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यूपी में BJP की सियासत पर आलाकमान की दस्तक, बड़ी कार्रवाई के संकेत?

बीएल संतोष के पहले संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले भी 2 दिन तक उत्तर प्रदेश में संघ नेताओं और कार्यकर्ताओं को टटोलकर जा चुके हैं. उससे भी पहले की बात करें तो दिल्ली में यूपी बीजेपी के संगठन के बड़े नेता सुनील बंसल संगठन महासचिव बीएल संतोष और जेपी नड्डा की भी आपस की चर्चा हो चुकी है.

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 04 जून 2021,
  • अपडेटेड 7:36 AM IST
  • तीन दिनों तक लखनऊ टिककर बीएल संतोष ने सरकार की कुंडली खंगाली
  • संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले भी 2 दिन यूपी को टटोलकर गए

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 3 दिनों तक जमे बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने जब पार्टी और सरकार की कुंडली खंगाली तो यूपी बीजेपी में भूचाल आ गया. हालांकि एक हलचल के बाद फिलहाल खामोशी है. माना जा रहा है कि यह तूफान के पहले की खामोशी है. बीएल संतोष बुधवार को अपनी फीडबैक की रिपोर्ट लेकर दिल्ली चले गए.

उनसे पहले बुधवार को ही सुबह की फ्लाइट से बीजेपी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधा मोहन सिंह भी दिल्ली चले गए, जहां चर्चा अब दिल्ली में होनेवाले आरएसएस की उस बड़ी बैठक की हो रही है जिसमें संघ कई बड़े बड़े मुद्दों पर अपनी राय और फैसला लेगा. 

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बीएल संतोष के पहले संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले भी 2 दिन तक उत्तर प्रदेश में संघ नेताओं और कार्यकर्ताओं को टटोलकर जा चुके हैं. उससे भी पहले की बात करें तो दिल्ली में यूपी बीजेपी के संगठन के बड़े नेता सुनील बंसल संगठन महासचिव बीएल संतोष और जेपी नड्डा की भी आपस की चर्चा हो चुकी है. ऐसे में आखिर लगातार चल रही इन मैराथन मीटिंग और लखनऊ के 3 दिनों की बीजेपी के इस मंथन का सियासी मतलब क्या है?

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इन मीटिंग में क्या हुआ 

ज्यादातर उन मंत्रियों से अलग से बात की गई जो योगी सरकार में रहते हुए समय-समय पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. केशव मौर्य डिप्टी सीएम हैं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनके रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं.  केशव मौर्य ने तो मीडिया को जो बातें कहीं उसने कई कयासों को जन्म दे दिया, यानी तैयारी 2022 की,  हर फैसला उसी के मद्देनजर.

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श्रीकांत शर्मा बिजली मंत्री हैं, लेकिन उनकी नाराजगी भी साफ दिखाई देती है. सरकार के प्रवक्ता रहते पिछले कई महीनों से उन्होंने सरकार का पक्ष रखना बंद कर दिया है. और अब मीडिया से भी दूरी बना रखी है. इस बार भी अपनी चुप्पी बरकरार रखी है. मिलने वालों में बृजेश पाठक और मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर भी थे जिन्होंने कोरोना के इस दौर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर अपने ही सरकार पर सवाल उठाये थे.

मंत्रियों का फीडबैक

मंत्रियों में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना, दारा सिंह चौहान, स्वाति सिंह जैसे कई मंत्रियों ने मुलाकात की. चर्चा यह भी है कि कई ऐसे मंत्री जिनका परफारमेंस अच्छा नहीं है. ऐसे मंत्रियों पर भी बीएल संतोष को फीडबैक दिया गया है. बीएल संतोष से बारी-बारी से मुलाकात कर निकलते मंत्री हालांकि इसे संगठन और कोरोना से जोड़कर ही बताते रहे और होने वाली चर्चा को सिर्फ मीडिया की कयास बाजी करार देते रहे.

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सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में आने वालों ने योगी सरकार के काम करने के तौर तरीकों पर भी अपना गुबार निकाला. ज्यादातर गुस्सा, नौकरशाही को खुली छूट देने, मंत्रियों के बजाय अफसरों को ज्यादा तवज्जो देने और राजनीतिक लोगों के बजाय अफसरशाही पर ज्यादा भरोसा करने जैसी बातें बीएल संतोष को बताई गयीं. 3 दिनों के दौरे में बीएल संतोष ने सोमवार रात योगी आदित्यनाथ के साथ डिनर पर एक मीटिंग में जो करीब ढाई घंटे चली है.

इस मीटिंग का कोई ब्यौरा सामने नहीं आया, लेकिन बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 किए हुए अपने काम को बीएल संतोष को बताया जबकि संगठन महासचिव ने अफसर से एमएलसी बने एके शर्मा को कैबिनेट में लाए जाने को लेकर योगी आदित्यनाथ का मन टटोला और केंद्र की इच्छा बताई.

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हालांकि मुख्यमंत्री योगी यह कहना साफ था कि प्रदेश में कोई ऐसा काम ना हो जिससे यह मैसेज जाए कि यूपी में 2 पावर सेंटर हो गए हैं. क्योंकि इससे अंततः पार्टी का ही नुकसान होगा. बहरहाल पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेंगे, लेकिन इस रिपोर्ट कौन सी कार्रवाई होगी? इस पर सबकी नजर टिकी है. 
 


 

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