Advertisement

हाथरस केस: पीड़िता के जबरन अंतिम संस्कार पर बवाल, महिला आयोग ने मांगा जवाब

हाथरस गैंगरेप पीड़िता का जिस तरह आधी रात को अंतिम संस्कार कर दिया गया, उसपर काफी विवाद हो रहा है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले में दखल दिया है.

हाथरस घटना को लेकर देश में गुस्सा (पीटीआई फोटो) हाथरस घटना को लेकर देश में गुस्सा (पीटीआई फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST
  • हाथरस गैंगरेप मामले पर देश में गुस्सा
  • महिला आयोग ने लिया मामले का संज्ञान

उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता का बीती रात को अंतिम संस्कार कर दिया गया. पुलिस पर आरोप है कि बिना परिवारवालों की मर्जी और मौजूदगी के ही पुलिस ने जबरन अंतिम संस्कार कर दिया. इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से प्रदेश की पुलिस से सफाई मांगी गई थी, जिसपर अब जवाब आया है.

महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना में रात को ढाई बजे ही अंतिम संस्कार किया गया. ऐसा क्यों? महिला आयोग इसकी निंदा करता है.

Advertisement

The brother of the victim called and told my office that he and father of the victim was taken to the Cremation ground while the Cremation was on but were not allowed to see the face. https://t.co/ZfgKJYI21W

— Rekha Sharma (@sharmarekha) September 30, 2020


इस ट्वीट के कुछ देर बाद रेखा शर्मा ने फिर ट्वीट करते हुए कहा कि हाथरस घटना की पीड़िता के भाई ने हमारे दफ्तर में फोन किया और जानकारी दी कि उन्हें और पिता को अंतिम संस्कार वाली जगह जाने की इजाजत दी गई थी, लेकिन पीड़िता का चेहरा नहीं देखने दिया गया था.

एक वकील के द्वारा मानवाधिकार आयोग में अपील दायर की गई है कि इस पूरे मामले की जांच हो, सीआईडी या फिर एसआईटी मामले में पुलिस की लापरवाही को भी जांचे.

गौरतलब है कि इससे पहले परिवार की ओर से बयान दिया गया था कि पुलिसवालों ने उनकी बात नहीं मानी और घर में बंद करके जबरन ही अंतिम संस्कार कर दिया. हालांकि, हाथरस की पुलिस और प्रशासन ने बार-बार इसे गलत बताया.

दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने भी इस मामले में एक्शन की मांग की है और चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखते हुए जांच करवाए जाने की मांग की है. दिल्ली महिला आयोग की ओर से पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिए जाने की मांग की गई है. 

इस पूरी घटना पर पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी बेटी चौथी-पांचवीं तक पढ़ी थी, घर के सारे काम में हाथ बंटाती थी. वो हमारी सबसे दुलारी बेटी थी, लेकिन अंत में उसका चेहरा नहीं देखने दिया गया. बुधवार को स्थानीय सांसद भी परिवार से मिलने पहुंचे, जहां परिजनों ने काफी नाराजगी जताई.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement