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लखनऊ: जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत पर एक्शन, हटाए गए पुलिस कमिश्नर

योगी सरकार ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय को हटा दिया है. उनकी जगह डीके ठाकुर को नियुक्त किया गया है. वहीं, आबकारी निरीक्षक आलोक पांडेय को निलंबित कर दिया गया है. 

लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय हटाए गए (फाइल फोटो) लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय हटाए गए (फाइल फोटो)
अरविंद ओझा/आशीष श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 18 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:05 AM IST
  • जहरीली शराब पीने से हुई थी 6 लोगों की मौत
  • पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय को हटाया गया
  • डीके ठाकुर होंगे लखनऊ के पुलिस कमिश्नर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत हो गई थी. योगी सरकार ने अब इस मामले में कार्रवाई करते हुए लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय को हटा दिया है. उनकी जगह डीके ठाकुर को नियुक्त किया गया है. वहीं, आबकारी निरीक्षक आलोक पांडेय को निलंबित कर दिया गया है. 

बिहार के पटना में जन्मे सुजीत पांडेय 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं. लखनऊ का पुलिस कमिश्नर बनने से पहले वो प्रयागराज जोन के एडीजी थे. उन्हें अब सीतापुर का अपर पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया है. वहीं, जी के गोस्वामी को एटीएस का चीफ बनाया गया है. इसके अलावा राजकुमार को अपर पुलिस महानिदेशक (कार्मिक) बनाया गया है.  

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डीेके ठाकुर होंगे नए पुलिस कमिश्नर

जहरीली शराब पीने से हुई थी 6 लोगों की मौत

बता दें कि लखनऊ के बंथरा में 12 नवंबर को जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, कई लोग बीमार पड़ गए थे. लोगों के मुताबिक, शराब में मिट्टी का तेल मिले होने की आशंका थी, जिससे तबीयत खराब हुई. मौके पर पहुंची पुलिस ने देसी शराब की दुकान को सील कर दी. लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए. इसके साथ मजिस्ट्रेट की टीम और आबकारी की टीम मौके पर पहुंचकर पूरी घटना का मुआयना की. 

हालांकि, तत्कालीन पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय ने लापरवाही बरतने की वजह से इंस्पेक्टर रमेश सिंह रावत समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था. डीसीपी सेंट्रल जोन सोमेन वर्मा के मुताबिक, देसी सरकारी शराब कोटेदार ननकऊ उधार में शराब बेचता था. इसके बाद राशन न देकर रुपये काट लेता था. इसके साथ आरोपी लोगों का राशन भी बेच देता था. आरोपी कोटेदार की राशन की दुकान से बड़ी संख्या में शराब की बोतलें मिली हैं.

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शासन ने जांच में पाया था कि विभाग की ओर से 9 से 13 नवंबर के बीच स्टॉक का सत्यापन नहीं किया गया था. यही नहीं स्टॉक में अनियमितता भी मिली है. 


 

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