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100 रुपये में रजिस्ट्रेशन, फीस में 10 फीसदी की बढ़ोतरी...KGMU में इलाज होगा महंगा !

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में अब मरीजों को अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 100 रुपये देने पड़ सकते हैं, जबकि पहले सिर्फ 50 रुपये लगते थे. इसके साथ ही इलाज की फीस को 10 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू)
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:22 PM IST
  • 22 जुलाई को होने वाली बैठक में हो सकता है फैसला
  • पिछली बैठक में फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को मिली थी मंजूरी

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में इलाज कराना महंगा हो जाएगा. रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर इलाज कराने तक की फीस बढ़ाने का प्लान है. अब मरीजों को अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 100 रुपये देने पड़ सकते हैं, जबकि पहले सिर्फ 50 रुपये लगते थे. इसके साथ ही इलाज की फीस को 10 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है.

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22 जुलाई को होने वाली कार्यकारिणी परिषद की बैठक में रजिस्ट्रेशन और इलाज फीस बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है. लोहिया अस्पताल के बाद अब केजीएमयू में भी इलाज महंगा हो सकता है. लोहिया अस्पताल में रजिस्ट्रेशन 1 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये किया गया था. लोहिया में 9 जुलाई से नई व्यवस्था लागू कर दी गई है.

गौरतलब है कि 17 जून को केजीएमयू बोर्ड की बैठक की गई थी. इसमें ओपीडी समेत कई सुविधाओं की फीस बढ़ाये जाने की मंजूरी मिली थी. हालांकि 27 जून को बोर्ड की बैठक में इस पर फैसला नहीं लिया जा सका था. अब 22 जुलाई को प्रस्तावित बैठक में ओपीडी, मरीजों की भर्ती, पैथोलॉजी समेत कई अन्य सुविधाओं की फीस बढ़ाई जा सकती है.

लखनऊ के बड़े सरकारी अस्पताल में शुमार केजीएमयू में रोजाना पांच हजार से भी अधिक मरीज आते हैं. सरकार की ओर से लगभग 950 करोड़ रुपए का बजट व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए जारी होता है. अभी ओपीडी रजिस्ट्रेशन की फीस 50 रूपये है. रजिस्ट्रेशन का यह पर्चा 6 महीने के लिए मान्य होता है. रजिस्ट्रेशन फीस दोगुना करने का प्रस्ताव है.

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इसके साथ ही प्राइवेट रूम और पैथोलॉजी की फीस में भी बढ़ोतरी हो सकती है. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के अनुसार, बोर्ड की बैठक में क्या विषय शामिल होंगे, इसकी जानकारी अभी नहीं है. बैठक के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. 4500 बेड वाले केजीएमयू में अगर फीस बढ़ती है तो इसका खामियाजा गरीब मरीजों को उठाना पड़ेगा.

 

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