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20 साल की उम्र में नरेंद्र गिरि ने छोड़ दिया था घर, मौत से गांव में मातम, परिजनों ने की CBI जांच की मांग

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का जन्म करीब 60 साल पहले प्रयागराज जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के छतौना गांव में हुआ था. चार भाई और दो बहनों में नरेंद्र गिरि दूसरे नंबर पर थे.

Narendra Giri Narendra Giri
सुरेश कुमार सिंह/उदय गुप्ता
  • प्रयागराज ,
  • 21 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST
  • नरेंद्र गिरि के पैतृक गांव में गमगीन माहौल है
  • चार भाई और दो बहनों में नरेंद्र गिरि दूसरे नंबर पर थे

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के निधन के बाद हर तरफ शोक की लहर है. उनके निधन को लेकर तमाम तरह की कंट्रोवर्सी भी सामने आ रही है. नरेंद्र गिरि के पैतृक गांव में गमगीन माहौल है और उनके परिजन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की होगी.

बहरहाल यह तो जांच का विषय है, लेकिन हम आपको बताएंगे कि नरेंद्र गिरि का वास्तविक नाम क्या था और उन्होंने कहां तक पढ़ाई की थी. साथ ही साथ उन्होंने अपना घर कब छोड़ा था?

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छतौना गांव में हुआ था जन्म

नरेंद्र गिरि का जन्म करीब 60 साल पहले प्रयागराज जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के छतौना गांव में हुआ था. चार भाई और दो बहनों में नरेंद्र गिरि दूसरे नंबर पर थे. बड़े भाई का नाम अशोक कुमार है, जबकि अरविंद सिंह, आनंद सिंह के साथ उनकी दो बहनें उर्मिला सिंह और मंजू सिंह हैं. 

बचपन का नाम नरेंद्र प्रताप सिंह था

नरेंद्र गिरि के बचपन का नाम नरेंद्र प्रताप सिंह था. नरेंद्र प्रताप सिंह का बचपन इसी गांव में बीता था और उन्होंने गांव के ही प्राथमिक स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद बाबू सरजू प्रसाद इंटर कॉलेज आमीपुर से 12वीं तक की पढ़ाई की. 

नरेंद्र गिरि कभी घर वापस नहीं लौटे

नरेंद्र सिंह ने 20 साल की उम्र में ही घर बार छोड़ दिया था और संन्यासी बन गए, लेकिन जब तक इस बात का पता उनके परिजनों को चलता तब तक प्रयागराज के छतौना गांव का नरेंद्र प्रताप सिंह नरेंद्र गिरि बन चुके थे. नरेंद्र गिरि के बड़े भाई अशोक कुमार सिंह ने बताया कि घर छोड़ने के बाद नरेंद्र कभी भी घर वापस नहीं लौटे. उन्होंने बताया कि कुंभ के दौरान उन लोगों की मुलाकात नरेंद्र गिरि से हुई थी. 

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नरेंद्र गिरि के परिजनों की मानें तो नरेंद्र बचपन से ही साफ-सुथरे स्वभाव के थे और बाद में भी जब उनकी मुलाकातें होती थीं तो घर के लोग नरेंद्र से काफी प्रभावित रहने लगे थे. परिजनों के अनुसार, नरेंद्र गिरि आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते थे और यही वजह है कि उनके परिजन भी इस पूरे मामले की निष्पक्ष और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

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