
मुरादाबाद का नाम भारत ही नहीं बल्कि विश्व में पीतल नगरी के नाम से प्रसिद्ध है. मगर पिछले दिनों मुरादाबाद में खराब एयर क्वालिटी इंडेक्स के बाद जिला प्रशासन ने प्रदूषण रोकने के लिए पीतल की भट्टियों पर रोक लगा दी है.
इस मुद्दे पर मुरादाबाद के हजारों हस्तशिल्प कारीगर जिलाधिकारी कार्यालय पर इकट्ठे हुए और जमकर प्रदर्शन किया. इसके बाद मुरादाबाद के जिलाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर पीतल की भट्टियों को जल्द चलाने की मांग की.
कारीगरों की मानें तो छोटी छोटी इकाइयों पर काम बंद होने से उनके ऊपर रोजी-रोटी का संकट आ गया है. वहीं जिलाधिकारी ने कहा कि एनजीटी और प्रदूषण विभाग की सख्ती के बाद उन्हें प्रदूषण करने वाली इन भट्टियों को मजबूरन बंद कराना पड़ा था.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पिछले लंबे समय से पीतल नगरी के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले मुरादाबाद के पीतल कारोबार पर प्रदूषण का ग्रहण लग चुका है. पीतल गलाने वाली भट्टियों से निकलने वाले जहरीले धुंए की वजह से मुरादाबाद सुर्खियों में आया है. इसकी वजह से केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने ऐसी हजारों भट्टियों को बंद करा दिया था.
कारीगर-मजदूर कर रहे विरोध
इन भट्टियों से जुड़े सैकड़ों कारीगर-मजदूर एक जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए और प्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे. सैकड़ों की संख्या में पहुंचे इन प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट पर कब्जा करते हुए घंटों तक विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रसाशन से मांग की है कि उनकी भट्टियां दोबारा से चलने दी जाएं. इन मांगों को लेकर पीतल मजदूर यूनियन ने डीएम को एक ज्ञापन भी सौंपा.
वहीं जिला अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे लोगों से कहा गया है कि प्रदूषण फैलाने वाली भट्टियों की जगह नई व्यवस्था करें ताकि शहर की हवा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके.