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लखीमपुर हिंसा में मारे गए पत्रकार के भाई का सवाल- बैलेट पेपर में हारी BJP, EVM में कैसे जीती?

उत्तर प्रदेश चुनाव की गिनती पर सवाल उठाते हुए लखीमपुर हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन ने कहा कि बैलट पेपर में तो बीजेपी वाले हारे हुए थे और ईवीएम में कैसे जीत गए?

लखीमपुर हिंसा में मारा गया पत्रकार रमन कश्यप (फाइल फोटो) लखीमपुर हिंसा में मारा गया पत्रकार रमन कश्यप (फाइल फोटो)
अभिषेक वर्मा
  • लखीमपुर खीरी,
  • 16 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST
  • लखीमपुर की आठों सीटों पर बीजेपी का कब्जा
  • पोस्टल बैलेट में सपा तो ईवीएम में बीजेपी भारी

समाजवादी पार्टी (सपा) नेताओं के बाद अब लखीमपुर हिंसा में मारे गए पत्रकार के भाई ने उत्तर प्रदेश चुनाव की गिनती पर सवाल उठाया है. पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने चुनाव की गिनती में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. पवन कश्यप ने कहा कि जब बैलेट पेपर में हुई गिनती में बीजेपी हार गई थी तो ईवीएम में कैसे जीत गई.

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पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने कहा कि उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर उतरा ही भरोसा है जितना उन्हें ऊपर वाले यानि भगवान पर है. पवन कश्यप ने हाल ही में आए चुनाव नतीजों पर बहुत ज्यादा खुलकर बात करने से साफ मना किया. उन्होंने कहा कि वह पीड़ित हैं और न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय जरूर मिलेगा, जमानत पर यह (आशीष मिश्र) बाहर हैं, ट्रायल भी चल रहा है और फिर से अंदर होंगे.

पवन कश्यप ने कहा, 'बस इतना जरूर है कि बैलट पेपर में तो हारे हुए थे और ईवीएम में कैसे जीत गए, वह भी 8 में आठों सीटें, इनकी रैलियां हम देख रहे थे, उसमें भीड़ नहीं होती थी, इनकी गाड़ियों में कोई बैठने को तैयार नहीं होता था, फिर भी अजीब है, यह जीते हैं, आठ के आठों विधायकों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई.'

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पवन कश्यप ने कहा, 'हम लोग चाहते थे कि अजय मिश्र टेनी को मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए लेकिन वह नहीं हुआ, उन्होंने अपने बेटे की जमानत करा ली, हमारे 4 किसान जो निर्दोष हैं, वो अंदर है, उनकी जमानत खारिज हो रही है, यह सब इन्होंने अपने पॉवर का इस्तेमाल किया, इसमें न्याय तो नहीं हुआ लेकिन सत्ता पक्ष का खेल हुआ.'

लखीमपुर की आठों सीट पर बीजेपी का कब्जा

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में हुई 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा के बाद यूपी में हुए चुनाव में बीजेपी को लखीमपुर खीरी जिले की 8 में से सभी 8 सीटों पर मिली है. जिस विधानसभा सीट में तिकुनिया हिंसा हुई थी, वहां से बीजेपी प्रत्याशी शशांक वर्मा जिले में सबसे अधिक 48000 मतों से चुनाव जीते हैं. हालांकि, पोस्टल बैलेट में सपा का पल्ला भारी रहा तो ईवीएम में बीजेपी ने बाजी मारी.

पोस्टल बैलेट में सपा तो ईवीएम में बीजेपी जीती

पलिया सीट: पलिया में बीजेपी प्रत्याशी रोमी साहनी ने 118864 वोट, जिनमें 118706 वोट ईवीएम से मिले हैं जबकि 158 वोट पोस्टल बैलेट से मिले हैं. सपा के प्रीतइंदर सिंह को 80735 वोट मिले,  जिनमें 80370 वोट ईवीएम और 365 पोस्टल बैलेस से. 


गोला गोकर्णनाथ सीट: गोला गोकरण सीट पर भाजपा के अरविंद गिरि को 126534 वोट मिले, जिनमें 126250 वोट ईवीएम और 284 वोट पोस्टल बैलेट से जबकि  सपा के विनय तिवारी को 97240 वोट मिले, जिसमें 96548 वोट ईवीएम और 692    वोट पोस्टल बैलेट से मिल.

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निघासन सीट: लखीमपुर जिले की निघासन सीट भाजपा के शशांक वर्मा को 126488 वोट मिले, जिसमें 126362 ईवीएम और 126 वोट पोस्टल बैलेट से मिले जबकि सपा के आरएस कुशवाहा को 85479 वोट मिले, जिसमें 85155 वोट ईवीएम और 324 वोट पोस्टल बैलेस से मिले. 

