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लॉकडाउन से परेशान हैं बनारस के शफीक, इन दिनों फेरीवाले का कर रहे काम

आजतक से बातचीत के दौरान शफीक ने बताया कि वे दुनिया की हर आवाज निकाल लेते हैं और पूरे भारत में शो कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले डेढ़ दशक से मुंबई में थे और पूरे भारत में शो कर चुके हैं. वे सभी नामचीन भोजपुरी कलाकारों के साथ स्टेज पर काम कर चुके हैं.

फेरीवाला बनकर चलाना पड़ रहा घर (फोटो- आजतक) फेरीवाला बनकर चलाना पड़ रहा घर (फोटो- आजतक)
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 16 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:50 AM IST
  • कोरोना ने छीना कलाकारों से मंच
  • मिमिक्री आर्टिस्ट शफीक बेच रहे मोबाइल स्टैंड

कोरोना काल के दौरान न जाने कितनों की नौकरी चली गई. कितनों की रोजी रोटी छिन गई. इनमें से कई ऐसे लोग भी रहे जो अपनी हुनर के भरोसे मायानगरी मुंबई में दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे. लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन ने पूरी तरह मनोरंजन जगत पर ताला जड़ दिया. ऐसे में कई बनारस के कलाकार इन दिनों गलियों में फेरीवाला बनकर दो वक्त की रोटी जुटा रहे हैं.

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न केवल बनारस, बल्कि पूर्वांचल और मुंबई तक में अपनी आवाज के जरिये कॉमेडी और मिमिक्री करके लोगों के दिलों पर राज करने वाला शफीक, इन दिनों बनारस की गलियों में घूम-घूमकर मोबाइल स्टैंड बेचने को मजबूर हैं. हां लेकिन फेरी करने के दौरान भी वह अपने आवाज के जादू का तड़का लगाना नहीं भूलते हैं. उसकी आवाज सुनने के लिए हजारों की भीड़ चंद मिनटों में जुट जाती है. 

आजतक से बातचीत के दौरान शफीक ने बताया कि वे दुनिया की हर आवाज निकाल लेते हैं और पूरे भारत में शो कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले डेढ़ दशक से मुंबई में थे और पूरे भारत में शो कर चुके हैं. वे सभी नामचीन भोजपुरी कलाकारों के साथ स्टेज पर काम कर चुके हैं और उनके साथ एंकरिंग भी की है. लेकिन अब दो साल होने को आ रहे हैं. सरकार कार्यक्रम करने का परमिशन नहीं दे रही है.

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उन्होंने कहा कि मेरी तरह देश भर में कलाकार चाहे वे सिंगर, डांसर और म्यूजिशियन हों, सभी परेशान हैं. रोज घर पर पांच सौ रुपये का खर्च है, जिसको पूरा करने के लिए सड़क पर उतर कर यह काम करना पड़ता है. 

उन्होंने बताया कि मुंबई में ज्यादातर कलाकार उत्तर भारत के हैं. मुंबई की हालत बहुत खराब है. लोकल ट्रेन और बस से सफर तक नहीं कर सकते हैं. इसलिए वापस अपने घर आ गए. अपने घर आधी रोटी खाएंगे, लेकिन चैन से रह सकेंगे. मुंबई में कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था. उन्होंने सरकार से अपील की कि कार्यक्रम की परमिशन दें ताकि उन जैसे कलाकार अपनी रोजी रोटी कला के जरिये कमा सकें.

 

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