
लखनऊ के लेवाना सुइट्स में हुए अग्निकांड के बाद से प्रशासन एक्टिव मोड में आ गया है. विभाग के मंत्री के निर्देश पर एक सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. आरोप है कि नियम कानूनों को ताक पर रख कर बार लाइसेंस दिया गया था. इसी वजह से अपर मुख्य सचिव आबकारी ने पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की है और जांच के आदेश दिए गए हैं.
वैसे हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी लेवाना सुइट्स होटल में हुए अग्निकांड पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की थी. कहा गया था कि सिर्फ उन बिल्डरों को दोष नहीं दिया जा सकता जिन्होंने ये होटल खड़े किए हैं, बल्कि उन अधिकारियों पर भी एक्शन होना चाहिए जिन्होंने इसकी परमीशन दी, जिनकी तरफ से तमाम क्लियरेंस दिए गए. इस मामले में हाई कोर्ट ने चीफ फायर अफसर को भी कहा कि ऐसी इमारतों का ब्योरा निकाला जाए जिनके यहां आग लगने की स्थिति में पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम नहीं है. 22 सितंबर को इस मामले में फिर कोर्ट में सुनवाई होने वाली है.
जानकारी के लिए बता दें कि लेवाना स्वीट्स होटल में लगी आग में 4 लोगों की मौत हो गई थी. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई थी कि होटल में आग लगने को लेकर सुरक्षा इंतजाम नाकाफी थे. इसके अलावा गलत तरीके से होटल का संचालन किया जा रहा था. बड़ी बात ये भी है कि हजरतगंज में 6400 वर्ग मीटर एरिया में होटल लेवाना बनाया गया है. इसके निर्माण से पहले मालिकों ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में शपथ पत्र देकर कहा था कि इस भूखंड पर आवासीय निर्माण होगा. यानी कोई कॉमर्शियल यूज नहीं किया जाएगा. लेकिन मालिकों ने रेजीडेंशियल यूज का शपथ पत्र देकर होटल लेवाना खड़ा कर दिया.