श्रीनगर सीट: लखीमपुर खीरी की श्रीनगर सीट पर भाजपा की मंजू त्यागी 108249 वोट मिले, जिसमें 108081 वोट ईवीएम और 168 वोट पोस्टल बैलेट जबकि सपा के रामसरन 90641 वोट मिले, जिसमें 90063 ईवीएम और 578 पोस्टल बैलेट के है.

धौरहरा सीट: धौरहरा सीट से भाजपा के विनोद अवस्थी 113498 को वोटमिले, जिसमें 113403 ईवीएम और 95 पोस्टल बैलेट से मिले जबकि सपा के वरुण चौधरी 88888 वोट मिले, जिसमें 88549 ईवीएम और 339 पोस्टल बैलेट से वोट मिले. 

लखीमपुर सदर सीट: लखीमपुर सीट पर भाजपा के योगेश वर्मा 127663 वोट मिले, जिसमें 127262 ईवीएम और 401 पोस्टल बैलेस से वोट मिले तो सपा के उत्कर्ष वर्मा को 107085 वोट मिले, जिसमें 106146 ईवीएम और 939 पोस्टल बैलेट से मिल.

कस्ता सीट: कस्ता सीट पर भाजपा के सौरभ सिंह सोनू 103315 वोट मिले, जिसमें 103093 ईवीएम और 222 पोस्टल बैलेट जबकि सपा के सुनील लाला 89498 वोट मिले, जिसमें 88929 ईवीएम और 569 पोस्टल बैलेट के हैं.

मोहम्मदी सीट: लखीमपुर खीरी जिले की मोहम्मदी सीट पर भाजपा के लोकेंद्र प्रताप सिंह को 99377 वोट मिले, जिसमें 99263 ईवीएम और 114 पोस्टल बैलेट जबकि सपा के दाऊद अहमद को 94506 वोट मिले, जिसमें 94112 ईवीएम और 394 पोस्टल बैलेट के वोट हैं.

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पोस्टल बैलेट वोट क्या होता है 

पोस्टल बैलट देश के चुनाव आयोग की वह खास व्यवस्था है, जो कुछ विशेष श्रेणी के लोगों को मुहैया कराई जाती है. वोटिंग के दिन जो लोग किन्हीं स्वीकृत वजहों से मतदान के लिए उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, उन्हें इस व्यवस्था के जरिए मतदान करते हैं. प्रदेश और केंद्र सरकार के निम्नलिखित विभाग के लोगों को चुनाव वाले दिन सरकारी ड्यूटी पर रहने के चलते पोस्टल बैलट के जरिए वोट देते हैं. 

सेना, नौसेना और वायु सेना जैसे सशस्त्र बलों के सदस्य, राज्य के सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य (राज्य के बाहर सेवारत), भारत के बाहर तैनात सरकारी कर्मचारी और उनके पार्टनर को केवल पोस्टल बैलेट से मतदान करने का अधिकार मिला हुआ है. इसके अलावा आयोग ने 80 साल और इससे अधिक उम्र के व्यक्तियों, विकलांग लोगों को पोस्टल बैलट से वोट डालने की इजाज़त दी थी. 

पोस्टल बैलट के जरिए वोट डालने का अधिकार चुनाव नियमावली 1961 के तहत मिला हुआ है. इसके तहत वोटर के पास ही उसके चुनाव क्षेत्र का बैलट पोस्ट के जरिए भेज दिया जाता है. ये खास वोटर उस बैलट पर अपने मन मुताबिक प्रत्याशी के लिए मुहर लगाकर पोस्ट के जरिए चुनाव अधिकारी के पास भेज देते हैं. 

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पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है

पोस्टल बैलट के ज़रिए आए वोटों की गिनती पहले शुरू होती है. इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होती है. चूंकि पोस्टल बैलट की संख्या कम होती है और ये पेपर वाले मत पत्र होते हैं इसलिए इन्हें गिना जाना आसान होता है. इस बार सपा ने पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा किया था, जिसके चलते तमाम सरकारी कर्मचारियों ने सपा के पक्ष में वोटिंग की थी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दावा किया है कि पोस्टल बैलेट में सपा गठबंधन को 51.5 फीसद वोट मिले. इस हिसाब से 304 सीट पर हमारे गठबंधन की जीत हुई. 

दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटों के साथ  प्रचंड बहुमत हासिल कर दूसरी बार सत्ता में वापसी की है. बीजेपी गठबंधन की 273 सीटों पर जीत मिली है, जिनमें 255 सीटें बीजेपी, निषाद पार्टी 6 और अपना दल (एस) को 12 सीटे मिली हैं. समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को 125 सीटें मिली हैं जबकि बसपा एक, कांग्रेस और जनसत्ता दल के उम्मीदवारों ने 2-2 सीटों पर जीत दर्ज की है. 

 

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