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बहुत याद आओगे नीलांशु....पूरी टीम की ओर से श्रद्धांजलि!

कोरोना ने 30 साल के संजीदा और जिंदादिल नौजवान नीलांशु शुक्ला को हमसे छीन लिया. आजतक और इंडिया टुडे का लखनऊ का हमारा साथी बेहद कम समय में अपनी बड़ी पहचान बना गया.

नीलांशु शुक्ला (फाइल फोटो) नीलांशु शुक्ला (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 03 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

बेहद ही भारी मन से ये पोस्ट लिख रहा हूं जिसके लिए न शब्द बचे हैं, न ही मेरे पास लिखने की ताकत बची है, हमारा साथी हमारा सहयोगी नीलांशु शुक्ला हमें हमेशा के लिए छोड़कर चला गया, कोरोना ने इस 30 साल के संजीदा और जिंदादिल नौजवान को हमसे छीन लिया. आजतक और इंडिया टुडे का लखनऊ का हमारा साथी बेहद कम समय में अपनी बड़ी पहचान बना गया.

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नीलांशु के बारे में क्या कहूं ,इसने अपनी खुशियां तो साझा की, लेकिन अपनी परेशानियों को खुद में दबाए रखता था. पूछने पर एक ही जबाब, "बिल्कुल ठीक हूं सर" कोई दिक्कत नहीं और जैसे कोरोना से जूझते यही शब्द उसके ज़ुबान पर चढ़ गए थे. 20 अगस्त जिस दिन वो पॉजिटिव आया और जबतक वो बोल पाया बस एक ही शब्द थे, मैं ठीक हूं. कोई परेशानी नहीं, हां जब वो अस्पताल में भर्ती हुआ तो उसने जरूर कहा सर थोड़ी दिक्कत बढ़ गई है, मेरा ऑक्सिजन लेवल कम है लेकिन ठीक है रिकवर कर जाऊंगा,जब ये बात वो बोल रहा था तो उसकी आवाज़ टूटकर आ रही थी मैंने पूछा, क्या हुआ नीलांशु तुम्हारी आवाज़ क्यों लड़खड़ा रही है तो उसने कहा ऑक्सीजन पाइप नाक में लगी है, इसलिए ऐसी आवाज़ निकल रही है, मैंने कहा नीलांशु तुम लड़कर निकलोगे. हौसला बनाये रखना भाई. मैं उसे ये बातें बोल रहा था, लेकिन मेरा हौसला टूटता जा रहा था, एक डर ,एक अजीब सा खौफ मुझे गिरफ्त में ले चुका था.

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कानपुर के एक प्राइवेट अस्पताल से जब उसे एयरफोर्स अस्पताल ले जाया जा रहा था. तब उसके बड़े (चचेरे) भाई ऋषि शुक्ला, जो उसके लिए सबकुछ थे, बड़ा भाई, पिता सबकुछ, उन्होंने कहा बेटा तुम्हें बड़े अस्पताल ले जा रहे हैं, तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे, तो उसने कहा- भइया आप है तो मुझे चिंता नहीं है, लेकिन वो अपने भाई ऋषि को पास नहीं आने देना चाहता था, ऋषि ने उसका हाथ पकड़ा तो उसने हाथ झटक दिया और बोला भइया आप दूर रहिये मैं ठीक हूं और खुद एम्बुलेंस में चला जाऊंगा- वो एम्बुलेंस में जब बैठ रहा था तो उसकी चिरपरिचित अपनी मुस्कान उसके चेहरे पर आई और उसने भाई को हाथ हिलाया. एम्बुलेंस से उसका आखिरी बार हाथ हिला कर विदा करना, दुनिया के लिए नीलांशु वही आखिरी दृश्य था जिसे ऋषि शुक्ला ने देखा था- यही वो दुनिया को अलविदा कहने का उसका आखिरी अंदाज़ भी था. एक बेहतरीन रिपोर्टर लेकिन उससे भी बेहतरीन एक इंसान, जिसकी डिक्शनरी में निगेटिविटी थी ही नहीं, शायद ईश्वर भी उसे इस जहां में निगेटिव नहीं होने देना चाहता था.

नीलांशु शुक्ला (फाइल फोटो)

20 अगस्त की दोपहर मैं नहीं भूल पा रहा जब वीवीआइपी गेस्ट हाउस के पास वह टेस्ट के लिए जा रहा था तो कुछ देर पहले एक स्टोरी को लेकर मैंने उसे फोन किया तो उसने कहा सर मैं आपको थोड़ी देर में फोन मिलाता हूं, एक जरूरी काम से निकला हूं, तब तक मुझे पता नहीं था कि वह अपना कोरोना टेस्ट कराने जा रहा है.

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कुछ देर में उसका फोन आया और उसने फोन पर बताया सर मैं कोरोना पॉजिटिव निकला हूं, अभी रैपिड एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट आई है, उसके शब्द थे, सर मैं पॉजिटिव निकला हूं, अपने दफ्तर के बाकी लोग निगेटिव हैं, लेकिन मुझे तो कोई सिम्टम्स ही नहीं हैं. ना बुखार है, न खांसी है, कुछ नहीं है सर मुझे. उसने होम आइसोलेशन ऑप्ट किया, क्योंकि वो खुद को आखिर तक asymptomatic कहता रहा.

