है कि 26 मई को केस की मेंटेनेबिलिटी यानी 7-11 पर सबसे पहले सुनवाई होगी. कोर्ट ने दोनों पक्षों से ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट पर एक हफ्ते में आपत्तियां दाखिल करने को कहा है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले से जुड़ीं सभी याचिकाओं को सेशन कोर्ट से जिला अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. सोमवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेशा ने दोनों पक्षों को 45 मिनट तक सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की इजाजत मांगने वाली याचिका फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर कर दी गई है. अब इस पर 30 मई को सुनवाई होगी. फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले को महेंद्र पांडे सुनेंगे. वाराणसी के सिविल कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला लिया है.
दरअसल, हिंदू पक्ष ने सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें ज्ञानवापी मस्जिद हिंदुओं को सौंपने और पूजा की मांग की गई थी, इस पर बुधवार को सुनवाई हुई थी. बता दें कि वाराणसी जिला कोर्ट में चल रहा ज्ञानवापी का मामला दूसरा है. उस पर 26 मई को सुनवाई होगी.
सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में इस अलग मामले को लेकर मंगलवार को याचिका दायर की गई थी. यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी और विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह की ओर से दाखिल हुई थी.
वाराणसी के जिला न्यायालय ने आज श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मामले की पोषणीयता पर फैसला सुनाया और अगली तारीख 26 मई को निर्धारित की है. इस संबंध में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने आजतक से बातचीत की और बताया कि दूसरे पक्ष ने कहा था कि प्लेसिस ऑफ वॉरशिप एक्ट का उल्लंघन हो रहा है तो उस पर सुनवाई के लिए इन लोगों ने कहा था. हम लोगों ने पक्ष रखा था कि वीडियोग्राफी और सारे साक्ष्य के साथ सुनवाई हो. न्यायालय ने जो आज फैसला दिया है उसमें कहा है कि 26 तारीख से 7 रूल 11 पर सुनवाई होगी. इसके साथ ही कोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर सभी पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने का वक्त दिया है. जो कमीशन रिपोर्ट आई है उस रिपोर्ट के संबंध में फिर सप्ताह के अंदर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं. साथ ही हम लोगों का प्रार्थना पत्र जो रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए दिया था, उसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि आज के फैसले से हमारे केस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हमारे सभी दावे साक्ष्य के आधार पर प्रस्तुत किए गए हैं. हम लोगों ने प्लेसिस ऑफ वारशिप एक्ट का कहीं भी उल्लंघन नहीं किया है. हम तो निश्चिंत हैं.
वाराणसी जिला जज अजय कुमार विश्वेश ने कहा, नागरिक प्रक्रिया संहिता सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर सुनवाई होगी. सुनवाई की अगली तारीख 26 मई को तय की गई. मुस्लिम पक्ष से जज ने सर्वे रिपोर्ट पर आपत्ति भी मांगी है.
वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेशा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वे इस मामले पर 26 मई को सुनवाई करेंगे. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि 7-11 पर मामला सुना जाए. कोर्ट ने कहा कि 7-11 को पहले सुना जाएगा. इसके साथ ही जिला कोर्ट ने 7 दिन के भीतर सेशन कोर्ट के फैसले पर हुए सर्वे की रिपोर्ट पर दोनों पक्षों से आपत्तियां दाखिल करने को कहा है.
वादी प्रतिवादी और उनके वकील भी कोर्ट चेंबर में पहुंच गए हैं. जिला जज फाइल का अवलोकन कर रहे हैं. विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह भी जज के सामने मौजूद हैं. वहीं, सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह कोर्ट रूम के बाहर हैं.
वाराणसी कोर्ट थोड़ी देर में फैसला सुनाएगा, जज कोर्ट चेंबर में पहुंच गए हैं.
सरकारी वकील महेन्द्र पाण्डेय कोर्ट पहुंच गए हैं. थोड़ी देर में सुनवाई शुरू हो जाएगी. पुलिस सूची में शामिल वादी प्रतिवादी पक्ष के लोगों और वकीलों को ही अंदर कोर्ट रूम में जाने दे रही है. कुल 32 लोगो को जज के चेबर मे जाने की इजाजत है.
हिंदू सेना ने मामले में पक्षकार बनाने की गुहार लगाते हुए कहा है कि ज्ञानवापी का पूरा परिसर हिंदू पक्षकारों को पूजा के लिया दिया जाए. काशी महादेव की नगरी है और अविमुक्त क्षेत्र भी है. अर्जी में कोर्ट से अपील की गई है कि कोर्ट सभी पक्षों की राय से जगह तय कर मस्जिद को कहीं और बनाने का आदेश दे. ज्ञानवापी का पूरा परिसर शिव परिवार की पूजा अर्चना के लिए हिन्दू पक्ष को दिलवाया जाए. (इनपुट- संजय शर्मा)
हिंदू पक्ष की ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर क्या हैं मांगें
1. श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की मांग
2. वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की मांग
3. नंदी के उत्तर में मौजूद दीवार को तोड़कर मलबा हटाने की मांग
4. शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई जानने के लिए सर्वे की मांग
5. वजूखाने का वैकल्पिक इंतजाम करने की मांग
मुस्लिम पक्ष की क्या है मांग?
1. वजूखाने को सील करने का विरोध
2. 1991 एक्ट के तहत ज्ञानवापी सर्वे और केस पर सवाल
दरअसल, वादी हिंदू पक्ष की तरफ से जिला जज की कोर्ट से यह मांग की गई कि सर्वे के दौरान इकट्ठे किए गए साक्ष्यों को कोर्ट पहले देख ले फिर तय करे कि आगे किस तरह सुनवाई करना है. वहीं प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष मुकदमे की पोषणीयता पर ही सुनवाई कराना चाहती थी.
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की अनुमति की मांग को लेकर कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. ये याचिका हिंदू सेना की ओर से दाखिल की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला सिविल जज से जिला कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. कोर्ट ने कहा था कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यह अच्छा होगा कि कोई सीनियर जज इस मामले पर सुनवाई करे, जिसे 25-30 साल का अनुभव हो.