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काशी विश्वनाथ धाम में लगाए जाएंगे महादेव के प्रिय पौधे रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, वट और अशोक

गुलाबी पत्थरों से सजा श्री काशी विश्वनाथ धाम कई मायनों में ख़ास है. नक्काशीदार दीवारों और अद्भुत वास्तु से सजा महादेव का आंगन महादेव के 'वैद्यनाथ' रूप का अहसास कराएगा. इसके लिए काशी धाम में पेड़-पौधों के लिए भी स्थान चिह्नित किया गया है. मंदिर चौक पर महादेव के प्रिय पौधे लगाए जा रहे हैं, जो आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ ही गुणकारी भी हैं.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
शिल्पी सेन
  • वाराणसी,
  • 12 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST
  • काशी विश्वनाथ धाम में लगाए जाएंगे महादेव के प्रिय पौधे
  • काशी विश्वनाथ धाम में तैयारियां तेज

गुलाबी पत्थरों से सजा श्री काशी विश्वनाथ धाम कई मायनों में ख़ास है. नक्काशीदार दीवारों और अद्भुत वास्तु से सजा महादेव का आंगन महादेव के 'वैद्यनाथ' रूप का अहसास कराएगा. इसके लिए काशी धाम में पेड़-पौधों के लिए भी स्थान चिह्नित किया गया है. मंदिर चौक पर महादेव के प्रिय पौधे लगाए जा रहे हैं, जो आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ ही गुणकारी भी हैं. मुख्य मंदिर के प्रांगण से मंदिर चौक तक और मंदिर चौक को पार कर गंगा के गलियारे (कॉरिडोर) तक पौधे लगाए जाएंगे. निर्माण के समय ही ये व्यवस्था की गई है. कुछ जगह पौधों का रोपण शुरू भी हो गया है.

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'आनंद वन' में महादेव

काशी क्षेत्र को आनंद वन कहा गया है. स्कंदपुराण में 'काशी खंड' ऐसा खंड है जिसमें काशी के माहात्म्य का वर्णन किया गया है. यहां काशी को 'आनंद वन' भी कहा गया है. महादेव का रूप प्रकृति के संरक्षक का रूप भी है. काशी धाम में इस बात का लोगों को अनुभव हो इसके लिए ऐसी रूपरेखा बनाई गई है कि गुलाबी पत्थरों के बीच हरियाली की पूरी रेखा दिखाई दे. बाबा के आंगन में उनके प्रिय पौधे भक्तों को यहां महादेव के धाम की अलौकिकता का अनुभव कराएंगे. ऐसे हर पेड़-पौधे के बारे में भी वहां लिखा होगा. वैसे तो क़रीब 25 तरह के पेड़ पौधे लगेंगे, पर इनमें से सबसे खास कुछ पेड़ हैं. 

रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, आंवला जैसे पेड़ों का महादेव से संबंध

रुद्राक्ष को शिव से अलग नहीं किया का सकता. ऐसे में यहां विशेष रूप में रुद्राक्ष का पेड़ लगाया जा रहा है. रुद्राक्ष और शिव का संबंध अटूट है. कहते हैं जहां शिव के नेत्र से आंसू गिरे, वो रुद्राक्ष है. इसे रूद्र (शिव) का अक्ष (नेत्र) भी कहा गया है. जहां-जहां ये लोगों को दिखेगा वहां लोगों को आध्यात्मिकता का अनुभव होगा. बेल का पेड़ बाबा के आंगन को सुशोभित करेगा. बेल पत्र (बिल्व पत्र) का महादेव से संबंध सब जानते हैं. उन्हें पत्रों का समूह चढ़ाया जाता है, जो शिव के तीन नेत्र के प्रतीक हैं.

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पारिजात का पेड़ हमेशा से ही अपने विशेष गुणों के कारण लोगों को प्रिय रहा है. कहते हैं इसके तने में शिव का वास है तो फूल विष्णु का रूप हैं. इसके अलावा आंवला, अशोक और वट (miniature sapling) लगाया जाएगा. इन वृक्षों का अपना धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व है. वाराणसी प्रशासन के अनुसार इन्हें लगाते समय ही ये बात ध्यान में रखी गई है कि आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले. काशी के मर्मज्ञ इतिहासकार राणा पी वी सिंह बताते हैं, 'कई बातें इस पहल से होंगी. काशी की पौराणिकता में जो समन्वयनवादी विचारधारा है, जो संतुलन है उसकी झलक इसमें मिलेगी. यहां शिव हैं तो विष्णु भी हैं. इससे काशी के इतिहास की भी जानकारी मिलेगी. साथ ही आयुर्वेद और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिलेगा. इसके साथ ही आध्यात्मिक पर्यटन भी बढ़ेगा.' 

पेड़-पौधों के लिए बनाई गई खास जगह

वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल बताते हैं कि पेड़-पौधों के लिए खास जगह बनाई गई है.काशी कॉरिडोर की परिकल्पना के साथ ही हरियाली के लिए स्थान रखा गया है. चुनार के गुलाबी पत्थर, बालेश्वर के पत्थर, ग्रेनाइट बीच जमीन में 4 फीट व्यास की जगह छोड़ी गई है. इन स्थानों पर 6 से 15 फ़ीट तक के पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं. 13 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे.

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