डॉक्टरों ने उसे दवाइयां दीं. होम आइसोलेशन के प्रोटोकाल बताए और वो घर में आइसोलेट हो गया लेकिन लखनऊ में अकेला होने की वजह से उसके परिवार के लोग उसे 3 दिन बाद कानपुर उसके घर ले आए, जहां वो होम आइसोलेशन में रहा और जब अचानक तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल में एडमिट हुआ. 

लखनऊ से लेकर कानपुर तक हमसभी उसके दोस्त मित्र उसे जानने वाले फोन कर उसका हालचाल लेते रहे, उसके व्हाट्सएप चैट बॉक्स उसके दोस्तों के मैसेज से भरे पड़े होंगे और उसने जरूर सभी को कुछ न कुछ जवाब दिया होगा, कोई न कोई इमोजी भेजा होगा. मेरे पास उसके आखिर संदेश के रूप में प्रणाम का वो इमोजी सुरक्षित है, जिसे उसने मुझे आखिरी संदेश के तौर पर भेजा..

आजतक के बाकी सदस्यों के साथ नीलांशु शुक्ला (फाइल फोटो)

नीलांशु 2 साल पहले इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़ा हालांकि दूसरे न्यूज़ चैनल में होने की वजह से उसे जान पहचान थी, लेकिन आजतक/इंडिया टुडे में आने के बाद वो जैसे हम सभी का हो चुका था. वो यूं तो कम बोलता था, मगर उसकी जिंदादिली उसके दोस्तों के बीच महसूस होती थी. कोई भी असाइनमेंट दे दो, वह दोनों हाथों से लपक कर उसे करने को तैयार रहता था. 

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पॉलिटिकल स्टोरी करने की तो उसे धुन सवार रहती थी, यारबाज था, इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियों में नेता नहीं उसके दोस्त हुआ करते थे, अच्छा खाना, अच्छा पहनना और अदब से मिलना, यह नीलांशु की खासियत थी. हमारे ब्यूरो के सभी साथी उसके बेहद करीब रहे. शिवेंद्र उसके बारे में कहते हैं कि जितना अच्छा वो रिपोर्टर था वह उससे कई गुना बेहतर इंसान था.

शाम की पार्टी, अच्छा नॉनवेज खाना खिलाना और दोस्तों के साथ गप्पें मारना ये उसका प्रिय शगल था, लेकिन उस इंसान ने जाने अनजाने में भी कभी किसी का दिल नहीं दुखाया. शाम के वक्त जब मैं दफ्तर घुसता था तो नीलांशु कोने वाली सीट पर हमेशा कम्प्यूटर पर टाइप करता हुआ दिखता, मेरा पहला सवाल होता क्या फाइल कर रहे हो नीलांशु! बोलता- अभी तक दो स्टोरी फाइल कर चुका हूं अब यह मेलटुडे की कॉपी लिख रहा हूं.. 

अभी लॉकडाउन के कुछ दिन पहले उसकी सगाई हुई, बेहद खुश था नीलांशु, दफ्तर में सबके लिए मिठाई लेकर आया और उसने पहली बार यह राज खोला कि 5 सालों के अफेयर के बाद अब दोनों परिवार राजी हुए तो सगाई हुई. सगाई होते ही कुछ दिनों के बाद लॉक डाउन हो गया. फिर क्या था नीलांशु से मौज लेने का सिलसिला चल पड़ा. आते जाते सभी उससे यही पूछते नीलांशु बाबू डेट बताओगे! 

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एक दिन खीझकर उसने कहा, बहुत हो गया. अब इस कोरोना के जाने का मैं इंतजार नहीं कर सकता. बीच में ही शादी करूंगा. 19 अगस्त को यानी कोरोना पॉजिटिव होने के एक दिन पहले उसने फेसबुक पोस्ट लिखा था कि उसे 2 बैडरूम का एक फ्लैट चाहिए. नीलांशु इसी सितंबर में शादी की तैयारी में था, लेकिन नियति को शायद यह मंजूर नहीं था और सितंबर में शादी तो दूर 1 सितंबर को वह दुनिया को अलविदा कह गया.

20 अगस्त से 1 सितंबर, ये 11 दिन सबके बीच बेहद भारी थे. शुरू में तो सब कुछ सामान्य था. मानो पॉजिटिव हुआ है 5-7 दिनों में निगेटिव हो जाएगा. जैसे सभी हो रहे थे लेकिन होम आइसोलेशन का खालीपन उसे और खोखला करता चला गया, वह जब तक अस्पताल पहुंचता उसका फेफड़ा जबाब दे चुका था.

अंदाजा लगाइए उसकी प्रेमिका जो अब उसकी मंगेतर थी, जो हरपल हर वक्त उसके व्हाट्सएप का इंतजार करती रही कि कोई अच्छी खबर आएगी. जबतक हिम्मत थी नीलांशु अपनी मंगेतर से बातें करता था, लेकिन  1 सितंबर की सुबह 8:15 पर सब कुछ खत्म हो गया. डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में उसे एक्यूट निमोनिया करार दिया. एक शानदार नेक दिल इंसान यूं चला जाएगा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था...

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बहुत याद आओगे नीलांशु-- आजतक टीम की तरफ से तुम्हें श्रद्धांजलि

 

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