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'महाराजा सुहेलदेव स्मारक' का वर्चुअल शिलान्यास करेंगे PM मोदी, योगी आदित्यनाथ भी पहुंचेंगे बहराइच

CM योगी आदित्यनाथ बहराइच दौरे पर जा रहे हैं जहां वे महाराजा सुहेलदेव स्मारक के भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लेंगे. इस कार्यक्रम में खास बात ये होगी कि प्रधानमंत्री मोदी भी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लेंगे और शिलान्यास करेंगे.

CM योगी आदित्यनाथ और PM नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) CM योगी आदित्यनाथ और PM नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • बहराइच,
  • 16 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:55 AM IST
  • महाराजा सुहेलदेव की राजभर समाज में है मान्यता
  • योगी बहराइच दौरे पर भूमि पूजन में होंगे शामिल
  • PM मोदी वर्चुअली करेंगे विकास कार्यों का शिलान्यास

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज बहराइच दौरे पर जा रहे हैं. जहां वे महाराजा सुहेलदेव स्मारक का भूमि पूजन करेंगे. CM योगी आदित्यनाथ चित्तोरा में महाराजा सुहेलदेव स्मारक के भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लेंगे.

इस कार्यक्रम में खास बात ये होगी कि प्रधानमंत्री मोदी भी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लेंगे और शिलान्यास करेंगे. इसके अलावा यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली भाग लेंगी.

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के अनुसार CM योगी आदित्यनाथ आज सुबह दस बजे सुहेलदेव स्मारक पहुंचेंगे. इसके बाद करीब 11 बजे प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम में हिस्सा बनने के लिए वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे.

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आपको बता दें कि यूपी के पूर्वी इलाके में राजभर और पासी समाज के लोगों की अच्छी खासी संख्या है. महाराजा सुहेलदेव को पासी और राजभर दोनों समाज अपना मानते हैं. इन्हीं मतदाताओं को लक्षित करते हुए बीजेपी महाराजा सुहेलदेव स्मारक की नींव रख रही है.

उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी' राजभर मतदाताओं पर अपना दावा करती है, साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी' दोनों गठबंधन में थीं. 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी' ने आठ सीटों पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था जिनमें से चार पर विजयी भी हुई.

इसके बाद ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में केबिनेट मंत्री भी बने, लेकिन ओमप्रकाश राजभर पिछड़ों के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ मुखर होने लगे. इससे नाराज बीजेपी ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिसके बाद ओमप्रकाश राजभर की पार्टी और बीजेपी का रास्ता अलग हो गया. 

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किसान आंदोलन के बाद छिटके जाटों को ध्यान में रखते हुए भाजपा बाकी ओबीसी पार्टियों को खोना नहीं चाहती है, ऐसे में उसकी नजर हर छोटी-छोटी पिछड़ी जाति पर है. बहराइच दौरा उसी संदर्भ में समझा जा सकता है.

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