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चिता सजाकर बोले परमहंस- स्वामी सानंद ने गंगा के लिए जान दी, मैं मंदिर के लिए प्राण दूंगा

परमहंस दास का कहना है कि जिस तरह से गंगा की स्वच्छता के लिए प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ने अपने प्राण त्यागे थे उसी तरह मंदिर निर्माण के लिए वह भी अपने प्राण त्याग देंगें. संत दास के मुताबिक शायद इसके बाद  ही सरकार की आंखें खुलेगी और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होगा.

फाइल फोटो फाइल फोटो
शिवेंद्र श्रीवास्तव/पन्ना लाल
  • अयोध्या,
  • 24 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हफ्तों तक आमरण अनशन करने वाले तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने 6 दिसंबर को आत्मदाह करने का ऐलान किसा है. परमगंस दास ने शुक्रवार को कहा कि योगी सरकार और मोदी सरकार ने उन्हें धोखा देकर उनका अनशन तुड़वाया था. लिहाजा मंदिर नहीं बनने पर अब उनके पास आत्मदाह के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

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परमहंस दास ने बाकायदा मंदिर के मुख्य द्वार पर लकड़ी की चिता बनाई है और खुद उसका पूजन किया. इसके बाद चिता के बीच में खड़े होकर उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई.

परमहंस दास के मुताबिक जब वह मंदिर निर्माण की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनशन तुड़वाया था और भरोसा दिलाया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात करवाएंगे और मंदिर निर्माण के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. परमहंस दास ने कहा कि उन्होंने योगी पर भरोसा कर गलती की, क्योंकि ना तो अभी तक महंत को योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलवाया और ना ही मंदिर निर्माण के लिए कोई पहल की.

परमहंस दास का कहना है कि जिस तरह से गंगा की स्वच्छता के लिए प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने अपने प्राण त्यागे थे, उसी तरह मंदिर निर्माण के लिए वह भी अपने प्राण त्याग देंगे. संत दास के मुताबिक शायद इसके बाद ही सरकार की आंखें खुलेगी और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होगा.

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शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद की धर्म सभा के बारे में परमहंस ने कहा यह सब राजनीतिक कार्यक्रम है. इसलिए वे इनसे किसी भी तरीके का कोई वास्ता नहीं रखेंगे. महंत परमहंस दास ने कहा कि ठीक चुनाव से पहले इस तरह के हथकंडे राजनीतिक दलों द्वारा अपनाए जाते हैं और मंदिर निर्माण के लिए सार्थक पहल कोई नहीं करता. संत परमहंस की इस चेतावनी के बाद शासन प्रशासन की नजर उन पर बनी हुई है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से बात करने की कोई पहल नहीं की गई है.

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