Advertisement

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट में 29 मार्च से जारी रहेगी सुनवाई, जानें पूरा मामला

Kashi Vishwanath Nath Mandir and Gyanvapi Masjid Dispute: काशी विश्वनाथ नाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं की 29 मार्च से लगातार सुनवाई जारी रहेगी. HC ने कहा है कि आपराधिक मामले में प्रिंटेड प्रोफार्मा में सम्मन जारी ना किए जाएं. इस मामले में कोर्ट ने महानिबंधक को प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है.

श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (फाइल फोटो) श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (फाइल फोटो)
पंकज श्रीवास्तव
  • वाराणसी,
  • 25 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST
  • वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानव्यापी मस्जिद विवाद मामला
  • HC में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई 29 मार्च से लगातार जारी रहेगी

उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ नाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई अब 29 मार्च से लगातार जारी रहेगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका व अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं. विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वकील विजय शंकर रस्तोगी ने अतिरिक्त लिखित बहस दाखिल की. 

उन्होंने कहा कि याची ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 डी के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उस पर बल न देकर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है.

Advertisement

ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर का कब्जा
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर वाद बिंदु तय किए हैं. इनका कहना है कि संपत्ति लार्ड विश्वेश्वर मंदिर की है, जो सतयुग से विद्यमान है. ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर का कब्जा है. पूजा अर्चना जारी है. स्वयं भू लार्ड विश्वेश्वर स्वयं विराजमान हैं, जो कि 15वीं सदी के मंदिर का हिस्सा है. जमीन की प्रकृति धार्मिक है. इसलिए प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 इस पर लागू नहीं होगा.

29 मार्च को भी बहस रहेगी जारी
समय की कमी के कारण हो रही बहस को पूरा नहीं किया जा सका. अब 29 मार्च को भी बहस जारी रहेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर परिसर के सर्वे कराने के वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगा रखी है.

प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामले में प्रिंटेड प्रोफार्मा में समन जारी ना किए जाएं. इस मामले में कोर्ट ने महानिबंधक को प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक केस में आरोपी को समन जारी करना गंभीर मामला है. प्रिंटेड प्रोफार्मा में खाली स्थान भरकर समन जारी करना स्थापित न्यायिक मानदंडों के प्रतिकूल है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement