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CM योगी को मोदी का पहला झटका, धुरविरोधी शिव प्रताप बने मंत्री

एक तरह से देखें तो इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये पीएम मोदी ने योगी को साफ संकेत दिया है कि भले ही वो सूबे के सीएम हों, लेकिन राजनीति में चेक एंड बैलेंस बहुत जरूरी होता है और केवल एक व्यक्ति की मंशा और पसंद से सरकार नहीं चलाई जा सकती.

फोटो @BJPShivPShukla से फोटो @BJPShivPShukla से
कुबूल अहमद
  • लखनऊ,
  • 03 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ तेज रफ्तार के साथ अपनी तरह की राजनीति पूरे सूबे में लागू करते जा रहे थे. हालांकि रविवार का कैबिनेट विस्तार सीएम योगी के लिए एक बड़ा स्पीड ब्रेकर साबित हुआ. एक तरह से देखें तो इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये पीएम मोदी ने योगी को साफ संकेत दिया है कि भले ही वो सूबे के सीएम हों, लेकिन राजनीति में चेक एंड बैलेंस बहुत जरूरी होता है और केवल एक व्यक्ति की मंशा और पसंद से सरकार नहीं चलाई जा सकती.

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सीएम योगी का इस तरह से सूबे की सरकार चलाना शायद मोदी को भी शायद नगवार गुजर रहा था. इसीलिए उनके विरोधी माने जाने वाले शिव प्रताप शुक्ल को अपने मंत्रिमंडल में जगह देकर मोदी ने योगी को पहला झटका दे दिया है.

शिव प्रताप शुक्ल को मंत्री बनाकर नरेंद्र मोदी ने सबसे महत्वपूर्ण राज्य में जातिगत समीकरण के बैलेंस को भी संभालने की कोशिश की है. शिव प्रताप शुक्ल खुद गोरखपुर से आते हैं और पार्टी में ब्राह्मणों के एक प्रभावी चेहरे को तौर पर देखे जाते हैं.

शिव प्रताप शुक्ल लगातार चार बार विधानसभा  का चुनाव जीता है. 1989,1991,1993 और 1996 में MLA और यूपी में मंत्री भी रहे. लेकिन योगी ने अपने सियासी वर्चस्व कायम करने के लिए शिव प्रताप के खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा करके उन्हें चुनाव हरवाया था. यहीं से दोनों के बीच सियासी अदावत शुरू होगी.

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योगी ने शिव प्रताप शुक्ल की पूरी सियासत खत्म कर दी थी. वह बीजेपी में साइड लाइन कर दिए गए थे, लेकिन पार्टी के प्रति उन्होंने अपनी वफादारी नहीं छोड़ी. नरेंद्र मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तो शिव प्रताप शुक्ल की 14 साल के बाद सियासी पुनरुद्धार हुआ. वह राज्यसभा सदस्य बने और अब मोदी कैबिनेट में मंत्री बनने जा रहे हैं.  

योगी आदित्यनाथ के यूपी का सीएम बनने के बाद से सूबे का ब्राह्मण समाज बेचैन महसूस कर रहा था. सूबे में DGP सहित काफी जिलों में राजपूज समाज के जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक बैठा दिए गए हैं. इतना ही नहीं सरकारी महाअधिवक्ता भी राजपूत समाज से बनाया गया है. योगी के सत्ता पर विराजमान होते ही पूर्वांचल के ब्राह्मण नेता माने जाने वाले हरिशंकर तिवारी के घर पुलिस ने छापेमारी की. ब्राह्मणों ने इसे योगी के इशारे पर कार्रवाई मानी.  रायबरेली में 5 ब्राह्मणों की हत्या से ब्राह्मणों में बीजेपी के प्रति नाराजगी और भी बढ़ गई. इसीलिए ब्राह्मण अपने आपको ठगा हुआ महसूस करने लगा था. ऐसे में मोदी ने शिव प्रताप शुक्ल को अपनी कैबिनेट में जगह देकर कई संदेश दिए हैं.

 

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