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अब AC ट्रेन में नहीं मिलेंगे गंदे बिस्तर-कंबल, लागू होगी यह व्यवस्था

रेलवे प्रशासन का दावा है कि इस तरीके से प्रत्येक 15 दिन में हर एक कंबल  खुद ही बता देगा कि उसे धुले जाने की जरूरत है. रेलवे में प्रत्येक 15 दिन पर कंबल धुलने की व्यवस्था लागू है, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 16 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

ट्रेनों के एसी कोच में गंदे बिस्तर और कंबल की बढ़ती शिकायतों से परेशान रेलवे अब नया प्रयोग करने की तैयारी में है. उत्तरी रेलवे के लखनऊ जोन ने अब कंबल और बिस्तर की इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग करने का निर्णय लिया है.

रेलवे प्रशासन का दावा है कि इस तरीके से प्रत्येक 15 दिन में हर एक कंबल खुद ही बता देगा कि उसे धुले जाने की जरूरत है. रेलवे में प्रत्येक 15 दिन पर कंबल धुलने की व्यवस्था लागू है, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा. गंदे कंबल ही यात्रियों को ओढ़ने के लिए दे दिए जाते हैं.

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15 सितंबर से लागू होगी नई व्यवस्था

उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल ने अपने यहां की सभी ट्रेनों में दिए जाने वाले लगभग 10 हजार कंबलों को लेकर 15 सितंबर से इस नई व्यवस्था को लागू करेगा. इस व्यवस्था के तहत यात्रियों को जो बेडरोल और कंबल मुहैया कराया जाता है, उसमें एक इलेक्ट्रॉनिक टैग लगा होगा. इस टैग को सेंट्रल कम्प्यूटर सेंटर से लिंक किया जाएगा. जैसे ही 15 दिन पूरे होने वाले होंगे, उससे पहले ये एक अलर्ट जारी करेगा कि उस कंबल को धुलने के लिए भेजना है.

स्कैन करने पर फीड हो जाएगी जानकारी

यह व्यवस्था ठीक उसी तरह से होगी, जैसे किसी शॉपिंग मॉल में किसी भी उत्पाद पर एक टैग लगा होता है. टैग को स्कैन करने पर पूरी जानकारी खुद ही कम्प्यूटर में फीड हो जाएगी. इन कंबलों और बिस्तरों को धुलते वक्त स्कैनर से स्कैन किया जाएगा.

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अलग आईडी नंबर

प्रत्येक कंबल और बिस्तर का एक अलग आईडी नंबर होगा. यह नंबर टैग पर ही अंकित रहेगा. धुलाई के 15 दिन बाद उसे लॉन्ड्री में लाना ही होगा. ऐसा न होने पर 16वें दिन कम्प्यूटर पर अलार्म बजेगा. वहीं आईडी नंबर से यह पता चल जाएगा कि कौन सा कंबल धुलाई के लिए समय पर नहीं लाया गया है.

आईडी नंबर से मिलेगी ट्रेन की भी जानकारी

आईडी नंबर के आधार पर ही यह पहचान भी होगी कि कंबल किस ट्रेन में है. अभी तक यह व्यवस्था हर ट्रेन के कोच अटेंडेंट को देखनी होती थी और उसे ही सफाई का ध्यान रखना होता था, लेकिन रेलवे को लगातार शिकायतें मिल रही थी. यात्रियों को भी खासी दिक्कतें हो रही थी.वहीं यह प्रयोग सफल रहा तो इसे प्रत्येक जोन में लागू किया जाएगा.

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