
नोएडा के शिल्प हाट (Shilp Haat Noida) में सरस मेला चल रहा है. इस मेले में एक ट्रांसजेंडर (Transgender) जूस कॉर्नर (juice corner) चर्चा का विषय बन गया है. इस जूस कार्नर को तीन ट्रांसजेंडर्स चला रहे हैं. ये सभी केरल के रहने वाले हैं. इन सभी ट्रांसजेंडर का मानना है कि वे आत्मनिर्भर होकर अपने लिए लोगों की सोच बदलते हुए देखना चाहते हैं.
अमृता ट्रांसजेंडर जूस कार्नर को ऑपरेट करती हैं. इनके साथ मिथुन और अनामिका नाम के दो और ट्रांसजेंडर (Transgender) काम करते हैं. अमृता बताती हैं कि यह जर्नी बहुत आसान नहीं थी. वह कहती हैं कि 5 साल पहले वह किसी और जूस की दुकान (Juice corners) पर काम करती थीं, लेकिन वहां पर उनको अपनी पहचान छिपाकर काम करना पड़ता था. जब उनकी पहचान सामने आई कि वह ट्रांसजेंडर है तो दुकान मालिक ने उन्हें निकाल दिया.
संस्था से संपर्क कर कोच्चि में शुरू की थी दुकान
अमृता यह बात समझ गई थीं कि उनके लिए खुद के पैरों पर खड़े होने की यात्रा बहुत सरल नहीं होने वाली. ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह खुद अपना काम शुरू करेंगी. जूस की दुकान (Juice corners) पर काम करते करते अमृता यह समझ चुकी थीं कि यह दुकान आखिर चलती कैसे है. वो ये बात भी समझ गईं थीं कि जूस की दुकान पर कम से कम नुकसान की गुंजाइश है.
इसके बाद उन्होंने एक संस्था से संपर्क किया और फिर कोच्चि में अपनी दुकान शुरू कर दी. आज जूस की दुकान (Juice corners) के अलावा अमृता कई अचार, पापड़ जैसे प्रोडक्ट तैयार करती हैं, जिनकी अच्छी बिक्री भी है. दूसरी ट्रांसजेंडर (Transgender) अनामिका अभी छोटी है. अनामिका अमृता को अम्मा मानती हैं. अनामिका बताती हैं कि वो भी अपने पैरों पर खड़े होना चाहती हैं, लेकिन ट्रांसजेंडर्स के लिए दुनिया आसान नहीं है. लोग देखकर कई सारी बातों की कल्पना कर लेते हैं. वो कभी इस तरह से देखते ही नहीं कि मुझमें भी जान है. एक दिल है.
पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करना चाहती हैं अनामिका
अनामिका कहती हैं कि फिलहाल वो 12th क्लास में हैं. पहले जिन स्कूलों में एडमिशन मिलना मुश्किल होता था, अब उसी स्कूल में न सिर्फ आजादी के साथ पढ़ाई कर रही हैं, बल्कि गर्ल्स की क्लास हेड भी हैं. अनामिका अमृता को अपनी अम्मा तो मिथुन को अपना भाई मानती हैं. अनामिका पढ़ लिखकर एक सरकारी नौकरी पाना चाहती हैं, ताकि वह अपने माता पिता और एक भाई की मदद कर पाएं.
ट्रांसजेंडर्स (Transgender) को उनके पैरों पर खड़े होने में मदद करने वाली प्रीत बताती हैं कि शुरू में हमारे अंदर भी इनको लेकर तमाम सारी शंकाएं थीं. हम सोचते थे कि जब हम उनसे काम की बात करेंगे तो वह किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे. प्रीत कहती हैं कि अमूमन हम लोग ट्रांसजेंडर (Transgender) को रेड लाइट और ट्रेन में भीख मांगने वाले या फिर सेक्स वर्कर के रूप में देखते हैं, लेकिन असल में ऐसी कई ट्रांसजेंडर हैं, जो अब ये सब कुछ छोड़कर कुछ बड़ा करना चाहती हैं. आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं.
'ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षण की व्यवस्था करे सरकार'
प्रीत कहती हैं कि अच्छी बात यह है कि Delhi-NCR सहित पूरे देश में इनको लेकर लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है, लेकिन अभी भी बहुत सारी जागरूकता की जरूरत है. हम सरकार से अपील करते हैं कि वह सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर (Transgender) के लिए आरक्षण की व्यवस्था करें, ताकि उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आ सके और वह भी आम समाज का हिस्सा बन सकें. ये ट्रांसजेंडर्स 60 तरीके के जूस और लस्सी तैयार करते हैं, जिनमें इनका नन्नारी मिल्क शरबत फेमस हो चला है.