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UP: न काम का पता, न मजदूर मौजूद, कौन दबा गया मनरेगा का 94 लाख रुपया?

चार गांव में मनरेगा के तहत 93.65 लाख रुपये का काम कागजों पर कराकर भुगतान करा लिया गया जबकि धरातल पर कुछ हुआ ही नहीं. इस कार्य के लिए गैर ब्लॉक के जिन मजदूरों के खाते में भुगतान हुआ है, उस नाम का उन गांवों में कोई मजदूर है ही नहीं.

ढूंढ़े नहीं मिल रहे वे मजदूर, जिनके नाम पर हुआ भुगतान (प्रतीकात्मक तस्वीर) ढूंढ़े नहीं मिल रहे वे मजदूर, जिनके नाम पर हुआ भुगतान (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अमितेश त्रिपाठी
  • महराजगंज,
  • 07 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:08 AM IST
  • पुरानी वर्क आईडी खोल करा दिया गया 93.65 लाख का काम
  • अब ढूंढ़े नहीं मिल रहे वे मजदूर, जिन्हें कराया गया भुगतान

भारत और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित महराजगंज जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत धांधली का मामला सामने आया है. जिले के घुघली ब्लॉक के चार गांव में मनरेगा के तहत 93.65 लाख रुपये का काम कागजों पर कराकर भुगतान करा लिया गया जबकि धरातल पर कुछ हुआ ही नहीं. इस कार्य के लिए गैर ब्लॉक के जिन मजदूरों के खाते में भुगतान हुआ है, उस नाम का उन गांवों में कोई मजदूर है ही नहीं. मामले की पोल खुलने के बाद अब अधिकारी जांच की बात कर रहे हैं.

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जानकारी के मुताबिक मनरेगा का कार्य कराए जाने के बाद दूसरे गांव के जिन मजदूरों के खाते में भुगतान कराया गया है, उस नाम के मजदूर उन गांवों में ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे. धांधली केवल मजदूरी के भुगतान में ही नहीं हुई है. बताया जा रहा है कि साल-दो साल पहले जिस वर्क आईडी पर काम कराया गया है, उसी आईडी को दोबारा खोल फिर से भुगतान करा दिया गया है. धरातल पर मनरेगा का कार्य नहीं दिख रहा जबकि भुगतान वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुआ है. मामला संज्ञान में आने के बाद जिले के उच्चाधिकारियों ने जांच शुरू करा दिया है.

पुराने काम पर कराया गया फिर से भुगतान

लोगों की मानें तो निष्पक्ष जांच होने पर घुघली ब्लाक में ही मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये के भुगतान में फर्जीवाड़े का मामला सामने आने की आशंका जताई जा रही है. ऐसा इसलिए, क्योंकि मनरेगा गाइडलाइन के मुताबिक मजदूरों को जब उनके गांव में काम नहीं मिलेगा तभी पास-पड़ोस के गांव में कार्य पर लगाया जा सकता है लेकिन उस स्थिति में भी उनको गृह ब्लॉक को छोड़कर किसी दूसरे ब्लॉक में काम नहीं दिया जा सकता है. यह नियम के विपरीत है.

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अभिलेख में भुगतान, जमीन पर नहीं हुआ काम

घुघली ब्लाक के अहिरौली, भुवना, भुवनी, बरगदवा माधोपुर में वित्तीय वर्ष 2020-21 में मिट्टी भराई और इंटरलॉकिंग के नाम पर भुगतान हुआ है. मनरेगा साइट पर दर्ज काम के विवरण और भुगतान के अहिरौली में 16 लाख 85 हजार 586 रुपये की धनराशि से मिट्टी भरने का काम हुआ है. बरगदवा माधोपुर में इंटरलॉकिंग के साथ ही नाली का निर्माण भी हुआ है. इंटरलॉकिंग के काम पर भी 14 लाख 65 हजार 129 रुपये और इसके साथ नाली के निर्माण पर 17 लाख 65 हजार 920 रुपये का भुगतान हुआ है. भुवनी में इंटरलॉकिंग के नाम पर 21 लाख 52 हजार 460 रुपये का भुगतान हुआ है. भुवना में इंटरलॉकिंग के नाम पर 22 लाख 96 हजार 643 रुपये का पेमेंट हुआ है. हैरत वाली बात यह है कि सरकारी मनरेगा साइट पर घुघली के इन चारों गांव में मनरेगा के तहत भुगतान हुआ है लेकिन धरातल पर काम हुआ ही नहीं है.

