
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से चुनावी नाता तो था ही, लेकिन यहां के एक मुस्लिम परिवार के साथ उनका विश्वास और भरोसे का अनोखा रिश्ता था. ईद पर वाजपेयी को किमामी सेवई खिलाने वाला यह परिवार उनकी याद में इस बार ईद नहीं मनाएगा.
उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पहले मुस्लिम मंत्री और वकील एजाज रिजवी और अटल बिहारी वाजपेयी एक दूसरे को दशकों से जानते थे. वाजपेयी ने जब-जब लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव का पर्चा भरा, उनके सभी कागजात तैयार करने का काम एजाज रिजवी के जिम्मे रहता था.
वर्ष 1998 में एजाज रिजवी के निधन के बाद भी इस परिवार के साथ वाजपेयी का रिश्ता बदस्तूर बना रहा और उन्होंने रिजवी की बेटी सीमा रिजवी को न सिर्फ राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि मंत्रिमंडल में उन्हें उनके पिता की विरासत भी सौंपी.
रिजवी की पत्नी और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की अध्यक्ष आसिफा जमानी के पास वाजपेयी के साथ अपने परिवार के रिश्तों की यादों का एक पूरा जखीरा है. उन यादों को साझा करते हुए उन्होंने बताया, 'अटल जी और एजाज के बीच दोस्ती का गहरा नाता था. बहुत पहले से दोनों एक दूसरे को जानते थे. अटल जी लखनऊ मेल से जब दिल्ली से लखनऊ आते थे तो चारबाग रेलवे स्टेशन पर रिजवी उन्हें लेने जाते थे.'
आसिफा बताती हैं कि अटल जी ने जब-जब लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़ा, उनके नामाकंन के कागजात तैयार करने का काम रिजवी के जिम्मे रहता था. रिजवी पर उनका विश्वास ऐसा था कि उनके बनाए कागजात पर एक पल में दस्तख्त करके नामांकन भर दिया जाता था.
पूर्व प्रधानमंत्री के साथ ईद से जुड़ी अपनी यादों को साझा करते हुए आसिफा बताती हैं 'ईद या बकरीद पर वह अगर लखनऊ में होते तो खोये वाली किमामी सेवई खाने हमारे घर जरूर आते थे. घर आते ही मुस्कुरा कर कहते थे, 'कहां है भई सेवई, जरा जल्दी लाओ.' मैं उनकी सेहत का ख्याल करते हुये उनके लिये अलग से किमामी सेवई बनाती थी जिसमें शक्कर की मात्रा कम होती थी. वह शिकायती लहजे में कहते भी थे, 'इस बार सेवई थोड़ी कम मीठी बनी है.' लेकिन मुस्कराते हुये खा लेते थे. वह मेरे बेटे आसिफ और बेटी सीमा रिजवी को ईदी के तौर पर एक एक चांदी का सिक्का दिया करते थे.'
एजाज के पुत्र आसिफ जमा रिजवी भी उन दिनों को याद करते हुए दुखी स्वर में कहते हैं, 'अटल जी के निधन से हमारा पूरा परिवार बहुत दुखी है इसीलिये अगले सप्ताह बकरीद के त्यौहार की खुशियां हम लोग नहीं मनायेंगे.'