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लक्ष्मीकान्त वाजपेयी को UP BJP में जॉइनिंग कमेटी की जिम्‍मेदारी, 5 साल बाद कैसे मिला बड़ा पद, जानें इनसाइड स्‍टोरी

लक्ष्‍मीकांत वाजपेयी (Laxmikant Bajpai) जो कभी उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के प्रदेश अध्‍यक्ष रहे, अब उनकी अगल साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले वापसी हुई है, उन्‍हें जॉइनिंग कमेटी का अध्यक्ष (BJP Joining Committee President) बनाया गया है.

  Laxmikant Bajpai is new joining committee incharge Laxmikant Bajpai is new joining committee incharge
शिल्पी सेन
  • लखनऊ ,
  • 06 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:11 PM IST
  • सत्ता में ‘Come back’ टीम के यूपी में कप्तान रहे हैं वाजपेयी
  • जॉइनिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम करेंगे

Laxmikant Bajpai News: यूपी (UP) की सत्ता तक पहुँचने के लिए यूपी बीजेपी की ‘Come back’ टीम का अहम चेहरा और यूपी बीजेपी (UP BJP) के कप्तान रहे लक्ष्मीकान्त वाजपेयी को एक बार फिर नई और बड़ी जिम्‍मेदारी मिली है. प्रदेश अध्यक्ष पद का कार्यकाल पूरा करने के 5 साल से कोई अहम जिम्‍मेदारी न पाने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेयी को जॉइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है.

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कहा जा रहा है कि हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने अपने दौरे में इसका खांका खींच दिया था. ये फ़ैसला उस समय हुआ है जब रविवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है. ख़ास बात ये है कि लक्ष्मीकान्त वाजपेयी खुद भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं. 

शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने ज्वाइनिंग कमेटी का गठन करते हुए पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी को अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ,उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को सदस्य नियुक्त किया है. 

वैसे तो बीजेपी में चुनाव के समय में अलग-अलग कमेटियां काम करती हैं पर इसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को दायित्व मिलने की चर्चा ख़ास तौर पर है, इसके मायने भी खोजे जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में ही बीजेपी ने दिल्ली से लखनऊ तक कई बड़े नेताओं की ज्‍वाइनिंग करवाई है. इसमें सबसे प्रमुख नाम जितिन प्रसाद का है.  दिल्ली में उनको पार्टी में शामिल करने के बाद से ही उनको अहम ज़िम्मेदारी मिलने की चर्चा थी. हाल ही में उनको विधान परिषद में मनोनीत करवाकर और योगी सरकार में मंत्री बनवाकर पार्टी ने उनको लेकर रणनीति साफ़ कर दी है. 

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कितनी अहम है ज़िम्मेदारी 
अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी बीजेपी की ज्‍वाइंनिंग कमेटी का इंचार्ज होना कामकाज के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. पार्टी ‘चुनाव मोड’ में है और लगातार पार्टी दूसरे दलों के नेताओं को शामिल करवा रही है. रीता जोशी का घर जलाने के मामले में आरोपी जितेंद्र सिंह बबलू को हाल ही में पार्टी में शामिल कर बीजेपी को भारी किरकिरी का सामना करना पड़ा था. सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने भी इसका विरोध किया. पार्टी के अंदर से भी बबलू के विरोध में आवाज उठी.

आनन फ़ानन में पार्टी ने बबलू की सदस्यता निरस्त कर दी. ख़ास बात ये है कि लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी उस समय इस बात को लेकर आवाज़ उठायी थी. तब तक पार्टी की काफ़ी किरकिरी इस बात को लेकर हो चुकी थी कि पार्टी के ज़िम्मेदारों ने आख़िर बबलू को शामिल करने से पहले इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा. पार्टी की तरफ़ से हमेशा यही कहा जाता रहा कि किसी को भी पार्टी में शामिल तभी किया जाता है जब उसके बारे में जांच पड़ताल कर ली जाती है. यही नहीं कुलदीप सिंह सेंगर के रिश्तेदार अरुण सिंह का साथ देने पर भी बीजेपी निशाने पर रही. अब लक्ष्मीकांत वाजपेयी को ही नेताओं को शामिल करने के लिए दायित्व दिया गया है यानी औपचारिक तौर पर पार्टी में आने की चाह रखने वाले नेताओं को लक्ष्मीकान्त वाजपेयी और इस कमेटी की स्क्रीनिंग से गुजरना होगा. 

