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हाथरस: भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर समेत 400 के खिलाफ केस दर्ज, परिवार से की थी मुलाकात

चंद्रशेखर ने कहा कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में मामले की जांच कराए जाने की मांग की.

भीम आर्मी चीफ के खिलाफ केस दर्ज (फाइल फोटो) भीम आर्मी चीफ के खिलाफ केस दर्ज (फाइल फोटो)
राजेश सिंघल
  • हाथरस,
  • 05 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST
  • पीड़िता की मौत पर राजनीतिक घमासान जारी
  • चंद्रशेखर समेत 400 के खिलाफ केस दर्ज
  • रविवार को पीड़िता के परिवार से की थी मुलाकात

उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप के बाद पीड़िता की मौत को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण रविवार को पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे थे. काफी हंगामे के बाद पुलिस ने चंद्रशेखर रावण के साथ 10 लोगों को परिवार वालों से मिलने दिया. हालांकि यूपी पुलिस ने इस मामले में भीम आर्मी चीफ सहित 400 कार्यकर्ताओं के खिलाफ धारा 188 और 144 के तहत केस दर्ज किया है.    

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इससे पहले भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने रविवार को पीड़ित परिवार से मुलाकात की. चंद्रशेखर ने पीड़ित परिवार को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दिए जाने की मांग की और कहा कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में मामले की जांच कराए जाने की मांग की. भीम आर्मी चीफ ने पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाया और कहा कि पीड़िता का परिवार गांव में नहीं रहना चाहता. 

चंद्रशेखर ने कहा कि परिवार मेरे साथ ही जाना चाहता था. आसपास भी पंचायत हुई है, जिसके कारण पीड़ित परिवार असुरक्षित महसूस कर रहा है. भीम आर्मी के प्रमुख ने कहा कि जब कंगना रनौत को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी जा सकती है, तो इस परिवार को क्यों नहीं. 

चंद्रशेखर ने कहा कि यदि प्रशासन इस परिवार को सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकता तो वह भी हमें बताए. पीड़ित परिवार को अपने घर ले जाएंगे और भीम आर्मी के 1000 सदस्य परिवार की सुरक्षा करेंगे.

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पीड़िता के एक मेडिकल रिपोर्ट में रेप की बात
हाथरस की पीड़िता ने जख्मी हालत में एक वीडियो में बयान दिया था कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया. आठ दिन बाद अलीगढ़ के अस्पताल की ओर से पीड़िता के मेडिको-लीगल निरीक्षण में प्राइवेट पार्ट में ‘कम्पलीट पेनिट्रेशन’, ‘गला दबाने’ और ‘मुंह बांधने’ का जिक्र था.

लेकिन इसी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) ने अपनी फाइनल ओपिनियन में, फॉरेंसिक विश्लेषण का हवाला देते हुए इंटरकोर्स की संभावना को खारिज कर दिया.

22 सितंबर की मेडिको लीगल केस (MLC) रिपोर्ट ने यूपी पुलिस के उन दावों का खंडन किया कि फॉरेंसिक जांच में रेप के कोई सबूत नहीं मिले. उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने जोर देकर कहा था कि पीड़िता के सैम्पल्स पर शुक्राणु/वीर्य नहीं पाए गए. 

JNMC के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओर से तैयारी एमएलसी के मुताबिक पीड़िता ने हमले के वक्त अपनी सुध खो दी थी. 

 

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