
2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में एक ऐतिहासिक चुनावी जंग का टोन निर्धारित करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घोषणा की है कि बहुजन समाज पार्टी के साथ उनका गठबंधन तय है और दोनों पार्टियां मिलकर 2019 की चुनावी लड़ाई लड़ेंगी. 'आजतक' के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने कहा कि दोनों पार्टियों की पहली प्राथमिकता नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को हराना है.
मुख्यमंत्री आवास से एक किलोमीटर दूर लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने निवास स्थान पर बैठे अखिलेश ने योगी आदित्यनाथ पर भी तंज कसा, जिन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अखिलेश की जगह ली थी. उन्होंने कहा, 'यूपी की जनता ने उनको वोट नहीं दिया था. लोगों ने नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट दिया था. प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वे सूबे को एक अच्छा मुख्यमंत्री देते. यूपी में कहीं न्याय नहीं हो रहा. योगीजी ज्यादातर धार्मिक क्रियाकलापों नजर आते हैं. वे एक अच्छे साधु हो सकते हैं, लेकिन अच्छे मुख्यमंत्री नहीं हैं.'
अखिलेश ने बताया उपचुनाव में कैसे हुआ 'गठबंधन'
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने पहली बार गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा के साथ गठबंधन के लिए पर्दे के पीछे हुई जोड़ तोड़ की कहानी बताते हुए कहा कि पार्टी नेता गठबंधन चाहते थे, साथ ही काडर और वोटर भी दोनों पार्टियों के गठबंधन के पक्ष में थे.
उन्होंने कहा, 'पहले बात बैक चैनल के जरिए ही शुरू हुई और फिर मैंने मायावतीजी से फोन पर बात की. फिर हमने कांग्रेस के निमंत्रण पर दिल्ली में बैठक के दौरान एक साथ एक ही टेबल पर खाना खाया, जहां बहुत सारी बातें हुईं, जिसको बताना जरूरी नहीं है. क्योंकि बीजेपी बहुत ही होशियार पार्टी है.'
बसपा के साथ अपनी पिछली कड़वाहटों को भुलाने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी की स्थापना मुलायम सिंह यादव ने की थी, लेकिन अब यह एक नई पार्टी है. गठबंधन की मजबूती के लिए हमें अपना पिछला इतिहास भूलना होगा.
बता दें कि 2 जून 1995 के कुख्यात गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा और बसपा के रिश्ते कभी भी सहज नहीं रहे. 1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड के बाद बीजेपी को रोकने के लिए कांशीराम और मुलायम सिंह के बीच गठबंधन हुआ था और दोनों पार्टियों ने यूपी की सत्ता पर कब्जा जमाया था.
'मुलायम के जोड़ तोड़ से टूटा बसपा-सपा गठबंधन'
हालांकि दोनों पार्टियों का गठबंधन सहज नहीं रहा, मुलायम ने बसपा के विधायकों को तोड़कर अपने सहयोगी को कमजोर करने की कोशिश की. यहां बीजेपी ने हस्तक्षेप किया और मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में मदद की.
इसके बाद से भारतीय राजनीति में सपा और बसपा एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे हैं. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों और 2017 के विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद दोनों पार्टियों ने 2018 में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए साथ आने का फैसला किया.
उपचुनावों में बसपा ने कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया और सपा के उम्मीदवार को अपना समर्थन किया. नतीजा सपा के पक्ष में रहा और दोनों पार्टियों ने मिलकर बीजेपी को शर्मसार कर दिया.
समर्थन के लिए मायावती का आभार जताने गए थे अखिलेश
उपचुनाव नतीजे के बाद अखिलेश खुद चलकर मायावती के आवास पर उन्हें धन्यवाद करने पहुंचे थे, जहां दोनों नेताओं के बीच करीब घंटे भर तक बातचीत चली थी. अखिलेश ने कहा, 'उस बैठक में हमने भविष्य की रणनीति के बारे में चर्चा की थी. मैं बहुत ज्यादा तो नहीं बता सकता, लेकिन हमने एक साथ चुनाव लड़ने की आवश्यकता पर चर्चा की.'
अखिलेश ने ये भी कहा कि आने वाले विधान परिषद के चुनाव में भी सपा, बसपा के उम्मीदवार का समर्थन करेगी. इससे पहले सपा ने राज्यसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार का समर्थन किया था, लेकिन बीजेपी का उम्मीदवार जीतने में सफल रहा.
उपचुनाव की दो सीटों पर साथ चुनाव लड़ने के मुकाबले लोकसभा चुनाव में आपसी सहमति ज्यादा मुश्किल होगी और इसे 2022 के विधानसभा चुनाव में अमलीजामा पहनाने ज्यादा मुश्किल होगा, क्योंकि दोनों नेता तब मुख्यमंत्री की कुर्सी के लड़ रहे होंगे. इस सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा कि विधानसभा चुनाव अभी बहुत ज्यादा दूर है. हमारी पहली प्राथमिकता अभी लोकसभा चुनाव है.
अखिलेश ने यह भी कहा कि नेताजी मुलायम सिंह यादव ने सपा और बसपा के गठबंधन को अपना आशीर्वाद दिया है.
'कांग्रेस के साथ दोस्ती, गठबंधन पर फैसला बाद में'
कांग्रेस के साथ यूपी में बीजेपी के खिलाफ सभी पार्टियों को साथ लेने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस के साथ हमारी दोस्ती जारी रहेगी, लेकिन गठबंधन पर आगे चलकर बात होगी. उन्होंने कहा लोकसभा उपचुनाव की दोनों सीटों पर कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है, लेकिन उन्होंने बिना किसी चर्चा के दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे.
गुजरात और अब कर्नाटक में राहुल गांधी के मंदिर दौरे पर अखिलेश ने कहा कि मेरे घर में मंदिर है. मेरी पत्नी हर रोज पूजा करती हैं. चुनावों से पहले कोई कहीं भी जा सकता है. लेकिन चुनावों के समय ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे राजनीतिक मुद्दों से लोगों का भटकाव हो.
2019 में कांग्रेस की भूमिका के बारे में संकेत देते हुए अखिलेश ने कहा कि टीएमसी और टीडीपी जैसी पार्टियां जिस समझौते के लिए कोशिश कर रही हैं, उसे हमारा समर्थन है. लेकिन एक प्रभावी गठबंधन के लिए जरूरी है कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, वहां अन्य पार्टियों (जैसे कांग्रेस) को उनका समर्थन करना चाहिए.
'उन्नाव केस में कड़ी कार्रवाई करें मुख्यमंत्री'
उन्नाव रेप केस पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश ने कहा कि यह एक दुखद घटना है. पीड़िता विधायक पर आरोप लगा रही है और सरकार-पुलिस उसे बचाने में लगी हैं. मुख्यमंत्री को इस पर कड़ा एक्शन लेना चाहिए, लेकिन जिस तरह की सहानुभूति विधायक के प्रति डीजीपी की ओर से दिखाई गई है, वो पीड़िता के साथ हुए अन्याय का संकेत देता है.