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MLC Election: रायबरेली में 4 विधायक वाली सपा एमएलसी चुनाव में जमानत नहीं बचा सकी, तो क्या अपनों ने हराया?

MLC चुनाव के परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिए गए. रायबरेली में उम्मीद से विपरीत परिणाम आए. पिछले महीने विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के चार उम्मीदवारों ने अपनी जीत दर्ज करवाई थी. इसी आधार पर एमएलसी चुनाव में भी सपा से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी.

एमएलसी चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की एमएलसी चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की
शैलेन्द्र प्रताप सिंह
  • रायबरेली,
  • 12 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 10:19 PM IST
  • बीजेपी प्रत्याशी दिनेश सिंह 2304 वोट के साथ जीते
  • सपा प्रत्याशी वीरेंद्र शंकर सिंह को मिले 129 वोट
  • एमएलसी चुनाव में 23 मत हुए अवैध पाए गए

रायबरेली में मंगलवार को एमएलसी चुनाव का परिणाम उम्मीद से विपरीत रहा. डीएम वैभव श्रीवास्तव ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि बीजेपी के प्रत्याशी को 2304 वोट मिले हैं. वह विजयी घोषित हुए हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई है. पिछले महीने विधानसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी के चार उम्मीदवारों ने अपनी जीत दर्ज करवाई थी, तब ऐसा लगा था कि अब एमएलसी चुनाव में भी समाजवादी पार्टी का डंका बजेगा, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने सपा प्रत्याशी वीरेंद्र शंकर सिंह उर्फ़ वीरेंद्र यादव को न सिर्फ हराया बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई.

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वीरेंद्र सिंह बोले- 'मेरी किसी ने नहीं सुनी'

चुनाव परिणाम आने के बाद, सपा प्रत्याशी वीरेंद्र यादव ने कैमरे पर कुछ नहीं बोला, लेकिन फोन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी की जीत जनता की जीत नहीं है, बल्कि जन-धन-बल और प्रशासनिक अमले के सहयोग की जीत है. प्रधानों और बीडीसी के ऊपर दबाव बनाया गया. मैं लगातार फोन कर शिकायत करता रहा, लेकिन मेरी बात कहीं सुनी नहीं गई. हालांकि, दबी जुबान से उन्होंने भितरघात की बात भी स्वीकार की.

कहां-कैसा रहा सपा प्रत्याशियों का प्रदर्शन

- बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य की बहू सविता मौर्य, ऊंचाहार की गौरा ब्लॉक की प्रमुख हैं, लेकिन यहां भी प्रत्याशी को महज चंद वोट ही मिले, जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी को जिताने का दम भरा था.

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- ऊंचाहार से सपा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडे के क्षेत्र में तीनों ब्लॉकों में, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर सके. अब ऐसे में संकेत तो यही बता रहे हैं कि वीरेंद्र यादव को भितरघात का सामना करना पड़ा होगा. 

- बछरावां विधानसभा क्षेत्र जहां तीनों ब्लॉकों में समाजवादी पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी. यहां तक कि जिस क्षेत्र से यहां समाजवादी पार्टी का विधायक बना है, वहां पर भी विधायक अपने प्रत्याशी को दहाई का आंकड़ा पार कराने में नाकामयाब रहे. सूत्रों की मानें तो यहां भी जमकर भितरघात हुआ.

- सरेनी और हरचंदपुर विधानसभा में भी इसी कारण से सपा प्रत्याशी चुनाव में लड़ाई तो छोड़ दीजिए, अपनी जमानत के लिए संघर्ष करते दिखाई दिए. जहां 2480 मतों में जमानत बचाने के लिए करीब 410 वोट चाहिए थे, वहीं उन्हें महज 129 वोट ही मिल पाए.

दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाए

विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में अहम भूमिका निभाने वाले जिला अध्यक्ष वीरेंद्र यादव थे. वीरेंद्र रणनीति का ही हिस्सा थे. अब एक सवाल चर्चा में है कि जब वह खुद एमएलसी चुनाव के लिए प्रत्याशी बने, तो आखिर इन्हें इन चार विधायकों के क्षेत्र में वोट क्यों नहीं मिला. सूत्रों की मानें तो 18 ब्लॉकों में कई ब्लॉक ऐसे हैं, जहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके. यही वजह है कि वह अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. बड़े-बड़े दिग्गज अपने क्षेत्र से अपने प्रत्याशी जिला अध्यक्ष के लिए वोट मांगने निकले थे.

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कांग्रेस प्रत्याशी न होने से मिला फायदा

कांग्रेस ने रायबरेली सीट से अपना प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारा था. इस वजह से भी पार्टी के वे कार्यकर्ता जो वोटर थे, उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह को गुप्त रूप से वोट किया. यही वजह है कि बीजेपी से लगातार तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य बने और पहली बार बीजेपी के सिंबल पर जीतकर विधान परिषद पहुंचे.

प्रियंका-अखिलेश पर कसा तंज

पूर्व विधायक दिनेश प्रताप के भाई राकेश सिंह जीत का सर्टिफिकेट लेने पहुंचे, तो उन्होंने प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि सबको मिलाकर 129 वोट मिले, जबकि दिनेश प्रताप सिंह को 2304 वोट मिले. जिस जनपद में 4 विधायक समाजवादी पार्टी के हों, प्रियंका गांधी खुद नजर बनाए हुए थीं. इसके बाद भी सभी लोगों की जमानत जब्त हो रही है. 

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