
17वीं लोकसभा के गठन के लिए देश में 7 चरणों में मतदान कराया जा रहा है. जिसके तहत तीसरे चरण में मंगलवार (23 अप्रैल) को मतदान कराया गया जिसमें फिरोजाबाद संसदीय सीट भी शामिल है. मतदान को लेकर सभी पोलिंग बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी. भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किए गए हैं.
लोकसभा चुनाव अपडेट्स
- फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर मतदाताओं का खासा उत्साह दिखा. यहां पर 59.71 फीसदी मतदान हुआ. तीसरे चरण में पूरे देश में 65.71 फीसदी मतदान हुआ. हालांकि उत्तर प्रदेश में वोटिंग का प्रतिशत 61.35 रहा. 2014 में इस सीट पर 67.32 फीसदी मतदान हुआ था. इस लिहाज से इस बार इस सीट पर लगभग 8 प्रतिशत कम मतदान हुआ.
- 3 बजे तक फिरोजाबाद में 48.06 फीसदी मतदान हो चुका है. वहीं देश में तीसरे चरण में कराए जा रहे मतदान में 117 संसदीय सीटों पर अब तक 51.15 फीसदी मतदान हो चुका है. उत्तर प्रदेश में मतदान पर नजर डाली जाए तो यहां पर प्रदेश के 10 संसदीय सीटों पर 3 बजे तक 46.99 फीसदी मतदान हो चुका है. इस समय तक सबसे ज्यादा मतदान पश्चिम बंगाल में हुआ जहां 67.52 फीसदी वोटिंग हुई.
- दोपहर 1 बजे तक फिरोजाबाद में 35.55 फीसदी मतदान हो चुका है. वहीं देश में तीसरे चरण में कराए जा रहे मतदान में 117 संसदीय सीटों पर अब तक 37.89 फीसदी मतदान हो चुका है.
-सुबह 11 बजे तक फिरोजाबाद में 22.40 फीसदी मतदान हो चुका है. तीसरे चरण के तहत आज मंगलवार को 10 संसदीय क्षेत्रों में अब तक 22.64% मतदान हो चुका है.
-सुबह 9 बजे तक फिरोजाबाद में 8.68 फीसदी मतदान हो चुका है.
चाचा-भतीजे की लड़ाई के लिए चर्चा में
उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय सीटों में फिरोजाबाद लोकसभा सीट बेहद चर्चित सीटों में शुमार है और हर किसी की नजर इस सीट पर रहेगी क्योंकि यहां पर चुनावी लड़ाई चाचा-भतीजे के बीच होने वाली है. समाजवादी पार्टी के सांसद अक्षय यादव एक बार फिर फिरोजाबाद से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिनको चुनौती चाचा शिवपाल सिंह यादव से मिल रही है. वहीं बीजेपी भी इस सीट पर जीत के लिए जोर लगा रही है.
फिरोजाबाद संसदीय सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व है, लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन और शिवपाल यादव के सपा से अलग होने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. यहां से कुल 6 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें मुख्य मुकाबला सपा से अलग होकर नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल से हैं जो रिश्ते में उनके चाचा लगते हैं. इन दोनों के अलावा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के डॉक्टर चंद्रसेन जादौन भी मैदान में हैं और 2 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय हैं.
उतार-चढ़ाव वाला सीट
फिरोजाबाद लोकसभा सीट के शुरुआती चुनावों के इतिहास के हिसाब से देखा जाए तो यह सीट कभी किसी एक पार्टी के हक में नहीं रही और जनता ने लगातार अपना मिजाज यहां पर बदला. इस सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज कराई थी. 1967 में सोशलिस्ट पार्टी, 1971 में कांग्रेस ने जीत हासिल की. हालांकि इसके बाद 1977 से लेकर 1989 तक हुए कुल चार चुनाव में भी कांग्रेस सिर्फ एक बार ही जीत सकी.
90 के दशक में रामलहर के बाद 1991 के बाद लगातार तीन बार यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जीती. बीजेपी के प्रभु दयाल कठेरिया ने यहां से जीत की हैट्रिक लगाई. 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन ने बड़ी जीत हासिल की. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2009 से इस सीट पर चुनाव लड़ा और जीते भी, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था.
2009 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने चुनाव जीता और 2014 में समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ने यहां से बड़ी जीत हासिल की.
15 फीसदी से ज्यादा मुसलमान
2011 की जनसंख्या के आंकड़ों को मानें तो फिरोजाबाद क्षेत्र में 15 फीसदी से अधिक मुस्लिम जनसंख्या है, यानी मुस्लिम मतदाता यहां पर निर्णायक स्थिति में हैं. 2014 के आम चुनाव के आंकड़ों के अनुसार यहां 16 लाख से अधिक वोटर हैं, इनमें 9 लाख से अधिक पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं. फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें टुंडला, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद और सिरसागंज सीटें आती हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ सिरसागंज की सीट पर समाजवादी पार्टी ने बाजी मारी थी और बाकी सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं.
2014 का जनादेश
पिछले आम चुनाव में फिरोजाबाद में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर हुई थी, हालांकि समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव ने बाजी मार ली थी. अक्षय यादव को 5 लाख से ज्यादा यानी 48.4% वोट मिले थे वहीं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 38 फीसदी वोट मिले थे. पिछले चुनाव में यहां पर करीब 67 फीसदी मतदान हुआ था.
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