
उत्तर प्रदेश परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को मिड-डे मील बनाकर खिलाने वालीं महिला रसोइयों के सामने मानदेय का संकट गहरा गया है. जो महिलाएं अपने हाथों से खाना बनाकर बच्चों का पेट भरती थीं, वो पिछले कई महीने से मानदेय का इंतजार कर रहीं हैं. हालांकि लगातार गुहार के बाद सरकार सक्रिय हो गई है. कई जिलों में महिला रसोइयों के लिए मानदेय जारी कर दिया गया है.
यूपी के 1,68,768 स्कूलों में 18 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, जिनके लिए 3 लाख 95 हजार से ज्यादा रसोइयां खाना बनाती हैं. जब मजदूर को 350-400 रुपये रोज मजदूरी मिलती है, इन्हें 50 रुपये मिलते हैं. फिलहाल तो हालत ये है कि इन महिलाओं को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. ऐसे में आजतक की टीम ने यूपी के कई जिलों में जाकर स्कूलों में काम करने वालीं महिला रसोइयों से बात की और उनकी स्थिति को जानने की कोशिश की.
1. भदोहीः पिछले 8 महीनों से वेतन का इंतजार...
भदोही जिले में 2800 से अधिक महिला रसोइयां काम करती हैं. इनमें से ज्ञानपुर देहात उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत सुनीता बताती हैं कि वो स्कूल में झाड़ू लगाने से लेकर भोजन बनाने तक का काम करती हैं. उन्हें जो मानदेय मिलता है उसे वो अपने बच्चों की शिक्षा आदि पर खर्च करती हैं. लेकिन पिछले आठ महीनों से मानदेय न मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं फोन लाइन पर बातचीत में बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि रसोइयों का मानदेय ट्रेजरी ऑफिस में आ गया है और जल्द ही इनके खातों में भेज दिया जाएगा. इसके साथ ही बेसिक शिक्षा कार्यालय के एमडीएम सेल से मिली जानकारी के अनुसार रसोइयों को दो माह का मानदेय भेजने की कार्रवाई चल रही है.
2. फिरोजाबादः होली के बाद से ही नहीं मिला वेतन
भदोही की तरह ही ही फ़िरोज़ाबाद के प्राथमिक विद्यालय में काम करने वालीं महिलाओं को भी 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. जब हम रहना नगर स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय पहुंचे तो वहां महिलाएं चूल्हे पर खाना बना रही थीं, रोटियां सेंक रहीं थीं. जब हमने उनसे बात की तो वहां बैठी तीनों महिलाओं का कहना था कि होली के बाद से कोई वेतन नहीं आया है. उन्होंने बताया कि 15 सौ रुपए वेतन मिलता है लेकिन 8 महीना हो गया कोई वेतन नहीं मिला है. दीपावली का त्यौहार है बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलता है.
40 साल की राम किशोरी ने बताया कि वो 6 साल से काम कर रही हैं. पहले तो वेतन आ जाता था लेकिन होली के बाद से वेतन नहीं आया है. किराए के मकान में रहते हैं. परिवार खर्च बड़ी मुश्किल से चलता है. उन्होंने कहा, दीपावली का त्यौहार है. पति कारखाने में मजदूरी करते हैं. बहुत समस्या है. हमारे परिवार में 5 सदस्य हैं. दो बेटी एक बेटा है. बहुत दिनों से यहां काम कर रहे हैं लेकिन वेतन नहीं मिला है.
हालांकि फ़िरोज़ाबाद की महिला रसोइयों के लिए भी स्थिति बदलने वाली है. मुनीश शर्मा, हेड मास्टर, प्राथमिक विद्यालय रहना ने बताया कि उन महिलाओं को वेतन 8 महीने से नहीं मिला है. 15 सौ रुपये महीने मिलते हैं. वेतन बहुत कम है. उन्हें 5 हजार रुपए से 6 हजार रुपए वेतन मिलना चाहिए. हमने अपने बड़े अधिकारियों को लिखकर भेजा है. उम्मीद है कि वेतन जल्द आ जाएगा.
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3. इटावाः पैसा कब मिलेगा, पता नहीं
दूसरी तरफ इटावा के उच्च प्राथमिक विद्यालय पुरबिया टोला की रसोईया रेनू देवी का भी यही हाल है. वो बताती हैं कि हमें पिछले 4 महीने हुए हैं काम करते हुए और एक भी महीने की पगार नहीं मिली है. कहा तो गया था कि हर महीने पैसे मिलेंगे लेकिन पैसे न मिलने की वजह से बड़ी दिक्कत हो रही है. परिवार चलाने में दिक्कत है और अब दिवाली भी आ गई है. उन्होंने कहा कि सभी को उम्मीद होती है कि काम के बाद पैसा मिलेगा लेकिन अभी तक नहीं मिला है. वो कहती हैं कि कब पैसा मिलेगा ये भी नहीं पता है.
4. अलीगढ़ः कई महीनों से वेतन का इंतजार कर रहे...
