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सत्येंद्र कुमार दुबे अवॉर्ड से DIG विकास वैभव को नवाजेगा IIT कानपुर

आईआईटी कानपुर हर साल देश के किसी न किसी ईमानदार पुलिस अधिकारी को सतेंद्र कुमार दुबे मेमोरियल अवॉर्ड प्रदान करता है. वहीं इस बार आईआईटी कानपुर ने विकास वैभव को इस अवार्ड के लिए चुना है. विकास भी आईआईटी कानपुर के छात्र रह चुके हैं.

विकास वैभव (फोटो-कुमार अभिषेक/रंजय सिंह) विकास वैभव (फोटो-कुमार अभिषेक/रंजय सिंह)
कुमार अभिषेक
  • कानपुर,
  • 01 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:04 PM IST

  • सत्येंद्र कुमार दुबे अवार्ड से सम्मानित होंगे DIG विकास वैभव
  • ईमानदार और तेज तर्रार छवि के लिए जाने जाते हैं विकास वैभव
आईआईटी कानपुर हर साल देश के किसी न किसी ईमानदार पुलिस अधिकारी को सतेंद्र कुमार दुबे मेमोरियल अवॉर्ड प्रदान करता है. इंजीनियर सत्येंद्र कुमार दुबे की उनकी ईमानदारी के चलते हत्या की गई थी. सत्येंद्र आईआईटी कानपुर के ही छात्र थे. वहीं इस बार आईआईटी कानपुर ने विकास वैभव को इस अवॉर्ड के लिए चुना है. विकास भी आईआईटी कानपुर के छात्र रह चुके हैं. वहीं विकास अपनी ईमानदार और तेज तर्रार छवि से पूरे बिहार की जनता में लोकप्रिय पुलिस अधिकारी हैं.

बिहार के मुंगेर में डीआईजी पद पर तैनात विकास वैभव को आईआईटी कानपुर साल 2019 के सत्येंद्र कुमार दुबे मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित करेगी. कानपुर आईआईटी से 2001 में मैकेनिकल से बीटेक करने वाले विकास ने 2003 में UPSC एग्जाम क्लियर किया और बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी पर पोस्ट हो गए.

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विकास पटना, बाघा, रोहतास और दरभंगा जिले में एसपी से लेकर एसएसपी तक की पोस्ट पर जनता की सेवा कर चुके हैं. विकास ने बिहार के चर्चित क्रिमिनल और माफियाओं पर बगैर किसी दबाव के नकेल कसने में संकोच नहीं किया. बिहार में विकास अपने क्षेत्र के जिले में जनसंवाद कार्यक्रम शुरू करके जनता के दिलों में अपनी जगह भी बना चुके हैं. इस जनसंवाद कार्यक्रम में वे जनता से खुले मंच पर उनकी हर शिकायत को सुनते और उसका समाधान करवाते.

ट्रांसफर पर जनता सड़कों पर उतरी

वहीं बाघा जिले में 2009 में उनकी ऐसी लोकप्रियता जनता के बीच हो गई थी कि किसी भी राजनेता को उनकी लोकप्रियता खल जाए. जब यहां से उनका ट्रांसफर हुआ तो जिले की जनता सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर आई थी. विकास वैभव को कानपुर आईआईटी के जरिए इस अवॉर्ड के लिए चुना जाना उनके उस कर्तव्य, ईमानदारी और मानवीय जज्बातों को दर्शाता है, जिसके बल पर उन्होंने बिहार पुलिस को यह एहसास करवाया कि बिहार में सिर्फ अपहरण, हत्याओं को न रोक पाने वाले अधिकारी ही नहीं बल्कि विकास जैसे ऐसे अधिकारी भी मौजूद हैं जिनके सिर्फ ट्रांसफर पर ही जनता सड़कों पर उतर कर विद्रोह जैसे कदम उठा लेती है.

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वहीं विकास का मानना है कि पुलिसिंग केवल गन और लाठी चलाना ही नहीं है बल्कि ये मानवीय सेवाओं का एक प्रतिबिंब है. 2 नवंबर को आईआईटी कानपुर सत्येंद्र कुमार दुबे मेमोरियल अवॉर्ड से विकास वैभव को सम्मानित करेगी. वहीं शनिवार को आईआईटी कानपुर का डायमंड जुबली फाउंडेशन डे भी है.

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