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UP: मदरसा सर्वे की डेडलाइन खत्म, अब सरकार को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

यूपी सरकार को मदरसों की सर्वे रिपोर्ट 25 अक्टूबर तक सौंपी जाएगी. 5 अक्टूबर को सर्वे का समय पूरा गया है. 10 अक्टूबर तक जिला अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपी जाएगी. मदरसा सर्वे को लेकर राजनीति अभी भी जारी है. सरकार की मंशा पर कांग्रेस सवाल उठा रही है. वहीं, मुस्लिम धर्मगुरु सर्वे रिपोर्ट में पारदर्शिता रखने की बात कर रहे हैं.

मदरसा (फाइल फोटो) मदरसा (फाइल फोटो)
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 06 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:23 PM IST

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के ग्यारह बिंदुओं पर किए जाने वाले फिजिकल वेरिफिकेशन की प्रक्रिया 5 अक्टूबर को खत्म हो गई. प्रशासन अब अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को 10 अक्टूबर तक देगा. इसके बाद 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी.

इस दौरान मदरसों के सर्वे को लेकर विपक्ष और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सवाल खड़े किए थे. वहीं, सरकार अब भी पहले की बात को दोहराते हुए मुस्लिम कल्याण की बात कर रही है. वेरिफिकेशन में सरकार ने ग्यारह बिंदुओं वाली रिपोर्ट मांगी है. इसमें मदरसों के शिक्षा के पाठ्यक्रम, छात्रों की संख्या, उनकी मौजूदा स्थिति और आय संबंधी ब्यौरा शामिल है.

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सरकार का दावा है कि वह इन आंकड़ों के जरिए गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की स्थिति जानकर उन्हें योजनाओं से जुड़ेगी. वहीं, सरकार की मंशा पर विपक्ष ने इसे भेदभाव की राजनीति करार दिया. उत्तर प्रदेश में 15,613 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. वहीं, गैर मान्यता प्राप्त का सरकार के पास कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है.

सर्वे में मौलानाओं ने किया सहयोग- दानिश अंसारी

यूपी अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने आजतक से बात करते हुए कहा, ''मदरसों के फिजिकल सर्वे की प्रक्रिया पूरी हो गई है. इसकी रिपोर्ट जल्द शासन को भेजी जाएगी. सर्वे का मकसद गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की स्थिति को जानना और उसमें सुधार करने के लिए सरकारी योजनाओं से जोड़ने है." 

उन्होंने कहा, "ये सर्वे पूरी तरह सफल रहा और तमाम धर्मगुरुओं और मौलानाओं ने इसमें सहयोग किया है. आज का मुसलमान तरक्की पसंद है, सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर मदरसों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार कदम उठाएगी. इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.''

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सर्वे को लेकर विपक्ष के सवालों पर उन्होंने कहा ''इनका मकसद केवल राजनीति करने का था न कि मुस्लिम बच्चों की तरक्की का. ये नहीं चाहते कि उन्हें अच्छी शिक्षा मिले. सर्वे के बाद तमाम गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों की तरक्की का काम होगा. सरकार दुरुस्तीकरण पर चलती है. जहां शिकायत आएगी वहां कार्यवाई होगी. हमने आपसी बात कर सबका सहयोग लिया है और इस पर केवल विपक्ष के कुछ लोगों ने सरकार को बदनाम करने के लिए सवाल खड़े किए हैं.''

कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता सुनील राजपूत का दावा है कि बीजेपी हिंदू-मुसलमान करने के लिए ऐसा सर्वे करती है. अगर सरकार की मंशा अगर सही होती, तो अब तक मदरसों की हालत सुधर चुकी होती.  

उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार के सर्वे के मुताबिक गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में अनियमितता नहीं है, तो उन्हें सरकारी कर दिया जाए. ग्रांट दी जाए और बच्चों को मिड-डे मील मिले.

वे बोले सीधे तौर पर सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने के लिए इस तरीके की कार्रवाई की जा रही है. 2024 के चुनाव में बताने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए हिंदू-मुसलमान करके बीजेपी प्रदेश का माहौल खराब कर रही है.

शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने भी उठाए सवाल

शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने भी मदरसों के सर्वे की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की बात कही है. उन्होंने सर्वे की रिपोर्ट निष्पक्ष होने की बात कहते हुए एक तरफा कार्रवाई न होने की बात भी कही है.

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उन्होंने कहा पीएम मोदी ने सबका साथ सबका विकास की बात कही है. ऐसे में सर्वे के बाद कार्यवाही भी सबकी सहमति से हो. सरकार को चाहिए कि मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलानाओं से बातचीत करे. सरकार बॉर्डर पर बने मदरसों को भी देखे, जहां मदरसे का बोर्ड लगाकर अंदर असामाजिक काम होते हैं.

दारुल उलूम प्रवक्ता ने कहा- सर्वे से भरोसे को पहुंची ठेस 

दारुल उलूम प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने भी सर्वे को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे से ज्यादा इस बात की जरूरत है कि जो मदरसे सरकार की मदद से चलते हैं, उनकी क्या स्थिति है. चंदे से चलने वाले मदरसों में गरीब बच्चों को तालीम दी जाती है. इस सर्वे से जो भरोसा मुसलमानों का सरकार पर बन रहा था, उसको भी ठेस लगी है. मदरसे को शक की निगाह से न देखा जाए. सर्वे की सही रिपोर्ट सामने रखी जाए.

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