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योगी सरकार में नोएडा में 20 हजार करोड़ का हुआ निवेश, 855 उद्योगों को मिली जमीन

पिछले चार साल में सैमसंग, अडानी, केंट आरओ सिस्टम, हल्दीराम, यूफ्लेक्स, नेप्चून सिस्टम, रोटो पंप्स, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, वेस्टवे इलेक्ट्रॉनिक्स, वन 97 कम्युनिकेशन, टीसीएस, मदरसन, आईएनजीकेए केयर सेंटर जैसी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने नोएडा में नई औद्योगिक इकाई लगाई है.

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने दी जानकारी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने दी जानकारी
तनसीम हैदर/राम किंकर सिंह
  • नोएडा,
  • 13 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST
  • नोएडा में डेढ़ लाख लोगों को मिला रोजगार
  • सीईओ ने गिनाई उपलब्धियां

यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता में आए चार साल से ज्यादा हो गए. योगी सरकार के कार्यकाल का लेखा-जोखा पेश करते हुए नोएडा प्राधिकरण ने बताया है कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण नोएडा में इस दौरान 855 औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हुई है. इससे नोएडा में 20560 करोड़ रुपये का निवेश आया है और करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिला है.

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नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने बताया कि इस सरकार के चार साल के दौरान 855 औद्योगिक इकाइयों को करीब 25 हजार वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा कंपनियों को वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान आवंटन किया गया जिनकी संख्या 527 है. यह योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का दूसरा साल था.

नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ने बताया कि कोरोना की पहली लहर से सबक लेते हुए नोएडा अथॉरिटी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान आपदा में भी कड़ी मेहनत से काम किया और इस दौरान 186 कंपनियों को आवंटन किया गया. इन औद्योगिक इकाइयों में डेढ़ लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में सैमसंग, अडानी, केंट आरओ सिस्टम, हल्दीराम, यूफ्लेक्स, नेप्चून सिस्टम, रोटो पंप्स, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, वेस्टवे इलेक्ट्रॉनिक्स, वन 97 कम्युनिकेशन, टीसीएस, मदरसन, आईएनजीकेए केयर सेंटर जैसी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने नोएडा में या तो नई औद्योगिक इकाई लगाई है या अपने कारोबार का विस्तार किया है.

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नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ने बताया कि इस दौरान 10757 करोड़ रुपये से 2136 बड़े प्रोजेक्ट पूरे कर शहर के विकास को रफ्तार दी गई है. पिछले चार साल में 2136 बड़े प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं.

नोएडा प्राधिकरण ने जो प्रोजेक्ट पूरे किए, उनमें नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्वा लाइन मेट्रो, कमांड कंट्रोल सेंटर, पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय का निर्माण और शहर के सेक्टर-39 में कोविड हॉस्पिटल का निर्माण शामिल है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना की अगुवाई में नोएडा प्राधिकरण औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ शहर के निवासियों को अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करा रहा है.

सीईओ ने गिनाए कार्य

ऋतु माहेश्वरी ने बताया कि प्राधिकरण ने अप्रैल 2017 से जुलाई 2021 तक 28 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण किया है. इनमें 3062 करोड़ रुपये की लागत आई है. उन्होंने शहर में यातायात को सुविधाजनक बनाने के लिए कराए गए सड़क निर्माण से लेकर छह जगह मल्टी लेवल कार पार्किंग, सेक्टर 21ए में इनडोर स्टेडियम, 14 करोड़ की लागत से शूटिंग रेंज का निर्माण भी गिनाया और कहा कि प्राधिकरण ने सेक्टर-33ए में शिल्प हाट का बनवाया. 10 एकड़ के इस हाट में 10 हजार वर्ग फीट की आर्ट गैलरी, 2000 वर्ग फीट का म्यूजियम और ऑफिस, 146 दुकानें, फूड कोर्ट में 19 स्टॉल्स, 7 इम्पोरियम-सांस्कृतिक केंद्र, 1080 वाहनों की पार्किंग, 800 दर्शकों की क्षमता का एम्फीथिएटर और 96 आर्टिस्ट की क्षमता के डॉरमेट्री की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है.

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इंडस्ट्रियल इलाके में सर्विस सेक्टर के उद्योगों को मंजूरी, लेकिन कारोबारी निराश 
कोरोनाकाल में बहुत बदलाव हो रहे हैं तो अब बिजनेस करना सिर्फ कमर्शियल एरिया तक ही सीमित नहीं रह गया है. इंडस्ट्रियल इलाके में पहले कोई साफ्टवेयर उद्योग, आईटी सेवा, जन-संचार वाला उद्योग, शिक्षा से संबंधित सर्विस सेक्टर के उद्योग नहीं खोल सकता था, पर अब इनकी मंजूरी नॉर्थ एमसीडी ने दे दी है और प्रतिबंध भा हटा दिया है. ऩॉर्थ एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के चैयरमैन जोगीराम जैन ने बताया कि ना सिर्फ अब इडस्ट्री वाले इलाको में सर्विस सेक्टर के उद्योग लगेंगे बल्कि अब लाखों का भारी भरकम कन्वर्जन शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा सिर्फ 5000 रूपए प्रति वर्ग मीटर की दर से Development  शुल्क ही देना पड़ेगा. 

वहीं नेता सदन छैल बिहारी गोस्वामी का कहना है कि केंद्र सरकार के आवास एवं शहरी मंत्रालय की तरफ से मास्टर प्लान में बदलाव करके इंडस्ट्री में सर्विस सेक्टर के तहत नए कारोबार लगाने की अनुमति दी है. शिक्षा संबंधित गतिविधियों के लिए 1000 स्वायर मीटर का प्लॉट होना चाहिए और वो 12 मीटर चौड़ी सड़क पर होना चाहिए. दूसरी प्लाट अगर 1000 स्वायर मीटर से बड़ा है तो सड़क की चौडाई 12 मीटर होनी जरूरी है. ये शर्तें पूरी करने पर ही अनुमति मिल सकेगी. 

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एमसीडी भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन डेवलपमेंट चार्ज को लेकर उद्यमियों में रोष है. पेशे से उद्यमी और इंडियन काउंसिल फॉर ट्रेड एंड इडस्ट्रीज के सेक्रटरी राजेश गर्ग ने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देना ही है तो प्रापर्टी को फ्री होल्ड करें. ताकि व्यापारी को बैंक से लोन मिले और अर्थव्यवस्था पटरी पर आए. ये तो सिर्फ एक प्रलोभन है.

 

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