
उत्तर प्रदेश की मऊ कोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ धार्मिक भावना को आहत करने को लेकर नोटिस जारी किया है. दरअसल, जनसभा के दौरान सीएम योगी ने कहा था, 'बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं बनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं.' इस बयान पर आपत्ति जताते हुए एक शख्स ने परिवाद दाखिल किया था.
मऊ के दोहरीघाट थाना क्षेत्र के निवासी नवल किशोर शर्मा ने एक परिवाद दाखिल किया था. इस परिवाद में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आरोपी बनाते हुए प्रकरण में विचार करने के लिए उनको तलब करने का अनुरोध किया था. उनके द्वारा परिवाद में कहा गया था कि सीएम योगी एक प्रभावशाली, राजनीतिक व्यक्ति है तथा गोरक्षपीठ के महंत भी हैं.
नवल किशोर शर्मा ने कहा था, 'सीए योगी आदित्यनाथ का वक्तव्य देश, प्रदेश, जाति, वर्ग और धर्म- समुदाय के लिए काफी महत्व रखता है.' यह बताते हुए याची ने आरोप लगाया था कि सीएम योगी द्वारा 28 नवंबर 2018 को राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक जनसभा के दौरान कहा गया था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं बनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं. उनके इस भाषण से परिवादी की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगी है.
परिवाद में कहा गया था, 'सीएम योगी के बयान से बजरंगबली में आस्था रखने वाले लोगों की भावना भी आहत हुई है.' पहले तो इस परिवाद पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट / एमपी एमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने सुनवाई की और 11 मार्च को इस परिवाद को यह कहते हुए खारिज कर दिया, क्योंकि घटनास्थल राजस्थान का है और मऊ का क्षेत्राधिकार नहीं है.
अब इस आदेश के विरुद्ध याची ने कल जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया, जिसमें जिला जज की कोर्ट ने एसीजेएम / एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के विरुद्ध इस निगरानी को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी कर 26 अप्रैल की तारीख सुनवाई के लिए तय किया है.