
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की उम्र को लेकर अहम निर्णय लिया है. अब आजीवन कारावास की सजा काटने के बाद कैदी को 60 साल की उम्र होने का इंतजार नहीं करना होगा. बंदी की सजा खत्म होते ही उसे रिहा कर दिया जाएगा.
सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय को लेकर सोमवार को शासन में महत्वपूर्ण बैठक होगी. इसके बाद तय होगा कि सरकार के इस फैसले से कितने बंदियों की रिहाई का रास्ता खुलेगा. यूपी सरकार ने उन बंदियों को राहत दी है, जो कम उम्र में कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा पा जाते हैं लेकिन 60 साल की उम्र तक का इंतजार करना पड़ता है.
क्या है आजीवन कारावास की सजा का नियम?
कानूनी भाषा में कहें तो किसी भी अपराध में मिली आजीवन कारावास की सजा से बंदी को जीवनपर्यंत जेल में रहना होता है, लेकिन जेल में बढ़ती कैदियों की भीड़ और अच्छे चाल चलन के चलते आजीवन कारावास की सजा पाए बंदियों को कम से कम 16 साल जेल में रहने का प्रावधान है. 20 साल की सजा काटने के बाद कोई भी बंदी अपने अच्छे चाल चलन के चलते सजा से पहले रिहाई पाने का हकदार हो जाता है. पहले लागू नियम के अनुसार आजीवन कारावास की सजा में समय पूर्व रिहाई पाने वाले बंदी की उम्र 60 साल होना जरूरी होती थी.
उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति को 25 साल की उम्र में आजीवन कारावास की सजा मिलती थी तो वह भले ही 20 साल की सजा काट ले लेकिन वह अच्छे चाल चलन के चलते समय पूर्व रिहाई का पात्र 60 साल की उम्र के बाद ही हो पाता था. ऐसे में उस बंदी को 15 साल जेल में रहना पड़ता था, लेकिन अब सरकार ने यह 60 साल की उम्र का नियम हटा दिया है. अच्छे चाल चलन में रहकर 20 साल की सजा काट चुके बंदी को भी रिहाई दी जा सकेगी.
इस संबंध में डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से बड़ी संख्या में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को राहत मिलेगी. जो बंदी जेल में रहकर सुधर गए उनके लिए राहत भरी खबर है. शासन इस संबंध में महत्वपूर्ण बैठक करेगा, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की जेलों से इस नए नियम के तहत रिहा होने वाले बंदियों की संख्या और उनकी पूरी प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा सकेगा.
(रिपोर्ट- संतोष कुमार)