वर्क आईडी री ओपेन कर हुआ फर्जीवाड़ा 

इस मामले में घुघली ब्लॉक के बीडीओ प्रवीण शुक्ला का कहना है कि मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है. जांच हो रही है. दूसरी तरफ, विभागीय सूत्रों के मुताबिक घुघली ब्लॉक के जिन चार गांव अहिरौली, भुवना, भुवनी, बरगदवा माधोपुर में जिस कार्य को मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुआ दिखाया जा रहा है, वे सभी कार्य वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 में ही हो चुके हैं. सभी कार्यों की लागत चार लाख रुपये से कम है. साल 2020-21 में इन्हीं कार्यों की वर्क आईडी को फिर से खोल कर भुगतान कराया गया है. बीडीओ प्रवीण शुक्ल का कहना है कि जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि मनरेगा में किस कदर अनियमितता हुई है. 

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रोजगार सेवक बोला- इस नाम के मजदूर नहीं

मनरेगा में ठेकेदारी की प्रथा नहीं है. किसी दूसरे ब्लॉक के मजदूरों से काम भी नहीं कराया जा सकता लेकिन घुघली ब्लाक के जिन चार गांवों में मनरेगा के तहत गोलमाल का मामला सामने आया है, उन कार्यों में नौतनवा क्षेत्र के अहिरौली, लक्ष्मीपुर क्षेत्र के मुड़ली, सदर ब्लॉक के बांसपार बैजौली के मजदूरों के नाम पर भुगतान कराया गया है. हैरत वाली बात यह है कि बांसपार बैजौली के जिन मजदूरों के खाते में घुघली क्षेत्र में काम करने के बदले भुगतान किया गया है, उन मजदूरों के नाम-पते का कोई कामगार गांव में है ही नहीं. बांसपार बैजौली के रोजगार सेवक चिन्नू प्रसाद के मनरेगा रजिस्टर में भी इस नाम का कोई मजदूर नहीं है. रोजगार सेवक का कहना है कि गांव के मनरेगा मजदूर अपने गांव में ही काम करते हैं. कभी दूसरे गांव में जाकर उनके मजदूरी करने का मामला सामने नहीं आया है. 

उद्यान विभाग, पीडब्ल्यूडी ने कराई है इंटरलॉकिंग 

मनरेगा के तहत गोलमाल देख बड़े-बड़े विशेषज्ञ भी उलझ जा रहे हैं. उद्यान विभाग ने बरगदवा माधोपुर में मनरेगा से इंटरलॉकिंग सड़क और नाली का निर्माण कराया है जबकि नियम यह है कि वह केवल हॉर्टिकल्चर से जुड़े कार्य को ही मनरेगा से करा सकता है. चहारदीवारी के अंदर ही पौधशाला के आसपास इंटरलॉकिंग कराया जा सकता है. लोक निर्माण विभाग मनरेगा से गांव में पक्का कार्य अमूमन नहीं कराता है. ऐसा तभी कराया जा सकता है जब वह स्वीकृत हो लेकिन घुघली ब्लॉक में इस कार्यदायी संस्था ने मनरेगा से भुवनी में इंटरलॉकिंग का कार्य कराया है.

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सीडीओ बोले- हो रही जांच, दोषी पर होगी कार्रवाई

इस संबंध में महराजगंज के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है. मिली शिकायत के आधार पर जांच कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सीडीओ ने साफ कहा कि दोषी पाए जाने पर संबंधित से धन की रिकवरी भी कराई जाएगी.

 

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