
अब हजरतगंज से ताजगंज दूर नहीं. हजरतगंज यानी लखनऊ और ताजगंज का मतलब ताजमहल का शहर आगरा. अखिलेश यादव की फोटो के साथ ये होर्डिंग लखनऊ से लेकर उन्नाव तक कई जगहों पर लगी हैं. रविवार को उन्नाव के करीब बांगरमऊ में अपनी बनाई हुई एक्सप्रेसवे पर फाइटर जेट उतारकर अखिलेश यादव ने न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया बल्कि अपने विरोधियों का मुंह बंद करने का भी इंतजाम कर लिया.
उन्नाव के बांगरमऊ में अखिलेश यादव जब 23 महीने में तैयार की गई 302 किलोमीटर की एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने पहुंचे. तो मुलायम सिंह समेत पूरा कुनबा वहां पर मौजूद था. रामगोपाल यादव भी आए थे और जया बच्चन भी आई थीं. इस मौके पर साथ आकर यह दिखाने की कोशिश हुई कि परिवार के बीच की खाई अब मिट चुकी है और समाजवादी पार्टी के साइकिल अखिलेश के बनाए हुए एक्सप्रेस-वे पर सरपट दौड़ेगी.
देश की सबसे बड़ी ये एक्सप्रेस-वे 13200 करोड रुपये की लागत से बनाई गई. 302 किलोमीटर लंबी, 6 लेन की इस एक्सप्रेस-वे की सबसे खास बात यह है कि इसे 2 साल से कम में बनाया गया. सबसे बड़ी बात यह है कि किसी भी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण एक बहुत चुनौती भरा काम होता जो अक्सर विवादों और अदालतों में फंस जाता है. लेकिन एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन का अधिग्रहण इतने शांतिपूर्ण तरीके से हुआ कि किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई. एक्सप्रेस-वे आगरा से शुरू होकर फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, हरदोई, कानपुर और उन्नाव होते हुए लखनऊ तक पहुंचेगी.
एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव के पास 3 किलोमीटर का ऐसा रनवे तैयार किया गया है जहां जरूरत पड़ने पर लड़ाकू जहाज उतर सकते हैं. आम दिनों में ये एक्सप्रेस सड़क की तरह काम करेगी लेकिन किसी जरूरत के समय 3 किलोमीटर के इस सड़क के दोनों तरफ से बंद करके वायु सेना के लिए एयर स्ट्रिप की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा. सडक का लोकार्पण इसी जगह पर किया गया. लोकार्पण के कार्यक्रम में पहली बार एक के बाद एक छह मिराज और सुखोई विमान यहां पर उतरे. यह पहली बार था जब किसी सड़क पर सुखोई विमान उतार कर दिखाया गया. हालांकि सुखोई के जमीन पर आने के ठीक पहले सड़क पर एक कुत्ता आ जाने से अफरा-तफरी मच गई.
चुनाव आचार संहिता लागू होने के डर से आनन-फानन में एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण तो कर दिया गया लेकिन अभी यह पूरा बिल्कुल नहीं हुआ है. एक्सप्रेस वे पर अगर आप सफर करें, तो पता चलता है कि रास्ते में पुल पुलिया बनाने से लेकर तमाम काम अभी बचे हुए हैं और सड़क को पूरी तरह से शुरू करने में अभी कई महीनों का समय लगेगा.
आधी-अधूरी सड़क पर लोग अगर चलना शुरू कर दें तो दुर्घटना का खतरा भी काफी बढ़ जाता है. इसी लोकार्पण कार्यक्रम के तैयारियों का जायजा लेने के लिए जब उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल कुछ दिनों पहले आ रहे थे तो उनका कार एक्सीडेंट हो गया और वह बुरी तरह घायल होकर अस्पताल पहुंच गए. एक्सप्रेस-वे को बनवाने में नवनीत सहगल ने बड़ी भूमिका निभाई है. दुर्घटना में उनके घायल होने के बाद एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान होने वाले तमाम संस्कृति कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था.
खुद यूपी सरकार मान रही है कि अभी एक महीने तक इस सड़क पर यातायात की अनुमति नहीं दी जा सकती. मायावती ने एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण के बाद कहा कि सिर्फ दिखाने के लिए अखिलेश यादव की सरकार आधे अधूरे कामों का भी उद्घाटन कर रही है. इस आरोप में कुछ सच्चाई भी है कि अखिलेश यादव चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले धड़ाधड़ अपनी ड्रीम प्रोजेक्ट का लोकार्पण कर रहे हैं जबकि ज्यादातर प्रोजेक्ट में काम अभी बाकी है. यूपी डायल हंड्रेड और गोमती रिवर फ्रंट का भी इसी तरह से पिछले हफ्ते लोकार्पण किया गया जबकि यह पूरा नहीं हुआ है. अखिलेश यादव जल्दी से जल्दी लखनऊ मेट्रो का भी उद्घाटन करना चाहते हैं.
लेकिन इन सब के बावजूद एक्सप्रेस-वे तैयार होने के बाद एक ऐसा शानदार काम जरुर होगा जिस पर समाजवादी पार्टी के लोग गर्व कर सकेंगे और चुनाव में वोट मांगने के लिए अखिलेश यादव के पास अब एक अच्छा मुद्दा है.