जहां एक ओर दिवाली आते ही कर्मचारियों को बोनस या तोहफा मिलता है तो दूसरी ओर अलीगढ़ के इगलास ब्लॉक के बदामपुर गांव में स्थित टीकापुर प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील बना रहीं महिलाएं अपने वेतन का इंतजार कर रहीं हैं. यहां काम करने वालीं महिलाओं का कहना है कि उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. उनका कहना है कि हमें भी पैसों की जरूरत है लेकिन वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने नियमित करने की मांग की है.
5. प्रयागराजः 8 महीनों से नहीं मिला वेतन
प्रयागराज में मिड-डे मील बनाने वालीं मालती देवी कहती हैं कि वो यहां 7 साल से काम कर रही हैं लेकिन 8 महीनों से वेतन नहीं दिया गया है, जिससे उनको अपना परिवार पालने में दिक्कत ही रही है. मालती का कहना है कि वो कहीं बर्तन, झाड़ू-पोंछा कर के इससे ज्यादा कमा सकती हैं लेकिन किसी के घर मे बर्तन मांजना उनको पसंद नहीं है इसलिए स्कूल में रसोइया का काम कर रही हैं. लेकिन वेतन न मिलने से काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि पैसा दिया जाए ताकि घर चल सके.
वहीं बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी के मुताबिक पैसा आ गया है और एक दो दिन के अंदर सब को भुगतान कर दिया जाएगा.
6. मिर्जापुरः वेतन तो आ गया, लेकिन अभी मिला नहीं
मिर्ज़ापुर में प्राइमरी स्कूल तो खुल गए मगर इन स्कूलों में मिड-डे मील बनाने वालीं रसोइयों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला, जिसकी वजह से रसोइये परेशान हैं. इन्ही रसोइयों में निर्मला देवी दूसरों से उधार लेकर घर का खर्च चलाने को मजबूर हैं. निर्मला देवी पिछले 12 सालों से स्कूल में बच्चो के लिए मिड-डे मील का खाना बनाती हैं. शहर के रमई पट्टी की रहने वालीं निर्मला देवी के परिवार में छोटे-बड़े कुल मिला कर 12 लोग रहते हैं जिनके लिए निर्मला का वेतन ही प्रमुख सहारा है.
क्या कहता है शिक्षा विभाग
वहीं मिर्जापुर बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतम प्रसाद बताया कि रसोइयों का मानदेय ट्रेजरी ऑफिस में आ गया है, और जल्द ही इनके खातों में भेज दिया जाएगा. इसके साथ ही बेसिक शिक्षा कार्यालय के एमडीएम सेल से मिली जानकारी के अनुसार रसोइयों को दो माह का मानदेय भेजने की प्रक्रिया चल रही है.
7. बलियाः 8 महीने से वेतन नहीं दिया, अब 4 महीने का इकट्ठा देने की तैयारी
यूपी के बलिया में काम करने वाले रसोइयों को भी पिछले 8 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. हालांकि, इनके लिए थोड़ी राहत वाली बात ये है कि इन्हें 4 महीने का वेतन अब इकट्ठा दिया जा रहा है. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि दिवाली से पहले इनके खाते में 4 महीने का वेतन चला जाएगा. बलिया जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी शिव नारायण ने कहा कि विभाग द्वारा मानदेय राशि जारी कर दी गई है और जल्द ही उनके खाते में जमा कर दी जाएगी.
जल्द मिलेगा मानदेय
वहीं इस मुद्दे पर सरकार का का पक्ष रखते हुए बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा की इन महिलाओं का मानदेय बढ़ाने वाली बीजेपी की ही सरकार है. बीजेपी सरकार ने इनका मानदेय 1000 से 500 रुपया बढ़ाया और 1500 रुपए प्रति माह किया. उन्होंने कहा कि कुछ तकनीकी कारणों से कारण इन रसोइयों के मानदेय के पेमेंट में देरी हो गई थी. जिसे दुरुस्त कर लिया गया है जल्दी इन महिलाओं को इनका मानदेय खातों में पहुंच जाएगा.
यूपी सरकार के आंकड़े
यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक प्रदेश में मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत 1.43 लाख विद्यालय में अध्ययनरत कुल 1.86 करोड़ छात्र योजना से लाभान्वित हैं. सरकार के अनुसार इन्हें मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराये जाने के लिए 3.77 लाख रसोइया कार्यरत हैं. इन रसोइयों को इसके लिए 1500 रुपये की दर से 10 महीने का मानदेय दिया जाता है. शासन की तरफ से रसोइया मानदेय मद में इसमें पहली किश्त के तौर पर कुल 206.93 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है.
(इनपुटः फिरोजाबाद से सुधीर शर्मा, अलीगढ़ से मोहम्मद अकरम खान, भदोही से महेश जायसवाल, मिर्जापुर से सुरेश कुमार सिंह, इटावा से अमित तिवारी, प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव, बलिया से अनिल अकेला)