
लोकसभा चुनाव से पहले 12 जनवरी को उत्तर प्रदेश की राजनीति को उस समय बड़ा बदलाव होता दिखा जब दो कट्टर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया, लेकिन चुनाव में गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली. अब परिणाम आने के 11 दिन तक चुप्पी साधे जाने के बाद मायावती की ओर से समीक्षा किए जाने की बात कहने पर गठबंधन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं तो अखिलेश यादव को अभी भी उम्मीद है कि गठबंधन आगे बना रहेगा.
चुनाव परिणाम आने के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती सोमवार को जहां हार की समीक्षा कर रही थीं तो वहीं समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव मतदाताओं को धन्यवाद देने के लिए आजमगढ़ में थे. दोनों का कार्यक्रम अलग-अलग जगहों पर लगभग एक ही समय था. चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव पहली बार आजमगढ़ गए थे और वहां की धन्यवाद रैली दोनों दलों की साझा रैली थी.
साझा रैली में मौजूद थीं बसपा सांसद
आजमगढ़ की साझा रैली की खास बात यह भी थी कि मंच पर अखिलेश के अलावा लालगंज संसदीय सीट पर चुनाव जीतने वाली संगीता आजाद भी मौजूद थीं. संगीता आजाद ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए बीजेपी सांसद और प्रत्याशी नीलम सोनकर को 1 लाख 61 हजार 597 वोटों से हराया था. इन दोनों के अलावा मंच पर बसपा के कई अन्य स्थानीय नेता भी मौजूद थे.
दूसरी ओर, बीएसपी प्रमुख मायावती सोमवार को दिल्ली में चुनावी हार की समीक्षा कर रही थीं. 2019 लोकसभा चुनाव में बीएसपी को राज्य में संतोषजनक सीटें न मिलने और कुछ प्रदेशों में करारी हार को लेकर मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई थी. उत्तर प्रदेश के सभी बसपा सांसदों और जिलाध्यक्षों के साथ बैठक में मायावती ने कहा कि पार्टी सभी विधानसभा उपचुनाव में लड़ेगी और अब 50 फीसदी वोट का लक्ष्य लेकर राजनीति करनी है.
टूट की कगार पर गठबंधन
मायावती ने कहा कि गठबंधन से चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं. साथ ही उन्होंने दावा किया कि चुनाव में यादव वोट ट्रांसफर नहीं हो सका. लिहाजा, अब गठबंधन की समीक्षा की जाएगी. इतना ही नहीं मायावती ने यहां तक कह डाला कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पत्नी और भाई को भी चुनाव नहीं जिता पाए हैं. सूत्रों के मुताबिक, मायावती के इस रुख के बाद सपा-बसपा गठबंधन अब टूट की कगार पर नजर आ रहा है.
इस बीच, दिल्ली से करीब 822 किलोमीटर दूर आजमगढ़ में सपा और बसपा की साझा रैली में अखिलेश बसपा के कई स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ नजर आए. उन्होंने मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए कहा, 'मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि ये जो समाजवादी भरोसा है, उसे मैं टूटने नही दूंगा. मुझे जिताने के लिए आपका धन्यवाद. हमारा रिश्ता कभी आजमगढ़ से खत्म नहीं होने वाला.' हालांकि जिस समय वह मंच से बोल रहे थे, शायद उन्हें मायावती के नए बयान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
भाषण के बाद मंच से उतरने के दौरान अखिलेश से मायावती के नए बयान पर सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.
अखिलेश का दांव नाकाम
लेकिन इतना तो तय है कि मायावती ने चुनाव परिणाम आने के 12वें दिन गठबंधन के बारे में अपनी राय रखी. जिस तरह से उन्होंने अखिलेश यादव पर हमला बोला है उससे लगता है कि उनका इस गठबंधन को जारी रखने का कोई इरादा नहीं है. हालांकि अखिलेश की कोशिश होगी कि गठबंधन को आगे लंबे समय बनाए रखा जाए जिससे भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दी जा सके.
गठबंधन के बाद चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश ने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया था तो इशारों-इशारों में मायावती को प्रधानमंत्री पद का दावेदार करार दिया और इसके जरिए उन्होंने गठबंधन को भविष्य के चुनाव में भी मजबूती देने की कोशिश की थी, अगर मायावती गठबंधन से हटती हैं तो विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी से गठबंधन के बाद अखिलेश के राजनीतिक करियर का एक और दांव बुरी तरह से नाकाम हो जाएगा.