
उत्तर प्रदेश में कोरोना के केस बढ़े और गोरखपुर तक से बड़ी संख्या में मामले सामने आए तो सवाल उठा कि डॉ. कफील खान कहां हैं? वही कफील खान, जिन्हें 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौतों के मामले में आरोपी बनाया गया. बाद में वे CAA-NRC पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने के मामले में NSA के तहत गिरफ्तार किए गए. कफील इस समय इलाहाबाद हाइकोर्ट से मिली जमानत पर हैं. वो महामारी के इस दौर में एक्टिव भी हैं.
डॉ. कफील खान ने aajtak.in से कहा कि गांवों में प्राइमरी हेल्थ सेक्टर पूरी तरह से बर्बाद है. ऐसे में वे अपने मिशन स्माइल फाउंडेशन के तहत डॉक्टर्स ऑन रोड प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. गांव-गांव जाकर लोगों को कोरोना से जागरूक कर रहे हैं और उनका इलाज कर रहे हैं. 14 अप्रैल को दिल्ली के वाल्मीकी नगर से शुरू हुए इस कैंपेन के तहत वे गाजियाबाद, कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी राजस्थान के अलवर और बिहार, बंगाल, हरियाणा के भी कई गांवों में सेवाएं दे चुके हैं. वे लोगों से मदद जुटाकर गरीबों को राशन और अन्य जरूरी वस्तुएं भी उपलब्ध करा रहे हैं.
चार साल से जारी है निलंबन
डॉक्टर कफील खान ने कहा कि इंसेफ्लाइटिस वाले मामले के आज 4 साल हो चुके हैं. उनके साथ जितने और लोगों को आरोपी बनाया गया था, उनका निलंबन वापस ले लिया गया है. वह भी महामारी के इस दौर में लोगों का इलाज करना चाहते हैं. लेकिन उनका निलंबन जारी है. न ही उनको नौकरी से निकाला गया है, न ही रखा गया है. वो कहते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से 90 दिन के अंदर इस पर फैसला करने को कहा गया है. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
देश में ऑक्सीजन संकट, डॉक्टर कफील बोले- 2017 में मुद्दा उठाया तो जेल में डाल दिया गया
डॉक्टर कफील कहते हैं कि पिछली बार जब कोरोना फैला था, तो वह जनता की सेवा उस तरह से नहीं कर पाए थे. उसी समय उन्हें एनएसए लगा कर जेल में डाल दिया गया था. उनके मुताबिक मैंने सिर्फ यही कहा था कि यह हमारे वजूद की लड़ाई है. डरना नहीं है. इस मुद्दे को पकड़ कर रखना है प्यार करना है. इसको लेकर मुझे गिरफ्तार कर लिया गया, जो कतई असंवैधानिक था. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने भी उन्हें यह कहकर जमानत दी है कि डॉ. कफील ने देश की अखंडता और एकता के खिलाफ कोई गलतबयानी नहीं की है.
भविष्य का क्या है प्लान
भविष्य की योजनाओं को लेकर डॉक्टर कफील दावा करते हैं कि वे देश के स्वास्थ्य मंत्री और 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलकर डॉक्टर्स ऑन रोड प्रोजेक्ट का प्रजेटेंशन दे चुके है कि उनको मौका दिया जाए तो वह लोगों की सेवा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन मिले हैं. वो कहते हैं कि कोविड-19 ने हमारे हेल्थ सिस्टम को कोलैप्स नहीं किया है बल्कि पहले से कोलैप्स हो चुके सिस्टम को उजागर किया है.