Advertisement

लखनऊ: कोरोना जैसे लक्षणों से गांव में 15 मौतें, लोगों में दहशत, ऑक्सीजन-दवा सबका टोटा

बख्शी का तालाब के इंदारा गांव के लोगों का दावा है कि यहां कोरोना जैसे लक्षणों से 15 मौतें हुई हैं और गांव में अभी भी कई लोग इन लक्षणों से ग्रसित हैं. उन्होंने कहा कि इंदारा व कुमरावा गांव में मेडिकल सुविधा तक नहीं मिल पा रही है. रैंडम टेस्टिंग के लिए एक भी टीम नहीं आई. किसी ने मेडिकल किट तक नहीं मुहैया करवाई. 

लखनऊ के पास के गांव में कोरोना से हालात खराब लखनऊ के पास के गांव में कोरोना से हालात खराब
समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ ,
  • 16 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST
  • बख्शी का तालाब के गांवों में कहर
  • चंद दिनों में 15 मौतों से दहशत
  • दावा- ऑक्सीजन, दवा, सबकी कमी

यूपी में कोरोना केसों में कमी जरूर आई है, लेकिन खतरा भी टला नहीं है. कोरोना से यूपी की राजधानी लखनऊ बुरी तरह प्रभावित हुई है. लखनऊ के ही बख्शी का तालाब के गांवों में कोरोना की दूसरी लहर (Covid-19 Second Wave) ने कहर बरपाया है. यहां एक ही गांव में चंद दिनों में कोविड जैसे लक्षणों वाले लगभग 15 लोगों की मौत हो गई. इस घटना से आसपास के इलाकों में दहशत है. 

Advertisement

बख्शी का तालाब के इंदारा गांव के लोगों का दावा है कि यहां कोरोना जैसे लक्षणों से 15 मौतें हुई हैं और गांव में अभी भी कई लोग इन लक्षणों से ग्रसित हैं. उन्होंने कहा कि इंदारा व कुमरावा गांव में मेडिकल सुविधा तक नहीं मिल पा रही है. रैंडम टेस्टिंग के लिए एक भी टीम नहीं आई. किसी ने मेडिकल किट तक नहीं मुहैया करवाई. 

इन गांवों के लोगों ने दावा किया कि यहां सैनिटाइजेशन भी नहीं हुआ. लोग कोविड और कर्फ्यू से दोहरा झटका झेल रहे हैं. इंदारा गांव के किसान अमरेंद्र सिंह भदौरिया ने आजतक को बताया कि उन्हें फरवरी से अनाज का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस महामारी के चलते उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 72 घंटे के भीतर भुगतान करने का दावा किया लेकिन 3 महीने बाद भी भुगतान नहीं हुआ. 

Advertisement

क्लिक करें- Corona Updates: कोरोना के नए मामलों में गिरावट, लेकिन मौत का ग्राफ अब भी ऊंचा, 24 घंटे में 4,077 मौतें

डर के मारे कुमरावा के ग्रामीण अपना टेस्ट नहीं करा रहे हैं. कुमरावा गांव निवासी सौरव पांडे ने कहा कि ग्रामीणों को लगता है कि उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जाएगा और वहां की स्थिति सबसे खराब है. जबकि, कुछ का मानना ​​है कि उन्हें जो सर्दी-जुकाम हुआ है वो केवल वायरल हैं. टेस्ट की जरूरत नहीं है. वहीं कुछ का मानना ​​​​है कि कोविड पॉजिटिव होने पर गांव में उनका बहिष्कार किया जाएगा. कुछ लोग कोविड टेस्टिंग की व्यवस्था नहीं होने का आरोप लगाते हैं. 

30 वर्षीय अनिल, जिसकी मिठाई की दुकान थी, वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था, उसकी कोविड जैसे लक्षणों और सांस लेने में तकलीफ से मौत हो गई. अनिल अपने पीछे एक साल का बेटा और पत्नी छोड़ गए हैं. परिजनों के आंसू ग्रामीण इलाकों में प्रशासन की ढिलाई की कहानी बयां कर रहे थे. 

आजतक की टीम पहुंची गांव

अनिल के भाई ने कहा कि को दो दिन में पता ही नहीं चला कि उसके भाई को क्या हो गया? दवा लेने के लिए एक निजी डॉक्टर के पास जाना पड़ा, गांव में सरकार द्वारा कोई मेडिकल किट उपलब्ध नहीं कराई गई थी. लेकिन हम भाई को नहीं बचा सके. इतना कहते ही सभी की आंखे भर आती हैं. 

Advertisement

वहीं, बुद्ध नाम का शख्स जिसे कोरोना जैसे लक्षण थे, वह खुद को आइसोलोट कर परिवार से अलग रह रहा था. लेकिन इलाज के अभाव में उसका ऑक्सीजन लेवल नीचे गिरता रहा. यह देख उसके बेटे ओम प्रकाश और उमा शंकर ने एम्बुलेंस के लिए सरकार द्वारा दिए गए नंबरों पर कॉल की. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी कुछ नहीं हुआ, तब तक बुद्ध जिंदगी की जंग हार गए. 

हालांकि एसडीएम बख्शी का तालाब शुभी सिंह का कहना है कि प्रशासन सैनिटाइजेशन और कोविड टेस्टिंग के लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि चेतक टीम ग्रामीणों को दवा उपलब्ध करा रही हैं और प्रशासन लगातार गांवों के पार्षदों और प्रधानों के संपर्क में है. हालांकि, उनके दावों में से कुछ भी आजतक के रियलिटी चेक से मेल नहीं खा रहा था. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement