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ज्ञानवापी में 'शिवलिंग' मिलने पर क्या था उस समय मौजूद लोगों का रिएक्शन? सर्वे टीम के सदस्य ने किए कई खुलासे

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम पूरा हो गया है. हिंदू पक्ष की ओर वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि तीसरे दिन के सर्वे के दौरान जब कथित शिवलिंग मिला और उस समय वहां पर मौजूद लोगों का रिएक्शन क्या था?

हिंदू पक्ष इसे ही शिवलिंग बता रहा है हिंदू पक्ष इसे ही शिवलिंग बता रहा है
समर्थ श्रीवास्तव
  • वाराणसी,
  • 17 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST
  • सर्वे टीम के सदस्य सोहनलाल आर्य ने किया खुलासा
  • कहा- मैंने मुस्लिम पक्ष से कहा था कि अगर फव्वारा है तो चालू करके दिखाओ

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा हो गया है और देश को रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन इस बीच वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. हिंदू पक्ष का कहना है कि वजूखाना का पानी हटाया गया तो वहां शिवलिंग मिला. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का खारिज कर दिया और कहा कि वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है. आइए जानते हैं कि तीसरे दिन के सर्वे के दौरान जब कथित शिवलिंग मिला और उस समय वहां पर मौजूद लोगों का रिएक्शन क्या था?

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इस सवाल का जवाब सर्वे टीम के सदस्य सोहनलाल आर्य ने आजतक से बात करते हुए दिया. उन्होंने बताया, 'सर्वे के दूसरे दिन ही हमने वजूखाने के पानी को हटाने के लिए कहा था, लेकिन उस वक्त इंतजामिया कमेटी ने कहा कि पानी खाली नहीं होगा. सर्वे के तीसरे दिन जब हम लोग पहुंचे तो हमने वजूखाने के पानी को हटाने का काम किया. किसी ने विरोध नहीं किया. वजूखाने में मछलियां थीं, इस वजह से खास एहतियात बरता जा रहा था, जैसे ही पानी हटा तो वहां शिवलिंग दिखा.'

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सोहनलाल आर्य ने आगे कहा, 'एक फीट पानी खाली होते ही वहां पर शिवलिंग उभर कर सामने आ गया. फिर पूरी सफाई हुई, विशेषज्ञ को बुलाया गया और पता चला कि यह एक ही पत्थर का बना काला शिवलिंग है. शिवलिंग के ऊपर दो ईटों को जोड़कर कहा जा रहा है कि यह फव्वारा है. उस वक्त हमने मुस्लिम पक्ष से कहा कि अगर फव्वारा है तो चालू कीजिए, लेकिन वह फव्वारा है ही नहीं, जिसे वह चालू करके दिखा पाते.'

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सोहनलाल आर्य ने आगे बताया, 'फिर विशाल सिंह गए और झाडू की सीक ले आए और उसके अंदर डालकर देखा. सीक केवल 6 इंच अंदर गई, इससे साफ हो गया कि यह फव्वारा नहीं है. फिर हमने विलियम अल्टेकर की किताब में 100 फीट के शिवलिंग के जिक्र वाली बात की पुष्टि की कोशिश की, तो हमने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि क्या नीचे जाने का मार्ग है, फिर हम नीचे उतरे और देखे की दीवार से चारों से उसकी चिनाई की गई थी.'

सोहनलाल आर्य ने कहा, 'हम लोगों की पूरी कल्पना है कि यह विशाल शिवलिंग नीचे तक आया हुआ है, और नीचे मां पार्वती का अर्घ्या है. अगले जांच कमीशन में हम इसकी जांच की मांग करेंगे.' सोहनलाल आर्य ने आरोप लगाया कि सर्वे से पहले मस्जिद में पुताई का काम करवाया गया था और तहखाने में इतनी मिट्टी कैसे मिली? हमें लगता है कि पुराने अवशेषों को गड्ढा खोदकर उसमें छिपाया गया है, जिसकी जांच कमीशन करने की मांग हम करेंगे.  

कथित शिवलिंग मिलने के बाद मौजूद लोगों के रिएक्शन के सवाल पर सोहनलाल आर्य ने कहा, 'हां यह सही बात है कि वहां पर मौजूद लोगों ने हर-हर महादेव का जयघोष लगाया था. सिर्फ वादी पक्ष ही नहीं प्रतिवादी पक्ष के लोग भी झूम उठे थे, हालांकि मैं उनका नाम नहीं बताऊंगा, लेकिन सभी लोग खुश हो गए थे.'

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कौन हैं सोहनलाल आर्य?

श्रृंगार गौरी को लेकर पहली याचिका दाखिल करने वाले सोहनलाल आर्य उस टीम का हिस्सा थे, जिसने 18 मई 1996 को ज्ञानवापी का पहला सर्वे करने की कोशिश की थी. आजतक से बात करते हुए सोहनलाल आर्य ने कहा कि 1996 में सर्वे के दौरान 500 लोगों ने ज्ञानवापी में सर्वे टीम को घेर लिया था, तब हमें वापस लौटना पड़ा था. 

सोहनलाल आर्य के मुताबिक, 18 मई 1996 को पूरा सर्वे नहीं हो पाया था, क्योंकि 500 लोगों ने सर्वे टीम को घेर लिया था. सोहनलाल ने उस वक्त के पेपर कटिंग भी दिखाए.

पेपर कटिंग दिखाते हुए सोहनलाल आर्य ने कहा, 'जब हम ज्ञानवापी में पहुंचे तो हम पांच लोग थे, मैं उस समय विश्व हिंदू परिषद का महानगर उपाध्यक्ष और प्रवक्ता था, हम लोग जैसे ही पहुंचे तो वहां 500 लोग आ गए, उस वक्त के एडीएम बादल चटर्जी ने कहा कि मैं आपके टीम की सुरक्षा नहीं कर सकता हूं. फिर मैंने कहा कि मैं मर जाऊंगा, लेकिन सर्वे कराऊंगा.'

सोहनलाल आर्य ने आगे कहा, 'किसी तरह से एडीएम ने 2 घंटे तक जांच कमीशन कराया, इसके बाद यह तय हुआ कि आगे का सर्वे दूसरे दिन होगा लेकिन दूसरा दिन हो नहीं पाया.' सोहनलाल आर्य हाल में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल की गई याचिकाकर्ताओं में से एक महिला के पति हैं और सर्वे टीम के सदस्य भी हैं. 

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सोहन लाल आर्य, 1984 से ज्ञानवापी मामले में संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने एक बैनर बनाया है, जिसका नाम रखा अखिल भारतीय ज्ञानवापी मुक्ति महा परिषद है. 1995 में श्रृंगार गौरी को लेकर पहली बार सोहनलाल ने ही याचिका दाखिल की थी. बाद श्रृंगार गौरी के अलावा आदि विशेश्वर महादेव मंदिर में दृश्य और अदृश्य मूर्तियों के संबंध में भी याचिका दायर की थी.

 

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