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लक्ष्‍मीकांत वाजपेयी के सामने है ये चैलेंज 
BJP इस समय सबसे बड़ा सदस्यता अभियान चला रही है. इसमें 1.5 करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में ज्‍वाइनिंग कमेटी का एक फ़ैसला जहां पार्टी की जीत की राह को आसान बना सकता है वहीं एक ग़लत ज्‍वाइनिंग से पार्टी की किरकिरी भी हो सकती है. ऐसे में इस कमेटी की कमान पार्टी ने उस नेता को सौंपी है जिसे यूपी में पार्टी की ज़मीनी हक़ीक़त का अंदाज़ा है, 
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं, ' लक्ष्मीकांत  वाजपेयी की ख़ासियत उनकी आक्रामक शैली है. लेकिन ये आक्रामक शैली उस समय ज़्यादा काम आती है जब पार्टी सत्ता में न हो. पार्टी को 2014 में इसका फायदा भी मिला है. हालांकि अब राज्य और केंद्र में पार्टी की सरकार है तो अब इस आक्रामकता की दरकार नहीं है.' 

पार्टी में पूरे 5 साल तक लक्ष्मीकान्त वाजपेयी को जगह न मिलने की चर्चा तो होती रही पर हर बार इस बात को भी कहा जाता रहा कि उनको कोई बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है. पार्टी में उनके समर्थक कई बार उनकी उपेक्षा को लेकर दबी ज़बान से चर्चा भी करते रहे हैं.  इस दौरान एक बात और लक्ष्मीकान्त वाजपेयी के पक्ष  में गई है, वह है ये कि जब भी उनके नाम को लेकर चर्चा रही और किसी पद पर उनको जगह नहीं मिली तो लक्ष्मीकान्त वाजपेयी ने हमेशा ये कहा कि वह बीजेपी के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के लिए अनुशासित रूप से कार्य करते रहेंगे. 

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लक्ष्मीकान्त वाजपेयी के प्रदेश अध्यक्ष रहते कई नेताओं ने बीजेपी की सदस्‍यता ग्रहण की थी. इस कार्य में भी उनका अनुभव काम आया है. उनकी इस उपलब्धि को भी ध्यान में रखा गया है.  इस समय बीजेपी के लिए दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में लाना रणनीतिक दृष्टि से फ़ायदेमंद हो सकता है.’

BJP का ब्राह्मण चेहरा 
एक और बात जो लक्ष्मीकान्त वाजपेयी के पक्ष में जाती दिखती है वो ये कि विशेषकर पश्चिम में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर वाजपेयी को देखा जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई ब्राह्मण चेहरे महेंद्र नाथ पांडे, रमापति राम त्रिपाठी, शिव प्रताप शुक्ल जैसे नेता हैं पर पश्चिम के समीकरण को दुरुस्त करने के लिहाज से वाजपेयी की नियुक्ति से एक संदेश देने की कोशिश पार्टी ने की है. ये भी कहा जा रहा है कि यूपी भाजपा अध्यक्ष ने भी वाजपेयी को लाने में अहम भूमिका निभाई है. 

विधानसभा चुनाव में कैसे साबित करेंगे लक्ष्‍मीकांत 
बीजेपी का सीधा लक्ष्य इस समय यूपी विधान सभा चुनाव है, जिसके लिए ज़्यादा वक़्त नहीं बचा है . चुनाव से पहले जिस तरह से नेताओं का एक दल से दूसरे दल जाने का सिलसिला चलता है उस हिसाब से पार्टी में नेताओं के शामिल होने का ये समय है. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के करीबी एक नेता का कहना है कि ‘यही वजह है कि उनके जैसे वरिष्ठ नेता को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही आने वाले दिनों में पश्चिम में आप इसका प्रभाव देखेंगे।’ 

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तो लक्ष्मीकान्त वाजपेयी को बदलना होगा अपना ये अंदाज
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल के अनुसार ‘ चूंकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत ही आक्रामक शैली में आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार करने वाले हैं इसलिए किसी और नेता की आक्रामकता के लिए कोई स्थान नहीं होगा. लक्ष्मीकान्त वाजपेयी को बदली हुई शैली में और अलग रणनीति से काम करना होगा।
 

 

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