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एसिड पीड़िताओं का कैफे होगा बंद, योगी सरकार ने खाली करने का नोटिस थमाया

लखनऊ शहर के मशहूर कैफे शेरोज़ हैंगआउट को बंद कर खाली किए जाने का योगी सरकार ने नोटिस दिया है. ऐसे में उस कैफे में काम करने वाली दर्जनों एसिड पीड़ित लड़कियों और महिलाओं की मुसीबत बढ़ गई है.

फोटो साभार- कैफे  शेरोज हैंगआउट के ऑफशियल फेसबुक पेज से फोटो साभार- कैफे शेरोज हैंगआउट के ऑफशियल फेसबुक पेज से
कुमार अभिषेक/राहुल झारिया
  • लखनऊ,
  • 01 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

एसिड पीड़ित महिलाओं के द्वारा संचालित लखनऊ के मशहूर कैफे 'शेरोज हैंगआउट ' को योगी सरकार ने खाली करने का नोटिस थमा दिया है. सरकार के इस फैसले के बाद डेढ़ दर्जन एसिड पीड़ित महिलाओं के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

बता दें कि इस कैफे के जरिए एसिड पीड़ित महिलाएं अपनी रोजी-रोटी चला रही थीं. साथ ही ये संदेश भी दे रही थीं कि एसिड पीड़ित होने के बावजूद पीड़ित महिलाएं हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ जिंदगी जी सकती हैं.

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सिर्फ तीन दिनों के नोटिस पर कैफे को बंद करने के फरमान सुनाने से योगी सरकार के दावों की जमीन हकीकत के साथ ही असंवेदनशीलता भी नजर आती है, जिनमें वह खुद को महिलाओं के लिए कल्याणकारी और हितैषी बताती है.  हालांकि, कोर्ट ने मामले में 21 दिनों का स्टे दिया है.

इस कैफे में वे लड़कियां काम करती हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में एसिड अटैक झेला है. उनके चेहरे इन हमलों में झुलस चुके हैं. ऐसे में वे समाज की मुख्य धारा से काफी हद तक अलग हो चुकी हैं.

अब इन लड़कियों की चिंता ये भी है कि उनका परिवार कैसे चलेगा. साथ ही इससे भी बड़ी बात कि उनके सम्मान से सिर उठाकर जीने का जरिया अब छीनने की कगार पर है.  इस कैफे में आने वाले लोग भी इस बात से दुखी हैं.

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पिछले कई सालों से छांव नामक संस्था एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए काम कर रही है. इसी संस्था को लखनऊ के गोमतीनगर में इस कैफेको चलाने का जिम्मा दिया गया है.

आज तक ने शेरोज़ हैंगआउट चलाने वाली संस्था के संचालक और लड़कियों से बात की, जिन्होंने पिछले 3 सालों में इस कैफे को देश में एक अलग पहचान दी.

इस कैफे को चलाने वाली संस्था छांव के संचालक आशीष शुक्ला कहते हैं कि सरकार का इरादा सिर्फ इस जमीन को हथियाना है क्योंकि यह जमीन लखनऊ के सबसे शानदार इलाके में संस्था को दी गई थी.  

आशीष के मुताबिक, यह कैफे एसिड पीड़िताओं के लिए सम्मान के साथ जिंदगी जीने का जरिया था, लेकिन यह जमीन सरकार के आंखों में चुभ रही थी और यही वजह है कि इसे छीना जा रहा है. हमारी संस्था के ऊपर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन हमने सरकार से कहा कि जांच करा लीजिए, लेकिन जमीन छीनना ही उनका मकसद है.

आज तक ने जब इस आदेश के पीछे के कारणों पर महिला कल्याण निगम से संचालित इस परियोजना के प्रमुख से बात की तो उन्होंने वित्तीय अनियमितताओं को इसकी वजह बताया.

शेरोज़ हैंगआउट, लखनऊ के लोगों का एक पसंदीदा स्थान बन चुका था, जहां लेखक, पत्रकार, कलाकार और रंगकर्मियों समेत लखनऊ आने वाले टूरिस्ट जरूर आते थे.

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बहरहाल सरकार की तरफ से ये दावा किया गया है कि इस हैंग आउट को बंद करने के बाद इन महिलाओं को राष्ट्रीय स्तर का स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे कि वह बेहतर जिंदगी जी सकेंगी. हालांकि, सवाल यह है कि उनसे एक जिंदगी छीनकर दूसरी जिंदगी के सपने सरकार क्यों दिखाना चाहती हैं?

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