
मकानों और फ्लैट की बुकिंग के बाद पजेशन पाने के लिए बरसों से इंतज़ार कर रहे नोएडा और गाजियाबाद समेत यूपी के सभी घर खरीदारों को बड़ी राहत मिल सकती है.
मंगलवार को यूपी रेरा से नोएडा सेक्टर 137 में लंबे समय से अटके प्रोजेक्ट 'टेक होम्स' के घर खरीदारों ने प्रोजेक्ट खुद पूरा करने के लिए इसके टेकओवर की मांग रखी.
टेकओवर की मांग शुभकामना टेक होम्स के घर खरीदारों की एसोसिएशन ने यूपी रेरा के सदस्य बलविंद्र कुमार से की. जिस पर यूपी रेरा ने घर खरीदारों से 60 फीसदी होम बायर्स की रजामंदी लाने का फैसला दिया.
यूपी रेरा के सदस्य बलविंद्र कुमार ने कहा कि अगर 60 फीसदी घर खरीदार सहमति दे देते हैं तो फिर वित्तीय स्थिति की जानकारी के लिए एक वित्तीय सलाहकार नियुक्त किया जाएगा, जो प्रोजेक्ट के वित्तीय हालात की बारीकी से जांच करेगा. इसके बाद वित्तीय सलाहकार अपनी रिपोर्ट यूपी रेरा को सौंपेगा.
इस बीच यूपी रेरा नोएडा अथॉरिटी से भी उनका पक्ष जानेगा कि अथॉरिटी अपना बकाया निकालने के लिए क्या इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाएगी. इसके बाद नोएडा अथॉरिटी के पक्ष और वित्तीय सलाहकार के प्रस्ताव के मुताबिक टेकओवर पर यूपी रेरा आखिरी फैसला सुनाएगा.
अगर शुभकामना टेक होम्स के घर खरीदारों को टेकओवर की मंजूरी मिलती है तो नोएडा और पूरे उत्तर प्रदेश में ग्राहकों द्वारा प्रोजेक्ट टेकओवर का ये पहला मामला होगा.
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में काफी प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जो 70-90 फीसदी तक बने हुए हैं और बिल्डर के गायब हो जाने या काम न करने से वो प्रोजेक्ट लंबे समय से अटके हुए हैं. ऐसे में ये फैसला घर खरीदारों को आगे बढ़कर अपने आशियाने को खुद से पूरा कराने का फॉर्मूला दिला सकता है.
शुभकामना ग्रुप के प्रमोटर्स में से एक दिवाकर शर्मा जेल में हैं. जबकि, पीयूष तिवारी फरार हैं. यही वजह है कि अपने अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने का प्रस्ताव घर खरीदारों ने दिया है. हालांकि, नोएडा में जमीन लीज होल्ड है. जिस पर अथॉरिटी का ही पहला हक है और ज्यादातार मामलों में अथॉरिटी की रकम का भुगतान नहीं किया गया है और घर खरीदारों से मकान की 90-95 फीसदी रकम वसूली जा चुकी है.
शुभकामना टेक होम्स पर भी नोएडा अथॉरिटी का 80 करोड़ बकाया है. तो यहां ये सवाल भी उठेगा कि कैसे इस रकम का भुगतान होगा और किस तरह से घरों को पूरा करने के लिए जरुरी रकम का इंतजाम किया जाएगा.
इसके साथ ही यूपी रेरा ने अर्थ ग्रेसिया बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के मामले में फैसला दिया है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को अर्थ ग्रेसिया प्रोजेक्ट की जमीन बेचकर अपनी रकम और ग्राहकों की रकम ब्याज सहित वापस करने का विकल्प तलाशना चाहिए.
इस प्रोजेक्ट में न तो इतना काम हुआ है कि इसे आसानी से पूरा किया जा सके और न ही यहां पर घर खरीदारों ने डिमांड के मुताबिक भुगतान किया है.
इन दो मामलों से ये साफ है कि नोएडा में पजेशन के नजदीक पहुंचे और एकदम अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता मिल सकता है. बशर्ते सभी संबंधित पक्ष इसके बारे में राजी हों और प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए जरूरी सभी रास्तों पर गंभीरता से विचार करें.
यूपी रेरा के सदस्य बलविंद्र कुमार के मुताबिक अर्थ समूह के तीनों निदेशकों के जेल में होने की वजह से ग्रुप की दो कंपनियों पर एनसीएलटी में मामला चल रहा है. जिसमें घर खरीदारों से अंतरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल के सामने अपना क्लेम पेश करने के लिए कहा गया है.